तीन नये आपराधिक कानून सोमवार से लागू नये कानून के तहत डिजिटल तौर पर एफआइआर, नोटिस, समन, ट्रायल, रिकॉर्ड, फारेंसिक, केस डायरी व बयान को किया जायेगा संग्रहित बस स्टैंड ऑडिटोरियम में आयोजित कराई गई भव्य कार्यशाला

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तीन नये आपराधिक कानून सोमवार से लागू
नये कानून के तहत डिजिटल तौर पर एफआइआर, नोटिस, समन, ट्रायल, रिकॉर्ड, फारेंसिक, केस डायरी व बयान को किया जायेगा संग्रहित बस स्टैंड ऑडिटोरियम में आयोजित कराई गई भव्य कार्यशाला


कटनी।। संसद से पारित तीन नये आपराधिक कानून सोमवार से लागू हो गए है. जिसमें मानव अधिकारों व मूल्यों को ध्यान में रखा गया है. नये कानून में अब भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू किया गया है. इस कानून में दंड की जगह न्याय पर विशेष बल दिया गया है.न्याय पर केंद्रित तीनों नये आपराधिक कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कटनी पुलिस पूरी तरह से तैयार है। लागू हुए 03 नवीन आपराधिक अधिनियमो के क्रियान्वयन एवम व्यापक प्रचार प्रसार हेतु एसपी अभिजीत रंजन के कुशल नेतृत्व में तथा श्री धर्मेंद्र सिंह राठौड़ प्रधान एवं सत्र न्यायाधीश जिला कटनी की उपस्थिति में लागू हो चुके नये कानून के व्यापक प्रचार प्रसार हेतु के संबंध में बस स्टैंड ऑडिटोरियम में भव्य कार्यशाला आयोजित कराई गई। सर्वप्रथम पुलिस अधीक्षक अभिजीत कुमार रंजन द्वारा भारत माता की फोटो पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। आयोजित कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक अभिजीत रंजन ने भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने अपने उद्बोधन में लागू हुए नए कानून के संबंध में बहुत ही सारगर्भित एवं बारीक जानकारियां बताई गई, पुलिस अधीक्षक द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि 1 जुलाई 2024 से तीन नये कानून लागू होंगे, जो भारतीय दण्ड संहिता एवं कानून की दिशा में यह एक व्यापक परिवर्तन है, इन कानूनों के संबंध में अधिकारियों एवं नागरिकों को जानकारी होना चाहिए। नये कानून में आरोपियों के लिए नये प्रावधान किए गए हैं। सभी के लिए आवश्यक है कि स्वयं भी इन कानूनों को समझें तथा दूसरों को भी जागरूक करें। पुलिस अधीक्षक अभिजीत रंजन द्वारा मुख्यतः कहा गया कि ये जो तीन कानून है, उसका मूल उद्देश्य है इनोवेशन यानि नवाचार, एक्सपेंशन यानि विस्तार, टेक्नोलाजी एडवांसमेंट यानि तकनीकी उच्चता, रेलेवेंस अर्थात समसमायिकता और जो लोकतंत्रिक परिभाषाओं का मूल है जिसे हम कहते है इक्विलिटी जस्टिस, फैटरनिटी यानि समानता, न्याय और बंधुत्व की भावना इन सभी आदर्शो को इन सभी सिंध्दातो को प्रतिबितित करने के लिये ये तीन नए कानून लागू किये गये हैं । इन तीनों नए कानूनों का मूल उद्देश्य है उपनिवेशिक शासन की मंशा से निर्मित हमारे तीनों कानून जो दिनांक 01 जुलाई 2024 से पूर्व में हमारे पूरे भारत वर्ष को संचालित करते थे। जिनके नाम से उद्देश्य स्पष्ट होता है दंड देना, लेकिन नए कानूनों में अपराधियों के लिए सामाजिक सेवा की बात की गई है। आधुनिक समय को ध्यान में रखते हुए इसमें प्रावधान किए गए हैं। न्यायिक प्रक्रिया में स्पष्टता और निष्पक्षता रहेगी। एसपी कटनी ने नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम के बारे में जानकारी दी। बताया कि नए कानून के तहत पुलिस और न्याय की अगला लेख प्रक्रिया में तेजी आएगी। इसका सीधा लाभ मिलेगा। एफआईआर होने से लेकर चार्जशीट व न्यायालय प्रक्रिया म बदलाव आएंगे। नए कानून में 45 धाराओं को जोड़ा गया है। पीड़ितों को चक्कर नहीं लगाने होंगे। न्याय प्रणाली में प्रौद्योगिकी का तालमेल किया गया है। ई एफआईआर से लेकर समन, नोटिस के अलावा न्यायालय में ई बयान, इलेक्ट्रानिक माध्यमों से गवाहों, अभियुक्तों, विशेषज्ञों व पीड़ितों की उपस्थिति हो सकेगी। जैसे की शासन की मंशा है सबका साथ सबका विकास, इस उदृदेश्य से एक नया सकारात्मक परिवर्तन भारत देश में हो रहा है। मध्य प्रदेश के कटनी जिले के प्रत्येक थाने में कानून की जागरूकता एवं प्रचार प्रसार हेतु कार्यक्रम किये जा रहें। इसके संबंध में आडियो वीडियो, अखबारों एवं प्रिंट इलेक्टोनिक मीडिया एवं जो भी संचार के माध्यम हमारे पास उपलब्ध हैं उनका सर्वोत्तम उपयोग करने का प्रयास किया है। आज की तारीख राष्ट्र के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण है क्योंकि आज 01 जुलाई को पहला दिवस है जब यह कानून देश में लागू होगा। कानून एक गतिशील विषय है। इसमें गतिशीलता हमारे व्यवहार को रिफलेक्ट करती है। लेकिन हमें प्रतिदिन सीखना पडेगा एवं इस परिवर्तन को स्वीकारना पड़ेगा। मूल उदृदेश्य यही है कि यहां उपस्थित समस्त विशेषज्ञ, न्यायविद चिकित्सिक, पुलिस, समाज के जनप्रतिनिधि ,गणमान्य नागरिक और जो आम नागरिक है जो सामान्य जीवन जीता है ये सभी मिलकर समाज का निर्माण करते है। और हम पुलिस कर्मचारी इस समाज से अलग नहीं है।
