पुलिस पर हुआ भरोसे का कत्ल है….समझो शहर लावारिस हो चुका है….. गर्दन पर वार-खुलेआम कत्ल की कोशिश, हर दिन नया अपराध, हर रात नया हमला:कटनी बना अपराधियों का अड्डा, पुलिस ‘फॉर्मेलिटी’ में व्यस्त! अब अगला कौन? पुलिस बताए! क्या अब कानून का राज खत्म? कबिंग गश्त कहां है?पुलिस प्रशासन सवालों के घेरे में

Oplus_16777216
पुलिस पर हुआ भरोसे का कत्ल है….समझो शहर लावारिस हो चुका है…..
गर्दन पर वार-खुलेआम कत्ल की कोशिश, हर दिन नया अपराध, हर रात नया हमला:कटनी बना अपराधियों का अड्डा, पुलिस ‘फॉर्मेलिटी’ में व्यस्त! अब अगला कौन? पुलिस बताए! क्या अब कानून का राज खत्म? कबिंग गश्त कहां है?पुलिस प्रशासन सवालों के घेरे में
बुधवार रात 9 बजे के आसपास कोतवाली थाना क्षेत्र के कैलवारा रोड पर एक युवक पर हुए चाकू हमले ने एक बार फिर जिले की कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। दीपक साहू नामक युवक पर अज्ञात हमलावरों ने गर्दन पर ताबड़तोड़ चाकू से वार कर दिया। गंभीर रूप से घायल युवक को पहले जिला अस्पताल और फिर जबलपुर रेफर किया गया है। उसकी हालत बेहद नाजुक बताई जा रही है। सवाल यह उठता है कि जब शहर में रोजाना अपराध बढ़ रहे हैं, तब पुलिस की गश्त कहाँ थी? शहर की प्रमुख सड़कों पर पुलिस की मौजूदगी नाममात्र की है, जबकि प्रशासन दावा करता है कि शहर में कबिंग गश्त और विशेष अभियान लगातार चलाए जा रहे हैं। जिले के पुलिस कप्तान की जिम्मेदारी सिर्फ अपराध के बाद बयान देना नहीं, अपराध को रोकना भी है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या कप्तान साहब को शहर में हो रही लगातार वारदातों की जानकारी नहीं? क्या उन्होंने थाना प्रभारियों को कोई निर्देश नहीं दिए? क्या उनके निर्देशों का पालन नहीं हो रहा, या फिर खुद कप्तान भी इन घटनाओं को नजरअंदाज कर रहे हैं? जनता जानना चाहती है कि क्या कप्तान साहब अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं या सिर्फ कुर्सी संभाल रहे हैं? कब तक अपराधी खुलेआम वारदातें करते रहेंगे और पुलिस मूकदर्शक बनी रहेगी?
चाकूबाजी, लूट, अवैध शराब, खनन और हत्या — क्या इन सबके पीछे किसी ‘सिस्टम की मिलीभगत’ है? शहर में हर हफ्ते वारदातें हो रही हैं.क्या जिले के कप्तान ने कोई ठोस योजना बनाई है? क्या कबिंग गश्त सिर्फ अधिकारियों की फोटो खिंचवाने तक सीमित है? जिले के कप्तान को शहर की जनता के सामने आकर जवाब देना चाहिए कि आखिर कानून व्यवस्था चरमराई क्यों है? सिर्फ FIR और प्रेस नोट से शहर सुरक्षित नहीं होगा। अब ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए, चाहे वो थाना प्रभारी हो या पुलिस अधीक्षक। कटनी की सड़कों पर अब खून बह रहा है, लेकिन कानून कहीं नजर नहीं आ रहा। क्या अब कटनी जैसे शहर में सुरक्षित रहना भी एक चुनौती बन गया है? ये घटना केवल एक युवक पर हमला नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था पर सीधा हमला है — और अब सवाल उठ रहे हैं, सबसे ऊपर बैठे पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर।
कटनी।। कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत कैलवारा रोड पर बुधवार रात लगभग 9 से 9:30 बजे के बीच एक सनसनीखेज वारदात सामने आई, जहां अज्ञात हमलावरों ने दीपक साहू नामक युवक पर ताबड़तोड़ चाकुओं से हमला कर दिया। गर्दन पर कई वार किए गए, जिससे युवक लहूलुहान होकर वहीं गिर पड़ा। स्थानीय लोगों की तत्परता से घायल दीपक को जिला अस्पताल लाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर हालत को देखते हुए जबलपुर रेफर कर दिया गया। युवक की हालत नाजुक बनी हुई है।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार इस हमले के पीछे पुरानी रंजिश की आशंका जताई जा रही है, लेकिन जिस तरीके से यह हमला हुआ, उसने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया है। शहरवासियों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि कटनी में अब कोई भी कहीं भी सुरक्षित नहीं है।
पुलिस प्रशासन पर उठते सवाल
शहर में लगातार हो रही चाकूबाजी, लूट, हत्या, चोरी, अवैध शराब का परिवहन, और अवैध उत्खनन जैसी घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि पुलिस की “कबिंग गश्त” और “विशेष अभियान” केवल कागजों तक सीमित रह गए हैं। अपराधी निडर होकर दिन-दहाड़े या रात के अंधेरे में अपराध को अंजाम दे रहे हैं और पुलिस घटनाओं के बाद केवल औपचारिक जांच की रस्म निभाती नजर आती है। लगातार आपराधिक घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि या तो पुलिस प्रशासन अपराधियों पर लगाम लगाने में पूरी तरह विफल हो चुका है, या फिर कहीं न कहीं अपराधियों को संरक्षण प्राप्त है।
क्या कटनी अब अपराधियों का अड्डा बनता जा रहा है? ऐसे हालात में आमजन खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। बुधवार रात की इस खौफनाक घटना ने फिर एक बार साबित कर दिया कि अब शहर के किसी भी कोने से चाकूबाजी की खबर आना आम हो गया है। प्रशासन को यह समझना होगा कि यदि अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए तो कटनी में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी। अपराधी बेखौफ होकर शहर की सड़कों पर खून बहा रहे हैं और कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखा रहे हैं। नगरवासियों का विश्वास पुलिस से उठता जा रहा है। लोगों में डर और असुरक्षा का माहौल है।
यह घटना कोई पहली नहीं है, और शायद आखिरी भी नहीं होगी अगर प्रशासन ने अब भी आंखें मूंदी रखीं। जिले के कप्तान को चाहिए कि वो सिर्फ अपराध के बाद बयान जारी करने के बजाय, शहर की ज़मीन पर उतरें, जवाबदेही तय करें और डर का माहौल खत्म करें। जनता कों सिर्फ FIR की कागज़ी कार्यवाही नहीं, सुरक्षा की गारंटी चाहिए। प्रशासन को समझना होगा अपराध रोकना सिर्फ एक ‘ड्यूटी’ नहीं, जवाबदेही है।