भाजपा की इस महिला सांसद ने दिखाई अनाधिकृत यात्री बस को हरी झंडी

हाइलाइट्स :
टूरिस्ट परमिट पर दौड़ेगी अंबिकापुर से नागपुर नफीस की बस।
ऑनलाईन टिकट बुकिंग कर हो रही यात्रा।
स्टार एवम नफीस के बस मालिकों के आगे मध्यप्रदेश के नौकरशाह सहित खादीधारी नतमस्तक।
शाम ढलते ही प्रदेश में प्रवेश करती हैं अंतर्राजजीय परमिट पर यात्री बस।
कटघरे में अनूपपुर जिले के पुलिस और परिवहन अधिकारी।
शहडोल, मध्य प्रदेश। छत्तीसगढ़ के दर्जन भर बस मालिक संभाग की सीमा से होकर टूरिस्ट बसें उत्तरप्रदेश व अन्य प्रांतों में भेज रहे हैं। कोरोना काल में टूरिज्म पूरी तरह ठप्प है, लेकिन इन्हें टूर के परमिट मिल रहे हैं और तो और बस मालिकों ने नौकरशाहों को मुट्ठी में लेकर ऑनलाईन एक-एक टिकट बुक कर रहे हैं और दिखावा टूरिज्म परमिट का है।
इधर नया मामला छग के स्टार और मप्र के नफीस बस सर्विस का है। यात्री बस को बीते दिवस शहडोल संसदीय क्षेत्र के सांसद श्रीमती हेमाद्रि सिंह ने हरी झंडी देकर रवाना किया, सोशल मीडिया में जब महिला सांसद के द्वारा हरी झंडी दिखाकर बस के शुभारंभ की फोटो वायरल हुई तो उसमें तरह तरह की प्रतिक्रिया आने लगी, यह सवाल भी उठे की अंबिकापुर से अनूपपुर होते हुए डिंडोरी से नागपुर जाने वाली बस का मध्य प्रदेश सरकार के परिवहन विभाग ने इस तरह जगह जगह से यात्री बुकिंग और सवारी बैठाने का परमिट भी जारी नहीं किया है, तो फिर यह बस यह कैसे दौड़ेगी, अंतर राज्य परमिट और टूरिस्ट परमिट की आड़ लेकर दौड़ने वाली इस बस को हरी झंडी देने से पहले क्या महिला सांसद ने इस मामले की पुष्टि नहीं की ….?? क्या दौड़ने वाली बस को क्या मध्यप्रदेश शासन ने वैध परमिट दिया भी है…कि नहीं..?? यह सवाल भी उठने लगे कि महिला सांसद को धोखे में रखकर शहडोल के नफीस ट्रेवल्स के संचालक पप्पू नफीस उर्फ रईस अहमद तथा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के स्टार बस के संचालक ने यह खेल खेल लिया और यात्री महिला सांसद का चेहरा देखकर उसके भरोसे में बस में यात्रा करेंगे…?? जिस कारण आने वाले दिनों में यदि कोई घटना भी होती है तो अनूपपुर और पड़ोस के जिलों के अधिकारी भी कार्यवाही करने से कतराएंगे, महज पुलिस और परिवहन विभाग पर दबाव डालने के लिए महिला सांसद की आड़ लेकर कथित बस संचालकों ने खेल तो खेल लिया लेकिन यदि कोई अनहोनी होती है तो आरोप क्या महिला सांसद पर नहीं लगेंगे…?????
