मेडिकल कॉलेज में दो इंटर्न निलंबित
लेबर रूम की मारपीट ने खोली मेडिकल कॉलेज की पोल
(Anil Tiwari +7000362359)
शहडोल। बिरसा मुंडा मेडिकल कॉलेज एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार विवाद लेबर रूम में इंटर्न छात्रों के बीच हुई मारपीट और अनुशासनहीनता का है। 12 सितंबर को पहला वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया, जिसमें इंटर्न डॉक्टरों के बीच गंभीर झगड़ा दिखाई दिया। इसमें एक इंटर्न छात्रा पर अपने साथी छात्र को बाल पकडक़र गिराने और कपड़े फाडऩे का आरोप लगा। हालांकि मामला यहीं नहीं थमा। कुछ ही घंटों बाद दूसरा वीडियो वायरल हुआ, जिसने पूरे घटनाक्रम की पुष्टि कर दी। वीडियो सार्वजनिक होते ही मेडिकल कॉलेज की छवि धूमिल हुई और छात्रों के परिजनों में भारी नाराजगी फैल गई। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के दबाव में कॉलेज प्रबंधन को कार्यवाही करने पर मजबूर होना पड़ा।
इस गंभीर मामले के संबंध में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने 12 सितम्बर 2025 को जांच समिति गठित की। समिति ने 19 सितम्बर 2025 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। कॉलेज काउंसिल ने 20 सितम्बर 2025 को रिपोर्ट के आधार पर और एन.एम.सी. के दिशा-निर्देशानुसार सर्वसम्मति से फैसला लिया।
आदेश के मुताबिक, इंटर्न छात्र शानू अग्रवाल और योगिता त्यागी (एम.बी.बी.एस. बैच 2020) को गंभीर अनुशासनहीनता के लिए दंडित किया गया। इनके लिए दो माह तक इंटर्नशिप से निलंबन, दो माह के लिए हॉस्टल से निष्कासन और प्रति व्यक्ति 25,000 रुपये का अर्थदण्ड तय किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कार्रवाई महत्वपूर्ण है, लेकिन केवल दो इंटर्न तक सीमित रहना पर्याप्त नहीं है। मेडिकल कॉलेज में इस तरह की घटनाओं ने छात्रों और प्रशिक्षुओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मामले की शुरुआत दबाने की कोशिश की गई थी, लेकिन सोशल मीडिया में वीडियो वायरल होने के बाद कॉलेज प्रबंधन पर दबाव बढ़ गया और अंतत: प्रशासन सक्रिय हुआ। अब जबकि जांच समिति बैठ चुकी है और कॉलेज काउंसिल ने सख्त निर्णय लिया है, उम्मीद जताई जा रही है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जाएगी।
स्थानीय नागरिक और छात्र नेताओं का कहना है कि बिरसा मुंडा मेडिकल कॉलेज जैसी प्रतिष्ठित संस्थान में यह स्थिति मूलभूत अनुशासनहीनता और प्रशासनिक कमजोरी को दर्शाती है। इंटर्न डॉक्टरों के बीच हुई मारपीट न केवल छात्र जीवन पर असर डालती है, बल्कि संस्थान की सार्वजनिक छवि को भी बुरी तरह प्रभावित करती है।
आदेश और जांच रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अनुशासनहीनता और हिंसा के मामलों में अब कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रशासन और कॉलेज प्रबंधन को यह सुनिश्चित करना होगा कि छात्रों की सुरक्षा और संस्थान की गरिमा दोनों की रक्षा हो। बिरसा मुंडा मेडिकल कॉलेज में यह विवाद यह भी दिखाता है कि मूलभूत अनुशासन और प्रबंधन की गंभीरता पर भरोसा अब परीक्षा में है। अगर प्रशासन समय रहते ठोस कदम नहीं उठाता है, तो संस्थान की प्रतिष्ठा सिर्फ कागजों और करोड़ों रुपये की झांकी तक सीमित रह जाएगी।