हॉस्टल की दीवार फांद कर भागीं पीडि़त बालिकाएं,घटिया भोजन व मारपीट किए जाने का लगाया आरोप
शहडोल। अव्यवस्थाओं के लिए वर्षों से बहुचर्चित रहा कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास दो बालिकाओं के निकल भागने की घटनाओं से इन दिनो फिर सुर्खियों में है। बालिकाओं को नागरिकों की मदद से पुलिस के सुपुर्द किया जा सका और वे सुरक्षित हो सकीं। पुलिस ने बालिकाओं के परिजनों को सूचित कर दिया है। बालिकाअेां ने हास्टल में घटिया भोजन देने व मारपीट करने का आरोप लगाया है। ज्ञातव्य है कि शासन द्वारा आदिवासी बालक बालिकाओं के रहन सहन और भोजन व्यवस्था के लिए करोड़ों रुपए का धन उड़ेल रहा है, इसके बावजूद हालत यह है कि बालिकाएं हॉस्टल की दीवार फांद कर भाग रहंीं हैं।
बताया गया कि हॉस्टल से भागने वाली दोनो बालिकाएं अनूपपुर जिले के राजेंद्रग्राम की रहने वाली हैं। वे यहां उच्च स्तरीय अध्ययन के लिए भर्ती कराई गईं हैं। लेकिन हॉस्टल में अनुकूल परिवेश नहीं मिलने से वे भागने को विवश हो गईं। बालिकाएं अपना सामान लेकर घर के लिए निकल पड़ीं थीं। वे एक किमी का सफर तय कर जयस्तंभ चौक पहुंची, जहां से आटो में बैठकर बस स्टैण्ड आ गईं। बस स्टैण्ड आकर वे रोने लगीं , तब लोगों की नजर उन पर पड़ी और उनसे पूछताछ के बाद लोगों ने पुलिस को सूचना दे दी।
सूचना मिलते ही कोतवाली पुलिस बस स्टैण्ड पहुंची और उसने बालिकाओं को अपने कब्जे में लेकर उनसे पूछताछ की। इसके बाद बालिकाओं को जलपान कराने के बाद महिला पुलिस उन्हे लेकर कोतवाली पहुंची। बालिकाओं के बताए अनुसार पुलिस ने परिजनों को सूचित कर दिया। इस तरह बालिकाएं इधर उधर गुमने या गलत तत्वों के हाथ लगने से बच गईं। अगर लोगों ने समझदारी का परिचय नहीं दिया होता तो निश्चित ही बालिकाएं किसी खतरे में पड़ सकतीं थीं।
बालिकाओं ने पुलिस को बताया कि हॉस्टल में न तो खाना ढंग का मिलता है और न बर्ताव सही ढंग से किया जाता है। हॉस्टल के बर्ताव में संवेदनाओं की जगह आक्रामकता है वहां मारपीट की जाती है और बालिकाओं को प्रताडि़त किया जाता है। दोनो इस डर के कारण हॉस्टल की दीवार फांद कर घर के लिए भागीं थीं। ज्ञातव्य है कि यह हॉस्टल अव्यवस्थाओं के लिए काफी समय से चर्चित रहा है, लेकिन विवादों के बाद भी प्रशासन इसका रवैया नहीं सुधार सका। निरंतर घटनाएं हो रहीं हैं।