रेवड़ी की तरह परिजनो को बांटा तेंदूपत्ता बोनस की राशि

प्रबंधक के खिलाफ हुई शिकायत, 1 लाख 93 हजार की धांधली
शहडोल। विभागीय अफसरों की मॉनीटरिंग के अभाव में सरकारी दफतरों के अंदर तरह तरह के भ्रष्टाचार व्याप्त रहते हैं और वित्तीय अनियमितताओं की भरमार सी रहती है। इस संदर्भ में वन विभाग भी अछूता नहंी है, आए दिन यहां के फर्जीवाड़े भी प्रकाश में आते हैं। हाल ही में जयसिंहनगर लघु वन समिति की एक धांधली प्रकाश में आई है, जिसमें प्रबंधक ने नियमविरुद्ध तरीके से अपने परिजनों को लाभ पहुंचाया है। तेंदूपत्ता संग्रहण के समय तो हर साल गड़बड़ी और श्रमिकों के शोषण का मामला सुर्खियों में रहता है, बड़े अफसर जिन पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं। कहीं न कहीं उनकी भी मौन सहमति भी उनके साथ होती है जो भ्रष्ट गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
परिजनों को बांटा रेवड़ी
लघु वन समिति प्रबंधक जयसिंहनगर धिरेन्द्र सिंह ने वर्ष 2021 से 2023 तक की अवधि में अपनी सरपंच पत्नी तथा पुत्रों के नाम पर तेंदू पत्ता बोनस की राशि नियमविरुद्ध तरीके से प्रदान कराया। प्रबंधक के यह संबंधी तेंदू पत्ता बोनस के हकदार नहीं होते हुए भी इनके नाम से बैंक एकाउंट में राशि हस्तांतरित की गई। प्रबंधक ने करीब 1 लाख 93 हजार 4 सौ रुपए का फर्जीवाड़ा किया है। ज्ञातव्य है कि यह राशि तेंदू पत्ता संग्राहक श्रमिकों को दी जानी चाहिए थी। प्रबंधक ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अनुचित लाभ उठाया है।
बोनस की सूची में गड़बड़ी
प्रबंधक ने अपने परिजनों केा लाभ दिलाने के लिए तेदूपत्ता सूची में छेड़छाड़ की। उसमें नाम जोड़े जाने व हटाए जाने की प्रक्रिया की जानी बताई गई। जब सूची की जानकारी उप वनमण्डलाधिकारी द्वारा चाही गई तो उसे प्रस्तुत नहीं किया गया। संभवत: मैनेजर ने अपने फर्जीवाड़े को छिपाने के लिए ऐसा प्रयास किया था। पत्नी श्रीमती कुशुम सिंह कंवर मोहनी द्वारा 2021 से 2023 तक निरंतर बैंक से भुगतान प्राप्त किया। इनके प्राप्ति का कुल अंाकड़ा लगभग 1 लाख 27 हजार रुपए है। पुत्र राजेश कुमार कंवर द्वारा 2019 से 2023 तक विभिन्न तारीखों में कुल 8 बार राशि आहरित की गई। जिसका कुल आंकड़ा 33 हजार 619 रुपए है। पुत्र विनोद कु मार कंवर द्वारा 2020 से 2023 तक 11 बार लगभग 32 हजार 805 रुपए आहरित किए गए ।
क्या प्रबंधक के रिश्तेदार श्रमिक थे?
शिकायतकर्ता का कहना है कि तेंदूपत्ता बोनस के हकदार वे ही होते हैं जो तेंदूपत्ता संग्राहकों की तरह काम करते हैं और उसकी विभाग द्वारा पूरी एक प्रक्रिया की जाती है। यहां तो सूची में नाम जोड़ दिया गया जबकि काम नहीं कराया गया और फिर कई दिनों का काम दर्शाकर भुगतान लिया गया। यही नहीं अगर उक्त वर्षों एवं उसके पूर्व के वर्षों के बोनस सूची तथा तेंदूपत्ता खरीदी बुक की गहनता से अवलोकन किया जाए तो निश्चित रूप से कई गुना राशि प्रबंधक द्वारा अपनी पत्नी व बच्चों के नाम पर आहरित कराई गई होगी। जो राशि तेंदू पत्ता संग्रहण के वास्तविक श्रमिकों को दी जानी चाहिए थी वह राशि रेवड़ी की तरह परिजनों को बांटी गई।