बलबहरा में दो सगे भाइयों की निर्मम हत्या, तीसरा गंभीर  बदमाशों का बढ़ता हौसला बना सवाल, मोहन यादव सरकार के कानून-व्यवस्था पर उठे प्रश्न

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शहडोल। जिले के बुढार थाना अंतर्गत चौकी केशवाही क्षेत्र के बलबहरा गांव में मंगलवार की शाम हुई डबल मर्डर की जघन्य वारदात ने पूरे  जिले को हिला दिया है। जमीनी विवाद को लेकर हुए इस खूनी संघर्ष में दो सगे भाइयों राहुल तिवारी और राकेश तिवारी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीसरा भाई सतीश तिवारी गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज शहडोल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार, दीपावली के बाद की शाम तीनों भाई अपनी ऑटो पार्ट्स की दुकान में दीप जलाने पहुंचे थे। तभी अनुराग शर्मा अपने लगभग 10 से अधिक साथियों के साथ दुकान में घुस आया। सभी हमलावर बंदूक, तलवार, फरसा और डंडों से लैस थे। अचानक उन्होंने हमला बोल दिया और तीनों भाइयों पर ताबड़तोड़ वार करने लगे। देखते ही देखते दुकान खून से लाल हो गई।

मरने से पहले राकेश तिवारी का वायरल बयान
 10 से ज्यादा लोग थे, हाथ में बंदूक, तलवार, फरसा था…
घटना के बाद गंभीर रूप से घायल राकेश तिवारी ने अपने मोबाइल से आखिरी सांसें गिनते हुए एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उसने कहा तीन लोग थे आगे… बाकी सब पीछे… हाथ में बंदूक, तलवार, फरसा, डंडा लिए हुए थे… दुकान में घुसकर मारे… बार-बार कहते रहे।आज तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ेंगे… मेरे भाई को भी काट दिया… मुझे भी खत्म कर दिया।
यह बयान सुनने के बाद पूरा शहडोल जिला सन्न है। सोशल मीडिया पर राकेश का यह वीडियो तेजी से वायरल हो गया है और लोग प्रशासन से सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर अपराधियों के हौसले इतने बुलंद क्यों हैं?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, मुख्य आरोपी अनुराग शर्मा और तिवारी परिवार के बीच लंबे समय से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। बावजूद इसके, पुलिस ने कोई एहतियाती कदम नहीं उठाए। हमले के दौरान बदमाशों ने दुकान में रखे रुपए भी लूट लिए और खुलेआम कहते रहे कि अब कोई पुलिस नहीं बचा सकती।

पुलिस ने देर रात अनुराग शर्मा सहित 10 से अधिक लोगों के खिलाफ हत्या, लूट और साजिश की धाराओं में मामला दर्ज किया है। कुछ आरोपियों को हिरासत में लिया गया है, लेकिन  कई आरोपी अब भी फरार हैं।
पुलिस इंटेलिजेंस पूरी तरह फेल
यह पहली बार नहीं है जब बुढार थाना क्षेत्र में अपराधियों ने पुलिस को खुली चुनौती दी हो। महज 15 दिन पहले इसी इलाके में पुलिस पर पथराव की घटना हुई थी, जिसके बाद भाजपा के तीनों विधायक, आरएसएस, विहिप और बजरंग दल के हजारों कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया था। उस समय जनता ने चेतावनी दी थी कि अगर अपराधों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो हालात बिगड़ेंगे।
फिर भी, न तो चौकी प्रभारी बदला गया, न किसी  पर कार्रवाई हुई। अब वही लापरवाही दो निर्दोष जिंदगियों पर भारी पड़ गई। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या पुलिस अधीक्षक ने इस क्षेत्र की नब्ज समझने की कोशिश की थी? अगर समय रहते कार्रवाई होती, तो शायद यह हत्या नहीं होती।

 मोहन यादव सरकार पर भी उठे सवाल
यह वारदात केवल एक आपराधिक घटना नहीं बल्कि कानून-व्यवस्था की गहरी नाकामी का संकेत है। लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद कैसे हो गए कि वे दिनदहाड़े हथियारों से लैस होकर दुकान में घुसकर दो सगे भाइयों की हत्या कर दें? अब विपक्ष और आमजन दोनों ही सवाल उठा रहे हैं जब पुलिस और इंटेलिजेंस दोनों निष्क्रिय हैं, तो अपराधियों को डर किस बात का?”
 स्थानीय लोगों में आक्रोश और दहशत
बलबहरा गांव में बुधवार सुबह से ही सन्नाटा पसरा हुआ है। ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने ऐसी घटना कभी नहीं देखी। पूरा परिवार उजड़ गया और पुलिस अभी भी जांच जारी है कहकर औपचारिकताएं निभा रही है। लोग प्रशासनिक सख्ती की मांग कर रहे हैं।
यह घटना अब शहडोल जिले की कानून-व्यवस्था की पोल खोलने वाली मिसाल बन गई है। मरने से पहले राकेश तिवारी का वीडियो केवल बयान नहीं, बल्कि पुलिस और प्रशासन के प्रति जनता की खोती हुई आस्था का प्रतीक बन चुका है।
अब देखना यह है कि क्या शहडोल पुलिस इस बार सच में कार्रवाई करेगी, या फिर यह मामला भी पुराने मामलों की तरह राजनीतिक बयानबाजी और कागजी कार्यवाही में दफन हो जाएगा।

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