नदी पुनर्जीवन परियोजना में टू-वैली सिद्धांत का हुआ उल्लंघन

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परियोजना अधिकारियों ने चोटी से घाटी में लगाई छलांग

तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को रखा अंधेरे में

शहडोल। नदी पुर्नजीवन योजना में जिले में अब तक करीब पौने 200 करोड़ रूपये खर्च किये जा चुके हैं, लेकिन कुनुक नदी की हालत जस की तस बनी हुई है, नदी पुर्नजीवन के तहत लघु तालाब, टैंक, कंट्रूल टैंक, रपटा, स्टॉप डैम अरबों की राशि खर्च कर बनाये गये हैं, लेकिन स्टीमेट के अनुसार कहीं भी कार्य नहीं हुआ है। नदी पुर्नजीवन के नाम पर मनरेगा अधिकारी व प्रशांत लगरखा तथा बुढ़ार जनपद के अन्य सबइंजीनियरों ने भ्रष्टाचार की गंगोत्री में खूब डुबकी लगाई है। अधिकांश कार्य ठेके व मशीनरी से कराये गये हैं। जबकि मनरेगा मद से खर्च हो रही राशि में मजदूरों को कहीं कोई काम नहीं मिला। फर्जी बिल बाउचर बनाकर अरबो-खरबों की राशि का बंदर-बांट किया गया है।
यह है निर्माण कार्याे का हाल
संबंधित पंचायतों में जो जल संरक्षण के कार्य कराये गये हैं जैसे कि बड़े तालाब जिनमें अपस्ट्रीम एवं डाउन स्ट्रीम के स्लोप का ध्यान नहीं रखा गया है, जानकारी के अनुसार पटल निर्माण में काली मिट्टी का उपयोग भी नहीं किया गया है। स्टापडैम के कार्यो में बिना डिजाईन के सम्पादन किया गया है न ही कैचमेन्ट, एफलक्स एवं सिल्ट फैक्टर का ध्यान नहीं रखा गया है। एफलक्स का ध्यान न रखे जाने के कारण स्टापडैम का गेट बन्द होने के बाद नाले के संरचना के बगल से बह निकलने का भय है। सिल्ट फैक्टर का ध्यान न रखे जाने के कारण अत्यधिक गाद जमने का भी डर है।
स्टॉप डैमों में आई दरारें
हाल ही के निर्मित स्टाप डैमों में दरारे आ गई हैं, जिससे प्रतीत होता है कि संरचना में टेम्प्रेचर रेनफोर्समेन्ट भी नहीं दिया गया है। पंचायतों में जो जल संरक्षण के कार्य कराये गये हैं, जैसे कि बड़े तालाब जिनमें अपस्ट्रीम एवं डाउन स्ट्रीम के स्लोप का ध्यान नहीं रखा गया है, इसी तरह लघु व बड़े तालाब का काम मशीनों व ठेके से कराया गया है। स्टॉप डैम व रपटा का स्थल चयन उपयुक्त स्थान पर नहीं है। मनमर्जी से लघु तालाब, बड़े तालाब, स्टॉप डैम, रपटा निर्माण कराया गया है, जिसमें एसडीओ व उपयंत्रियों ने खुद ठेकेदारी कर काम कराया है। जिसके गवाह मौका स्थल निरीक्षण करने पर मजदूर, ग्रामीण, फोटो ग्राफ्स सहित वीडियो फुटेज से यह बात सामने आई है।
तकनीक के विपरीत कार्य
रिज टू व्हैली’’ के सिद्धांत में सर्वप्रथम मृदा संरक्षण के कार्य सम्पादित कराये जाते हैं, जिनमें लूज बोल्डर स्ट्रक्चर, गली प्लग इत्यादि हैं। उक्त कार्यो को सम्पादित कराये जाने के पश्चात् ही बड़े कार्य सम्पादित कराये जाते हैं जिनमें बड़े तालाब एवं स्टॉपडैम सम्मलित हैं, जबकि संबंधित पंचायतों में मृदा संरक्षण करने से पूर्व ही जल संरक्षण के कार्य सम्पादित कराये जा रहे हैं जो कि तकनीकी रूप से अनुचित है। जल संरक्षण के लिये सम्मानित किये जा चुके वरिष्ठ अधिकारी उमाकांत राव की देख-रेख में डी.पी.आर. अनुमोदन का कार्य हुआ है। उमकांत राव वर्तमान में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव भी हैं।
यह रहा उद्देश्य
नदी पुर्नजीवन कार्यक्रम के माध्यम से कैचमेन्ट एरिया में मृदा एवं जल संरक्षण की संरचनाएँ बनाकर सूख चुकी या सूखने की कगार पर पहुँच चुकी नदी के प्राकृतिक प्रवाह को पुर्नजीवित किये जाने का उद्देश्य रहा, मध्यप्रदेश के लगभग 45 जिलों में नदी पुर्नजीवन कार्यक्रम 2019 से क्रियान्वित किया जा रहा है। जो वर्ष 2023 तक चलेगा, जिले की कुनुक नदी का चयन उक्त परियोजना के लिए किया गया है। नदी पुर्नजीवन कार्यक्रम में ‘‘रिज टू व्हैली’’ के सिद्धांत पर विकास कार्य चयनित कर सम्पादित कराये जाने हैं। अरबो रूपये के विकास कार्य जिनका उल्लेख विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन में अग्रिम में प्रावधानित कर भोपाल प्रेषित किया गया है। विकास कार्यो को पहाड़ी से घाटी तक श्रृंखला में सम्पादित किया जाना था, लेकिन यहां प्रतिवेदन को दरकिनार कर सीधे टू-वैली सिद्धांत के विपरीत सीधे कार्य कराया गया है, जो आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है। मुख्य बिन्दु
1.पंचायत के उपयंत्रीयों एवं सहायक यंत्रियों से सांठ-गांठ कर बनाई डीपीआर।
2. सीधे वैली के कार्य संपादित करने से संरचनाओं में जल के सिवाय गाद जमेगी।
3. बिना डिजाइन के एस्टीमेट विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन में किए शामिल।
4. जल पुरुष उमाकांत उमराव को रखा अंधेरे में।
5. सूख चुकी नदी में बहा दिए करोड़ों ना मृदा रोकी ना जल संरक्षण हुआ।
6. नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम के करोड़ों लेकर फिर भी कुनुक की हालत जस की तस।
7. मनरेगा परियोजना अधिकारी राहुल सक्सेना सरकारी वाहन का दुरुपयोग कर अपने गृह जिले सिवनी की यात्रा भी करते हैं।
8. मनरेगा परियोजना अधिकारी पर दिव्यांग आदिवासी महिला कर्मचारी को प्रताडि़त करने का आरोप भी है।
9. भ्रष्टाचार की नदी बह चली सिवनी की ओर।
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