1 जुलाई 2024 से कानून लागू होने के बाद कोई भी अपराध होने पर नये कानून के अंतर्गत घटना या अपराध पंजीबद्ध होगा। इसके अंतर्गत अपराधों के लिए न्याय व्यवस्था अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि निर्धारित समय में उनका निराकरण हो सके। इसी तरह पुलिस एवं न्यायालय के लिए तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट, फॉरेंसिंक रिपोर्ट समय पर देना होगा। इसमें पीडि़त पक्ष, आरोपी पक्ष सभी को फायदा होगा। सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए पूरी प्रक्रिया को डिजिटल किया गया है। एफआईआर की प्रक्रिया, एफआईआर के निर्णय सभी डिजिटल फार्म में होंगे।
सामाजिक-आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से सभी नागरिक अलग-अलग स्थानों में रहते हैं। ऐसी स्थिति में दस्तावेज डिजिटल होने से फायदा मिलेगा। ई-एफआईआर के लिए फोन, ई-मेल, व्हाट्सएप के माध्यम से अपराध घटित होने की सूचना दे सकते हैं। अब इसके लिए जवाबदेही तय हो जाएगी।
प्रार्थी को संबंधित थाने में जाकर हस्ताक्षर कर एफआईआर दर्ज करानी होगी। थाना प्रभारी या विवेचक को जांच की जरूरत लगने पर एसडीओपी या सीएसपी की लिखित अनुमति के बाद जांच होगी। झूठी शिकायत से बचने के लिए तीन दिवस में पुलिस अधिकारी जांच करेंगे तथा गंभीर मुद्दा होने पर एफआईआर दर्ज होगी तथा विधिवत प्रकरण की विवेचना की जाएगी।
यह महत्वपूर्ण है कि डिजिटल फार्म में शिकायतों को लेने से धीरे-धीरे विश्वसनीयता बढ़ेगी। जीरो एफआईआर अंतर्गत प्रार्थी को बड़ी सुविधा प्रदान की गई है और किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज की जा सकती है। जांच करने के लिए एसडीओपी एवं सीएसपी लिखित में जांच करने के निर्देश देंगे। 14 दिवस में इसका निराकरण करना होगा।
ज्यादातर अपराधों में समय पर चालान पेश होते हैं। 90 दिवस से ज्यादा होने पर विवेचक को इसके संबंध में कारण बताना होगा और विवेचक की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। प्रकरणों के निराकरण के लिए नये कानूनों में टाईम फ्रेम किया गया है, जो महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि आईपीसी अंतर्गत पहले बच्चियों से संबंधित था, जिसे अब बालक एवं बालिकाओं के लिए किया गया है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि नये कानून के अंतर्गत पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए भी समय का निर्धारण किया गया है।
अर्थदण्ड में परिवर्तन करते हुए वृद्धि की गई है, जो कि प्रासंगिक एवं सामयिक है। इसके साथ ही अपराधियों के लिए सामाजिक सेवा की बात की गई है। सुपारी किलर एवं जघन्य अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए नया अपराध पंजीबद्ध किया जा सकता है, बशर्ते कि पहले से उनके दो चालान न्यायालय में पंजीबद्ध हो। नये कानून में राजद्रोह हटा दिया गया है, इसके स्थान पर देश की अखण्डता एवं अक्षुण्यता के खिलाफ कोई कार्य करने पर कड़ी कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया हैं। नये टेक्नोलाजी को अपनाने से कार्य सुगम होंगे तथा अपराधियों को समय पर दण्ड मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि फॉरेंसिंक टीम एवं साक्ष्य से संबंधित प्रावधान महत्वपूर्ण है। बच्चों एवं महिलाओं के खिलाफ आरोप होने पर कड़ी सजा का प्रावधान है, इसे गंभीरता से लिया गया है। बच्चों से अपराधिक गतिविधि कराने पर दुगुनी सजा का प्रावधान है। बार-बार अपराध करने वालों पर अधिक दण्ड का प्रावधान किया गया है। देश के बाहर भाग जाने वाले अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त श्री धर्मेंद्र सिंह राठौड़ प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश कटनी द्वारा एवं मंचासीन अन्य अधिकारियों द्वारा भी नए कानून के संबंध में अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त की गई। आयोजित कार्यशाला/जनसंवाद कार्यक्रम में श्री धर्मेंद्र सिंह राठौड़ प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश , श्रीमती विनीता गुप्ता सीजेएम , श्रीमती सुनीता मेहरा अध्यक्ष जिला पंचायत , शशांक श्रीवास्तव पूर्व महापौर , डॉ. संतोष डेहरिया अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक , श्रीमती ख्याति मिश्रा नगर पुलिस अधीक्षक , डॉ यशवंत वर्मा सिविल सर्जन , पीतांबर टोपनानी , दीपक टंडन भाजपा जिला अध्यक्ष , सुरेश सोनी पिछड़ा प्रदेश मोर्चा अध्यक्ष एवं जिले के गणमान्य नागरिक, छात्र-छात्राओं सहित अन्य पुलिस अधिकारी ,कर्मचारी लगभग 400 से अधिक संख्या में उपस्थित रहे।

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