खरीदी के अनुपात में ट्रांसपोर्टर नही कर रहें धान का उठाव 102 धान खरीदी केंद्रों में 23 हजार से ज्यादा किसान मेहतन की कमाई लेकर पहुंचे
खरीदी के अनुपात में ट्रांसपोर्टर नही कर रहें धान का उठाव
102 धान खरीदी केंद्रों में 23 हजार से ज्यादा किसान मेहतन की कमाई लेकर पहुंचे
कटनी. समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में ट्रांसपोर्टर और मिलर्स की मनमानी के आगे प्रशासन की बेबशी ने एक बार फिर किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। जिलेभर के 102 धान खरीदी केंद्रों में 23 हजार से ज्यादा किसान मेहतन की कमाई लेकर पहुंचे तो सबसे पहले बारदाने की कमीं से होने वाली परेशानी का सामना करना पड़ा। कई दिनों तक उपज की तकवारी खरीदी केंद्र में ही रुककर करनी पड़ी। रात में अलाव की आंच में कड़ाके की ठंडी का सामना करना पड़ा।
किसी तरह बारदाना मिला तो खरीदी के बाद धान उठाव में ट्रांसपोर्टर और मिलर्स की मनमानी सामने आ गई। राज्य सरकार का प्रावधान है कि समिति आधारित खरीदी केंद्रों से तीस प्रतिशत धान का उठाव मिलर्स करेंगे, लेकिन अब मिलर्स ने धान का उठाव नहीं। दूसरी ओर खरीदी के अनुपात में ट्रांसपोर्टर धान का उठाव नहीं कर रहे हैं।
समय पर धान का उठाव नहीं होने और स्वीकृति पत्रक जारी होने में विलंब से किसानों को 66 प्रतिशत राशि का भुगतान नहीं हो सका है। बकाया राशि 158 रूपये से अधिक है।
कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने बताया कि प्रशासन का पूरा ध्यान बारदाने की उपलब्धता और धान के परिवहन पर है। जो कमियां है उसे दूर कर रहे हैं। कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को जल्द से जल्द भुगतान हो।
किसानों का कहना है कि धान खरीदी की तुलना में समय पर बारदाना उपलब्धता में नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी लापरवाह हैं। जिलेभर में 18 हजार 150 गठान बारदाने की आवश्यकता है। अब तक 13 हजार 482 गठान बारदाने की उपलब्धता हुई है। 4 हजार 668 गठान बारदाने का शार्टफॉल है। कई केंद्रों में बारदाने की कमीं के कारण पांच से दस दिन तक खरीदी बंद होने की नौबत आ जाती है।
शहर के ज्यादातर मिल में सालभर सरकारी धान की मिलिंग होती है। इस साल हो रही खरीदी में केंद्र से धान उठाव से लेकर मिलिंग के बाद चावल जमा करने में गुणवत्ता को टेस्ट मिलिंग को लेकर दबाव बनाने में मिलर्स की रणनीति कारगर साबित हुई है। जानकारो का कहना है कि इस मामले में प्रशासन के अधिकारी ठोस नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी ओर धान परिवहन के लिए 6 सेक्टर में चार परिवहनकर्ता हैं। बताया जा रहा है कि जरूरत के अनुपात मेंं वाहन उपलब्ध नहीं होने के कारण परिवहन पर असर पड़ रहा है। ट्रांसपोर्टर्स का यह भी कहना है कि नान ने अब तक बीते वर्ष की खरीदी का भुगतान नहीं किया है।◊