जल, जंगल, जमीन और वन प्राणियों के रक्षक है आदिवासी समाज
राकेश सिंह
शहडोल । प्राचीनकाल से आदिवासियों का जंगल एवं वन प्राणियों से गहरा लगाव रहा है। आदिवासी प्राचीनकाल से वन क्षेत्रों में निवास करते हुए जल, जंगल, जमीन और वन प्राणियों की रक्षा करते रहे है। इसे देखते हुए भारतीय संस्कृति में आदिवासियों को धरती पुत्र कहा गया है। आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश राज्य में 43 जनजाति समूह निवास करते है। जो मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या का 5वां हिस्सा है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में एक करोड़ 53 लाख के करीब जनजाति वर्ग की आबादी है।
देश में स्वतंत्रता के पश्चात केन्द्र सरकार ने आदिवासी वर्ग के उत्थान के लिये संवैधानिक सुरक्षा प्रदान की और संविधान में उनकी समस्याओं को दूर करने के लिये अनेक प्रावधान भी किये। इसी के अनुरूप मध्यप्रदेश में आदिवासी वर्गों के सर्वांगीण विकास के लिये आदिवासी उपयोजना की रणनीति अपनाते हुए विभिन्न विकास विभागों के माध्यम से आर्थिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, सामाजिक उत्थान एवं अनेक विकास कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है। प्रदेश में जनजाति जनसंख्या के अनुपात में 21.09 प्रतिशत से अधिक बजट प्रावधान करके आदिवासी उपयोजना के अंतर्गत विभिन्न विभागों के माध्यम से योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को दिया जा रहा है। आदिवासी भाई-बहनों को राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की प्रक्रिया को सरल, सुगम एवं ऑनलाइन करने के लिये MPTAAS सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है।
आदिवासी वर्ग के शैक्षणिक विकास के लिये छात्रवृत्ति वितरण व्यवस्था को सुगम बनाया गया है। पिछले वर्ष 2019-20 में प्रदेश के करीब 25 लाख आदिवासी विद्यार्थियों को 465 करोड़ रूपये की छात्रवृत्ति प्रदान की गयी। इस वर्ष छात्रवृत्ति का लाभ 27 लाख 57 हजार आदिवासी विद्यार्थियों को दिया जा रहा है। इसके लिये राज्य सरकार ने अपने विभागीय बजट में 475 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है। आदिम जाति कल्याण विभाग की 34 हजार 440 शैक्षणिक संस्थाओं में 25 लाख 64 हजार विद्यार्थी अध्यनरत् है। आदिवासी वर्ग के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के मकसद से आवासीय सुविधा के साथ 2629 छात्रावास आश्रम संचालित किये जा रहे है। इनमें डेढ़ लाख विद्यार्थियों की रहने की व्यवस्था की गई है। प्रदेश में संचालित 126 विशिष्ठ संस्थाओं में करीब 27 हजार 586 अनुसूचित जनजाति विद्यार्थी अध्ययन प्राप्त कर रहे है। प्रदेश में इस वर्ष नवीन छात्रावास और उच्चत्तर माध्यमिक शाला के उन्नयन के लिये बजट में प्रावधान किया गया है। प्रदेश में वर्ष 2020-21 में अनुसूचित जनजाति के 24 सीनियर छात्रावास और 15 महाविद्यालयीन छात्रावास प्रारंभ किये जाएंगे। इस वर्ष आदिवासी बहुल्य क्षेत्र के 50 हाई स्कूलों को उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय में उन्नयन कर संचालित किया जाएगा।