रेलवे के तीसरी लाइन के कार्य पर खोदे नाली में फंसकर मुक जानवर की दर्दनाक मौत

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अनिल तिवारी7000362359
अनूपपुर। अमलाई स्टेशन पर रेलवे की तीसरी लाइन की तैयारी पर लगे नाली के गड्ढे पर आज एक गाय की फंसने से तड़प-तड़प कर मौत हो गई। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि रेलवे लाइन के कार्यो पर अलग अलग ठेकेदार द्वारा कार्य किया जा रहा है। और केबिल डालने के लिए बनाए जा रहे हैं नाली लोकल में छोटे ठेकेदारों को दे दिया गया है जिनके द्वारा लापरवाही पूर्वक कार्य को अंजाम देने के कारण यह घटना घटी है । लगातार कई महीनों से रात दिन तीसरे रेलवे लाइन की तैयारी की जा रही है। लेकिन देखा जाए तो शुरू से ही सुरक्षा के उपकरणों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है ।ठेकेदारों द्वारा मनमाफिक रूप से कार्य करते हुए कार्य को जल्दी पूर्ण करने के चक्कर में एक काम को पूरा न करते हुए दूसरे काम को चालू कर दिया जा रहा है। जिसके कारण इस तरह की बड़ी घटनाएं घट रही है जबकि होना तो यह चाहिए कि रेलवे लाइन को पूरा कर केबिल डालने के लिए खोदे जा रही नाली को बाद में सुरक्षात्मक तरीके से केबल डालते हुए गड्ढे को भरते जाना चाहिए। लेकिन हफ्तों से नाली खोदकर मूक जानवरों को एवं आने जाने वाले राहगीरों को मौत के कुएं में जिम्मेदारों द्वारा धकेला जा रहा है। रेलवे में काम करने वाले ठेकेदारों द्वारा आम पब्लिक को आने जाने के लिए ना ही किसी अन्य रास्ते का डायवर्सन बोर्ड लगाया गया है। और ना ही देखने के लिए जिम्मेदार गार्ड लगाए गए हैं। इस कारण आए दिन इस मार्ग में मिट्टियों के ढेर से टकराकर कई हादसे हो चुके हैं। जिसमें जीता जागता उदाहरण तड़प तड़प कर एक गाय का मरना है। इससे पहले की इस मार्ग पर और बड़ी दुर्घटना घटे कोशिश होनी चाहिए कि कार्य हो रहे रेलवे के रोड को पूरी तरीके से जाम कर देना चाहिए, और डायवर्सन चेंज कर बड़े खतरों को डालना चाहिए।

रेलवे के जिम्मेदार हुए गायब

अमलाई रेलवे स्टेशन पर चल रहे कार्यों पर गाय को मरे लगभग 24 घंटे बीत गए हैं इसके बावजूद भी विभाग के द्वारा गाय को उक्त जगह से हटाने की कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है जिससे प्लेटफार्म नंबर 4 पर आने जाने वाले यात्रियों को बदबूदार संक्रमण का सामना करना पड़ है। लेकिन रेलवे विभाग के जिम्मेदार अभी तक सोए हुए हैं क्योंकि इस मुक जानवर के मौत पर किसी को कोई निजी लाभ नहीं मिलना है। यही कार्य अगर सांठगांठ वाली होती तो अभी तक अधिकारियों की लाइन लगी होती। ना ही कार्य कराने वाले ठेकेदारों द्वारा मृत गाय को निकालने का कोई प्रयास किया गया है, जबकि सैकड़ों के तादात में लेवर इनके पास तीसरी लाइन में लगे हुए हैं। अगर ठेकेदार का प्रयास होता तो कार्य पर लगे लेवरो को बुलाकर या की जेसीबी मशीन से उक्त गाय को निकाला जा सकता था।

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