ओपीएम की भूमि पर अवैध कब्जा कर स्थानीय बनने का कर रहे प्रयास
मामला नगर परिषद बरगवां अमलाई का
अनूपपुर।यह कैसी विडंबना है की बिहार उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्य से मजदूर के तौर पर 20-25 वर्षों के अंतराल में ओरियंट पेपर मिल, सोडा कास्टिक यूनिट इन दोनों उद्योगों में कार्य करने के नाम पर स्थानीय बरगवां के पुश्तैनी निवासियों की भूमि जो उद्योग के द्वारा अपने कार्य के लिए अधिग्रहण किया गया था उस पर अवैध कब्जा कार्य कर अपने आप को स्थानीय और पुश्तैनी होने का प्रमाण प्रस्तुत किया जा रहा है जबकि वास्तविकता यह है कि अगर इनकी जांच की जाए तो यह जहां से आकर अवैध रूप से कब्जा करके रह रहे हैं वहा अर्थात उत्तर प्रदेश बिहार और छत्तीसगढ़ राज्य से उनके वास्तविक निवास स्थान और इनकी संपत्तियों की जांच कराई जाए तो यह किसी भी स्थिति में गरीबी रेखा के नीचे नहीं आ सकते। नगर परिषद बरगवां अमलाई के पार्षद वार्ड क्रमांक 2 के लेबर कॉलोनी के इतिहास का वर्णन कर रहे हैं और शहडोल संभाग की लोकप्रिय सांसद श्रीमती हिमाद्री सिंह को बता रहे हैं 80- 90 साल से है यहां रह रहे हैं और यहां की जनसंख्या 1500-2000 है जबकि वास्तविकता कुछ और ही है इसमें इन की कुल जनसंख्या 200- 300 होगी जिसमें से आधे से अधिक लोग बुढार, इंदिरा नगर, बकहो नगर परिषद के कर्मचारी, मजदूर,ठेकेदार, ओरियंट पेपर मिल और सोडा कास्टिक यूनिट में कार्यरत है इन्हें ओरियंट पेपर मिल के द्वारा कॉलोनी में क्वार्टर अलाउड है किंतु झोपड़ी बनाकर वर्षों से शासन प्रशासन को गुमराह कर रहे हैं यही नहीं इनके द्वारा बड़े-बड़े इमारत बहुमंजिला मकानों का निर्माण का ठेका लिया जाता है जो ठेका करोड़ों रुपए का भी रहता है फिर भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले हैं यही नहीं सोडा कास्टिक यूनिट ओरियंट पेपर मिल मैं बकायदा कर्मचारी ठेका श्रमिक कुशल श्रमिक ठेकेदार हैं और शासन की संपूर्ण योजनाओं का लाभ भी लिया जा रहा है पूर्व में ग्राम पंचायत स्तर पर एक बार नहीं दो दो बार इंदिरा आवास योजना का लाभ लिया जा चुका है किंतु इंदिरा आवास का निर्माण नहीं हुआ झोपड़ी आज भी यथावत बनी हुई है और जब नगर पंचायत गठन हो जाने पर प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिए जाने की बारी आई तो पूर्व में इंदिरा आवास योजना का लाभ लेने के बाद भी बकायदा न्यायालय के द्वारा जारी शपथ पत्र लगाकर की हमने इस योजना का लाभ नहीं लिया है और पुणे आवेदन कर दिया गया कारण ओरियंट पेपर मिल के स्वामित्व की भूमि होने के कारण कुछ बाधाएं नजर आती दिखी तो अनाप-शनाप और झूठा बयानबाजी करना शुरू कर दी। सबसे बड़ी बात यह है कि इनके वास्तविक रहन सहन का पता लगाया जाए तो यह किसी भी स्तर से बीपीएल सूची में नाम दर्ज कराने के योग्य नहीं है क्योंकि दो लाख से ढाई लाख तक की दो पहिया वाहन का इस्तेमाल करते हैं इनके घरों में 32 इंच सैमसंग ब्रांडेड कंपनी का टेलीविजन लगा हुआ है लेकिन बाहर से झोपड़ी दिखता है यही नहीं इनके द्वारा जो ओरियंट पेपर मिल में ठेकेदार हैं उनके द्वारा पीडीएस गोदाम खाद्यान्न वितरण केंद्र से बकायदा एक एक क्विंटल राशन परिवारों के संख्या के आधार पर उठाव किया जाता है फिर भी गरीब है। जिसके कारण भरगामा अमलाई नगर परिषद अंतर्गत निवासरत पुश्तैनी निवासी बैगा परिवार म्हारा परिवार चौरसिया परिवार के साथ गरीब ब्राह्मणों का परिवार शासन की महकती एवं जनकल्याणकारी योजनाओं से आज भी वंचित है जिसके कारण उन्हें आज भी शासन के द्वारा संचालित गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार को न तो राशन मिलता है ना तो प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिलता है ना तो विधवाओं को पेंशन मिलता है ना तो वृद्धों को पेंशन मिलता है न तो विकलांगों को पेंशन मिलता है।