प्रतिदिन शाम होते ही संभाग के अनूपपुर जिले में छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे चौकियों पर छग के विभिन्न जिलों से यात्री बसें दस्तक देती हैं, यही स्थिति रामनगर बार्डर की भी है, जहां से छग से आ रही बसें अंधेरे में पहुंचती हैं और अगले तीन से चार घंटो में प्रदेश के अनूपपुर जिले से होती हुई नागपुर को चली जाती है। इन बस मालिकों ने अपने-अपने जिले में परिवहन विभाग के आशीर्वाद से टूरिस्ट परमिट लिया हुआ होता है, यह अलग बात है कि कोरोना काल में 22 मार्च से लेकर अब तक लगभग टूरिज्म ठप्प पड़ा है, यही नहीं बसें जिन सवारियों को ढोती हैं, इसके लिए उन्होंने ऑन लाईन बुकिंग की सुविधा दी हुई है। छत्तीसगढ़ के परिवहन और पुलिस विभाग की खबर नहीं है, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि हर समय चौकस व चौकन्नी रहने वाली मध्यप्रदेश पुलिस यहां का यातायात अमला और परिवहन विभाग इस बात से अंजान हो।
यह हैं टूरिस्ट परमिट के कायदे :
परिवहन विभाग के द्वारा दर्जन भर बस मालिकों की 2 दर्जन से अधिक बसों जिन्हें स्टेज कैरिज के नाम पर टूरिस्ट परमिट दिया गया है, उनसे इस संदर्भ में स्थानीय परिवहन विभाग व जिला प्रशासन को टूर पर जा रहे समस्त यात्रियों की सूची, आधार कार्ड लेना चाहिए। सूची उक्त कार्यालयों में जमा कराने की जिम्मेदारी बस मालिक की होती है। यात्री बस बीच के रास्ते से न तो भाड़े पर सवारी बैठा सकती है और न ही रास्ते की सवारी शुरूआत से बैठाई जा सकती है, यही नहीं जिन यात्रियों को टूर पर ले जाया जाता है, उन्हें ही वापस लाना चाहिए।
यह कर रहे बस मालिक :
अंबिकापुर से नागपुर के लिए प्रारंभ हुई इस बस के मामले में मजे की बात तो यह है कि इनमें से लगभग मालिकों ने टिकट बुकिंग के लिए अपने कार्यालयों के अलावा बीच रास्ते में पडऩे वाले स्थानों में टिकट बुकिंग के साथ ही ऑन लाईन बुकिंग सेंटर भी खोले हुए हैं, यात्री चाहे तो, गूगल पर बस सर्विस का नाम सर्च कर रेलवे की तरह इनकी भी टिकट बुक कर यात्रा कर सकता है, ऐसी स्थिति में टूरिस्ट परमिट जैसी बातें खुद-ब-खुद दिखावा साबित हो रही हैं।
कटघरे में परिवहन व पुलिस अमला :
प्रतिदिन अनूपपुर व अन्य पड़ोसी जिलों से करीब 2 दर्जन से अधिक यात्री बसें इसी तरह के दिखावे के परमिट को लेकर दौड़ रही हैं, एनएच-43 सहित अन्य प्रमुख मार्गाे पर इन जिलों के परिवहन अधिकारी व उनके अमले सहित स्थानीय थाने, यातायात पुलिस के जवान तैनात रहते हैं, लेकिन बीते दो से तीन माहों से चले रहे इस खेल पर किसी की नजर न पड़ना आश्चर्य है, यही नहीं सवाल यह भी उठता है कि क्या कभी इन जिम्मेदारों ने यहां से अंतर्राज्जीय क्षेत्र में दौड़ रही बसों के परमिट आदि की जांच की जेहमत तक नहीं उठाई या फिर गांधी के फेर में सबने आंखे मूंद लीं।
दुर्घटना पर तय हो जिम्मेदारी :
टूरिज्म परमिट पर ऑन लाईन एक-एक टिकट बुक कर दौड़ने वाली इन यात्री बसों की यदि सैकड़ों किलोमीटर यात्रा के दौरान कहीं दुर्घटना हो जाती है तो, उसकी जिम्मेदारी किस जिले का यातायात या परिवहन अधिकारी लेगा, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जब परमिट व टिकट ही मेल नहीं खा रहे तो, बीमा कंपनी बस मालिकों के इस झूठ में होने वाले नुकसान की भरपाई क्यों करेगी।
चेक पोस्ट पर सौदेबाजी कर दौड़ रही बसें :
यातायात और परिवहन विभाग के अलावा मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश-उत्तरप्रदेश की सीमाओं पर परिवहन विभाग की चेक पोस्ट बनी हुई है, एक बार परिवहन और यातायात विभाग के जिला कार्यालयों के जिम्मेदार भले ही आधी रात को दौड़ रही बसों पर नजर न डाल पायें, लेकिन चौकियों पर बसों व उनके परमिट की जांच के लिए 24 घंटे तैनात चौकी प्रभारी और उनका स्टॉफ खुलेआम इस मामले में तथाकथित बस मालिकों से सौदेबाजी कर रहा है।