उमरिया सहायक आयुक्त ने संलग्रीकरण किया समाप्त

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उमरिया। शासकीय विभागों में वर्षों से संलग्रीकृत अधिकारी, कर्मचारी और शिक्षक मलाई छानने के आदी हो चुके थे। अब उन्ही पर गाज गिरने जा रही है। शासन के एक आदेश ने इन पंछियों को उनके उजड़े चमन का रास्ता दिखा दिया है। आयुक्त जनजातीय कार्य मप्र भोपाल ने हाल ही में संलग्रीक रण समाप्त करते हुए कड़े निर्देश जारी किए हैं। अखिलेश पाण्डेय सहायक आयुक्त उमरिया ने शासन के निर्देश को जारी किया है, जिसमें लेख है कि आयुक्त जनजातीय कार्य मप्र भोपाल दिनांक 10 दिसंबर 2024 द्वारा जारी निर्देश के परिपालन में जिला स्तर पर कर्मचारी/ अधिकारी/ शिक्षक संवर्ग का संलग्रीकरण तत्काल समाप्त/ निरस्त किया जाता है। निर्देशित किया जाता है कि समस्त प्राचार्य/संकुल प्राचार्य/ विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी पाली अपने क्षेेत्रांतर्गत संलग्र कर्मचारियों को उनके मूल पदस्थापना स्थान हेतु मुक्त करें। यही नहीं इस आशय का प्रमाण पत्र भी निर्धारित प्रपत्र में प्रस्तुत करें कि उनकी संस्था या संकुल अंतर्गत कोई भी कर्मचारी संलग्र नहीं है। ज्ञातव्य है कि संलग्रीकरण समाप्ति को लेकर शासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने पूर्व से भी आदेश जारी किए थे। लेकिन स्थानीय अमले के खेल और कमीशनबाजी के कारण वे निर्देश कभी प्रभावशील नहीं हो सके थे। इस बार तो शासन ने प्रमाण पत्र ही मांग लिया है। अब देखना है कि पदों पर बैठे ढीठ और मोटी खाल के अधिकारी, कर्मचारी और शिक्षक कहां तक आदेश का पालन करते हैं।
जानकारी मिली है कि यदि इस बार समय से प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं हुआ अथवा किसी ने फर्जी प्रमाणपत्र संलग्र किया तो निश्चित ही संबंधितों पर कठोर कार्रवाई हो जाएगी। क्योंकि संलग्रीकरण प्रशासन का एक ऐसा कीचड़ है जिसमें प्रशासन का पहिया जाम होने लगा है। इसलिए भी संलग्रीकरण समाप्त करना और इधर उधर मुह मारने वालों को उनकी सही जगह दिखाना जरूरी था। शासन के इस आदेश की प्रशासनिक गलियारें में इन दिनों से काफी चर्चा है। शासन ने व्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में एक ठोस कदम उठाया है। अब वह निकम्मों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की भी मंशा बना तो और भी अच्छा है। शासन के कई आदेश बड़ेे ही महत्वपूर्ण रहे हैं, लेकिन यहां सरासर हाईकोर्ट की अवमानना करने वाले घाघ हैं जिन्होने कभी किसी की नहीं मानी केवल अपने मन की ही की है। सहायक आयुक्त ने बीईओ पाली को विशेषतया निर्देश दिया है। पाली बीईओ स्वयं ही खासे घाघ हैं, शासन को चकमा देना और अनाधिकृत रूप से लाभ उठाना उनका शगल बन चुका है।

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