BMS की आड़ में खुद का कोष बढ़ा रहे टीआई बनाम कोषाध्यक्ष

शहडोल। केंद्र की मोदी सरकार ने जीरो टॉलरेंस की और कदम तो बढ़ाए लेकिन दिल्ली से चली योजनाएं और उनके आदेश केंद्र सरकार के ही विभागों में जमीन तक आते-आते इतने तोड़ मरोड़ दिए जाते हैं, कि ऊपर से वह भी चमकीले और सुनहरे नजर आने लगते हैं, साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड के सोहागपुर एरिया अंतर्गत रोड सेल वाली खदानों में तकनीकी निरीक्षकों की नियुक्ति सिर्फ इसलिए की जाती है कि वह DO होल्डरों की मनमानी को रोक सके और अधिक से अधिक कॉल प्रबंधन को मुनाफा दिलाए, लेकिन जमीनी स्तर पर यहां कुछ और ही हो रहा है उपक्षेत्रीय क्षेत्र और माइंस प्रबंधक से मैनेजमेंट कर तकनीकी निरीक्षक बाड़ी ही खेत को खा रही वाली कहावत को चरितार्थ करने में उतारू है।
वर्षों तक जब केंद्र में जब कांग्रेस की सरकार थी तब जो लोग कांग्रेस का चोला पहनकर वेतन के अलावा जुगाड़ से हर माह 2 से 3 और वेतन निकालने में माहिर थे, बीते एक दशक से उन्होंने भी चोला बदल दिया है, रोड सेल में कोयले की चोरी और हेरा फेरी को रोकने के लिए सोहागपुर एरिया अंतर्गत खैरहा , राजेंद्र माइंस में तैनात किए गए तकनीकी निरीक्षक ने बीएमएस का चोला पहन लिया है और उसी की आड़ में बाड़ी ही खेत को खा रही की कहावत को चरितार्थ करने में पूरे तन..मन से जुटे हुए हैं ।
वर्तमान में दिलीप पांडे नामक तकनीकी निरीक्षक सोहागपुर एरिया के बीएमएस यूनियन में कोषाध्यक्ष के पद पर काबिज है बीएमएस के उक्त पद तथा तकनीकी निरीक्षक के पद की आड में वह यूनियन का खाता और कोष कितना बढ़ा रहे हैं या तो वही जाने लेकिन उसे आड़ में खुद का कोष दिन दूना और रात चौगुना करने में दिलीप पांडे लगे हुए हैं, यही स्थिति उन्होंने कोल प्रबंधन के साथ कर रखी है, जो उन्हें मोटा वेतन देकर तकनीकी निरीक्षक की जिम्मेदारी सौंप हुए हैं, मोटा वेतन लेने के बाद भी दिलीप पांडे कोल प्रबंधन के प्रति वफादारी न दिखाकर DO होल्डर और अन्य कोल माफिया के वफादार बने हुए हैं, यहां भी उन्होंने बीएमएस की भांति ही कोल प्रबंधन को अंधेरे में रखकर कांटे से लेकर कोयला छांटने और अनाधिकृत लोगों के माइंस में प्रवेश, आरओएम की जगह अच्छी ग्रेड का कोयला और माइंस में एंट्री तक का शुल्क निर्धारित कर रखा है, इस संदर्भ में एरिया के महाप्रबंधक को भी अंधेरे में रखा गया है, मामले की शिकायत एरिया महाप्रबंधक और बिलासपुर में बैठे डीटी आदि तक भेजी जा रही है स्थानीय लोगों का कहना है कि बाड़ी ही खेत को खा रही है इस पर यदि लगाम नहीं लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब खेत का तो पता नहीं रहेगा लेकिन चारों तरफ बाड़ी ही बाड़ी नजर आएगी।