पंजीकृत ट्रेनर व चिकित्सकों का है टोटा

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पंजीकृत ट्रेनर व चिकित्सकों का है टोटा

मुख्यालय से लेकर शहडोल के लगभग कस्बों में चल रहा कारोबार

इन्ट्रो- युवाओं में बॉडी बिल्डिंग का क्रेज बढ़ता जा रहा है, जिसका ही फायदा जिम संचालकों द्वारा उठाया जा रहा है। शहर में भी कई लोगों ने जिम खोल रखी हैं, लेकिन किसी भी जिम में कोई एक्सपर्ट ट्रेनर या फिर डाइटीशियन नहीं हैं, बावजूद इसके न पर संबंधित विभाग ध्यान देने की जहमत नहीं उठा पा रहा है।

फोटो क्रमांक-01

शहडोल। संभाग में खुली जिम के संचालकों द्वारा अधिकतर लोगों को सेहत बनाने के नाम पर गुमराह कर ठगा जा रहा है। क्योंकि जिम चलाने वाले लोग बॉडी बिल्डिंग की ट्रेनिंग देने के नाम पर उनकी सेहत के साथ खिलबाड़ कर रहे हैं।  जिम का रजिस्ट्रेशन स्माल स्केल इंडस्ट्री के तहत होता है, इसके लिए जिले के उद्योग विभाग से फॉर्म लेना होता है, इस फॉर्म को भरकर जमा करने पर  जिम खोलने का लाइसेंस मिल जाता है। शुरुआत में उद्योग विभाग अस्थायी लाइसेंस देगा, बाद में आप स्थायी लाइसेंस के लिए भी आवेदन किया जा सकता हैं, वर्तमान में रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन की भी व्यवस्था है, बावजूद इसके जिले में एक भी जिम उद्योग विभाग में पंजीकृत नहीं है।

संकट में युवाओं का जीवन

जिम में सेहत बनाने के नाम पर युवा ठगे जा रहे हैं, पिछले कुछ वर्षों से जिले में संचालित कई जिम संचालकों द्वारा बिना किसी एक्सपर्ट की सलाह के खुराक दी जा रही है, बॉडी बिल्डिंग करने वाले युवाओं को कब, कितना स्टेरॉयड्स देना है और कौन-कौन से न्यूट्रीशंस उन्हें लेने हैं और किस तरह प्रोटीन ग्रहण करना है। यह एक्सपर्ट द्वारा तय किया जाता है, लेकिन शहर में संचालित अधिकांश जिम संचालक युवाओं को मनमानी ढंग से खुराक दे रहे हैं। जबकि मनमाने ढंग से दी जा रही खुराक शरीर मेें निगेटिव असर भी डालती हैं। साथ ही कई बार मनमाने ढंग से ली गई खुराक युवाओं के जीवन के लिए संकट का कारण भी बन सकती है।

भारी पड़ता है सप्लीमेंट्स पर निर्भर होना

वजन बढ़ते ही लोग जिम ज्वॉइन कर लेते हैं और चाहते हैं कि उनका बढ़ा हुआ वजन जल्दी से कम जो जाए। इसके लिए वह जिम तो जाते हैं, लेकिन कुछ चीजों को खाना भी छोड़ देते हैं। धीरे-धीरे उनका ऐसा माइंडसेट हो जाता है कि उनके मन में खाने पीने की कुछ चीजों को लेकर भ्रम पैदा हो जाता है। कई लोग जिम संचालको की बात मानकर सिर्फ सप्लीमेंट पर ही चलते हैं। जबकि ऐसा करना उनकी सेहत के लिए हानिकारक भी हो सकता है। जबकि खानपान में इसकी हिस्सेदारी सिर्फ 10 फीसदी की ही होना चाहिए। इससे ज्यादा इन सप्लीमेंट्स पर निर्भर करना भारी पड़ सकता है।

बाहर के खाने से परहेज

जिम ज्वाइन करते हुए लोग अक्सर बाहर के खाने को सबसे पहले इग्नोर करते हैं। ऐसा इसलिए होत है क्योंकि उनके मन में ये बात बैठ जाती है है कि बाहर का खाना खाने से बजन बढ़ता है। बाहर का खाना भी सेहत के लिए जरूरी होता है। क्योंकि कभी-कभी बाहर का खाना खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता पर कोई असर पड़ सकता है। साथ ही रोजमर्रा के रुटीन करने से दिमागी तौर पर शांति मिलती है। कुछ भी खाने से पहले लोग उसमें कितनी कैलोरी होती है सबसे पहले यही देखते हैं। जबकि जिम ज्वाइन करने के दौरान इस बात का भी पता नहीं रहता है कि किस चीज में कितनी कैलोरी होती है। यहां तक जिम संचालक युवाओं को यह भी नहीं बताते हैं कि कितनी कैलोरी का सेवन एक दिन में करना चाहिए।

स्टेटस सेंबल बना जिम

शहडोल मुख्यालय सहित पड़ोस के जिलो में भी जिम का कारोबार और उसमें जाने वाले लोग अपना स्टेटस सेंबल मानने लगे हैं, भले ही जिम से मिलने वाले लाभों की आवश्यकता न हो पर मोटी फीस देकर वहां जाना और सोसायटी मेंटेन करना चलन में आ गया है, इसका भरपूर फायदा जिम संचालक ले रहे हैं, हालात यह हैं कि जिन्हें जिम की आवश्यकता नहीं है या फिर जिनके जिम जाने और आधुनिक मशीनों का उपयोग करने के लिए चिकित्सक सलाह नहीं दे रहे है, बावजूद इसके मोटी फीस लेकर संचालक बिना किसी मान्यता प्राप्त चिकित्सक और प्रशिक्षक के निगरानी के बिना ही यह कारोबार कर रहे हैं। जिस कारण बीते कुछ माहों में कई नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ा, बल्कि कई तो, जीवन भर के लिए अपंग तक हो गये। इतना सबकुछ होने के बाद भी न तो स्थानीय प्रशासन  और न ही जिला प्रशासन की कोई इकाई इस ओर ध्यान दे रही है।

इनका कहना है…

हमारे विभाग से जिम संचालकों को किसी भी प्रकार के स्वास्थ्य परामर्श या दवाईयां देने की कोई अनुमति नहीं दी गई है, अलबत्ता उन्होंने कोई आवेदन तक नहीं दिया।

डॉ. आर.एस. पाण्डेय

सीएमएचओ

शहडोल

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