…तो नपा ने भाड़े पर उठा दिया फुटपाथ

0

फुटपाथ पर खुले बिरयानी से लेकर सांची के डिपो

नपा के राजस्व अमले सहित विद्युत विभाग की मनमानी

शहडोल। मुख्यालय में नगर पालिका कार्यालय से कुछ 100 मीटर दूर पर स्थित चौपाटी और इसके आस-पास लगने वाली दुकानें सौंदर्यीकरण पर ग्रहण लगा रही है, नपा का राजस्व अमला और अतिक्रमण हटाने वाली टीम या तो आंखे मूंदे हैं या फिर इनसे सेवाएं ले रही हैं, जिस कारण इन्हें वर्षाे पूर्व बने चिकित्सकों के आवास अतिक्रमण में होना तो नजर आ गया, लेकिन सड़क पर चल रही मनमानी नजर नहीं आई। चौपाटी के ठीक बगल से फुटपाथ के ऊपर सांची दूध का डिपो खुला हुआ है, इसी तरह अन्य अतिक्रमण एक के बाद एक हैं, लेकिन नपा को शायद यह नजर नहीं आ रहा।
यहां पर हैं अतिक्रमण
नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत दर्जनों स्थानों पर लगातार अतिक्रमण हो रहे हैं और नपा कार्यवाही भी कर रही है, लेकिन नगर के सौदर्यीकरण के लिए मुख्य सड़क के किनारे बने फुटपाथ पर सांची दूध का डिपो खुलना समझ से परे हैं। यही नहीं नपा के जिम्मेदारों ने फुटपाथ पर दुकान खोलने की छूट दी तो, विद्युत विभाग ने वहां नियमों को दरकिनार करते हुए विद्युत का कनेक्शन भी दे दिया, पहले डिपो और अब रसोई गैस से संचालित चाय की दुकान नपा की मनमानी की खुलकर कहानी बयां कर रही है।
कब्जे की जमीन, फुटपाथ पर कब्जा
चौपाटी के दोनों तरफ ही स्थितियां बदतर होती जा रही है, शाम होते ही यहां भीड़ लगती है, जिस कारण व्यवस्था हेतु यातायात पुलिस को जिम्मेदारी सम्हालनी पड़ती है। चौपाटी के दूसरी तरफ लखनऊ और हैदराबाद बिरयानी की मुख्यालय की सबसे बड़ी दुकानें हैं। सूत्रों पर यकीन करें तो, दोनों दुकानें किसी अन्य के भू-खण्ड पर कब्जा करके अस्थाई रूप से संचालित की जा रही हैं। जिस पर भविष्य में दोनों पक्षों के बीच विवाद होना तय है, वहीं दोनों दुकानों का आधा सामान और गंदगी फुटपाथ पर ही रहती है और यहां आने वाले ग्राहकों के वाहन सड़क पर बेतरतीब खड़े होकर दुर्घटनाओं को आमंत्रण देते हैं।
गंदगी से पट रहा तालाब
चौपाटी में लगने वाली लगभग दुकानों की गंदगी उक्त परिक्षेत्र से बाहर आकर कचरा दान और नपा के वाहनों में न जाकर पीछे बने तालाब में जा रही है, वर्षाे पूर्व परिषद ने नगर सौंदर्यीकरण के नाम पर लाखों रूपये खर्च करके तालाब का जीर्णाेद्वार किया था, लेकिन वर्तमान परिषद ने तालाब की सुध ही नहीं ली। बल्कि चौपाटी की पूरी जूठन और गंदा पानी दुकानदारों के द्वारा इसमें डाले जाने से तालाब का अस्तित्व संकट में व इसका क्षेत्रफल सिकुड़ता जा रहा है।
घरेलू सिलेण्डर का उपयोग
जिम्मेदार विभागों की लापरवाही के कारण घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर एजेंसी के अलावा कई प्रकार की दुकानों में आसानी से उपलब्ध हो जाता है, बस कीमत दोगुना चुकानी पड़ती है। कार्डधारकों को समय पर भले ही सिलेंडर न मिले लेकिन ब्लैक में जिले की कई दुकानों में बारहों माह सिलेंडर खरीदा जा सकता है। एलपीजी गैस अब आम लोगों की जरूरतों में शामिल हो गया है, सरकार गरीबों को भी गैस कनेक्शन उपलब्ध कराती है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने गैस सिलेंडर की कालाबाजारी रोकने व कार्डधारकों को समय पर गैस मिल सके इसके लिए गैस की सब्सिडी भी देना प्रारंभ कर दिया है। सब्सिडी की राशि सीधा उनके खाते में जमा होती है। इस योजना को प्रारंभ करने के पीछे भी सरकार की मंशा ब्लैक मार्केटिंग को रोकना थी, इसके बाद भी गैस की ब्लैक मार्केटिंग थमने का नाम नहीं ले रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed