अन्नश्री का महत्व बताने 26सौ किमी की साइकल यात्रा कर श्रीनगर से कटनी पहुंचा युवक, एक दिसंबर को श्रीनगर से शुरू की यात्रा का 31 जनवरी को कन्याकुमारी में होगा समापन, मोटे अनाज का कर रहे प्रमोशन
अन्नश्री का महत्व बताने 26सौ किमी की साइकल यात्रा कर श्रीनगर से कटनी पहुंचा युवक, एक दिसंबर को श्रीनगर से शुरू की यात्रा का 31 जनवरी को कन्याकुमारी में होगा समापन, मोटे अनाज का कर रहे प्रमोशन
कटनी॥ हरियाणा का एक युवा इंजीनियर ने लोगों कों शारीरिक बीमारियों से बचाने के लिए अनूठी यात्रा निकाली है। साइकिल से 33 दिनों की यात्रा पूरी कर गत मंगलवार को युवक कटनी पहुंचकर मोटे अनाज के महत्व को बताया जा रहा है। पेशे से रोबोटिक मशीन के इंजीनियर नीरज कुमार प्रजापति (27) निवासी गुहाना जिला सोनीपत हरियाणा के द्वारा मोटे अनाज श्रीअन्न का उपयोग बढ़ाने, खेती करने के लिए जागरुक करने 4200 किलोमीटर की साइकिल यात्रा की जा रही है। नीरज 2600 किलोमीटर की यात्रा करते हुए कटनी पहुंचे। उन्होंने बताया कि यात्रा 1 दिसंबर को श्रीनगर लाल चौक से यात्रा शुरू की थी। 31 जनवरी को शाम स्वामी विवेकानंद रॉक मेमोरियल कन्याकुमारी में यात्रा का समापन किया जाएगा। इस रैली का मुख्य उद्देश्य मोटे अनाज का प्रमोशन करना है। साइकिल यात्रा के माध्यम से नीरज के द्वारा बाजरा, ज्वार, रागी, कोदो, कुटकी आदि मोटे अनाज को प्रमोशन किया जा रहा है। इस दौरान वे श्रीनगर से जम्मू, अमृतसर, चंडीगढ़, दिल्ली पहुंचे। यहां से फिर ग्वालियर, आगरा, रीवा के बाद कटनी पहुंचे। यहां पर मौसम वैज्ञानिक डॉ. संदीप कुमार चंद्रवंशी से भेंटकर योजनाओं की जानकारी दी। मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि बुधवार को वे शहर से कृषि विज्ञान केंद्र पिपरौंध के लिए रवाना होंगे। यहां पर 9.30 बजे से 11 बजे तक अधिकारी व किसानों के साथ बैठक कर उसकी उपयोगिता पर चर्चा करेंगे।
नीरज प्रतिदिन 100 से लेकर 125 किलोमीटर साइकिल चला रहे हैं। ग्वालियर कॉलेज में नीरज 2014 से 2018 के बीच इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। रोबोटिक मशीन से इंजीनियर हैं। इंजीनियरिंग करने के बाद समाज व देश के लिए कुछ कर गुजरने की ललक के चलते यात्राएं कर रहे हैं। 2019 से जैविक खेती को बढ़ाया देने के लिए 50 हजार किलोमीटर, आयकर विभाग के लिए ढाई हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं। नीरज की यात्रा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, लघु कृषि व्यापार संघ, राष्ट्रीय खाद्य प्राधोगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान, भारतीय श्रीअन्न अनुसंधान संस्थान हैदराबाद आदि द्वारा सपोर्ट किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लोग अब ज्यादा बीमार हो रहे हैं, यदि मोटे अनाज का उपयोग करें तो बीमारियों पर अंकुश लगेगा। मोटे अनाज में फाइवर कंटेंट अत्यधिक है, इससे डायबिटीज नहीं होती। यदि ग्रामीण महिलाएं खाएंगी तो जिंक और आयरन की कमी दूर होगी। इसके अलावा मोटे अनाज के उपयोग से ग्लाइसनिंग इंडैक्स कम होता है। कैल्सियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फाशफोस, जिंक अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। जहां पर तापमान 40 के ऊपर भी रहता है वहां पर फसल भी अच्छी होती है। कम पानी वाले क्षेत्र में इसकी पैदावार होती है। इसमें किसी भी प्रकार के कैमिकल व रसायन की आवश्यकता नहीं पड़ती। नीरज की यात्रा को संयुक्त राष्ट्र संघ से बधाई मिली है। इसके अलावा नीदरलैंड, चीली, सिरबिया, रसिया जैसे देशों ने बेहतर कार्य के लिए सराहा है।