वेदानुसारी जीवन यापन ही विश्व शान्ति का सशक्त माध्यम
वेदानुसारी जीवन यापन ही विश्व शान्ति का सशक्त माध्यम
उमरियापान। महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय ब्रह्मस्थान, करौंदी, कटनी (म.प्र.) में 02 फरवरी 2021 से 06 फरवरी 2021 तक ‘‘वैदिक वाङ्मय में शान्ति के सिद्धान्त‘‘ विषय पर पंचदिवसीय वेब शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें नृसिंह पीठाधीश्वर जबलपुर के जगद्गुरु श्यामदेवाचार्य महाराज जी, पराम्बाधाम जबलपुर के पीठाधीश्वर डाॅ. बालगोबिंद शास्त्री जी, जगद्गुरु राघवदेवाचार्य जी महाराज (जबलपुर), महामण्डलेश्वर स्वामी नित्यानन्द सरस्वती जी महाराज (गुजरात), कालीधाम जबलपुर के डॉ. स्वामी राधे चैतन्य महाराज जी के मुख्य वक्तृत्व, रानीदुर्गावती विश्वविद्यालय के संस्कृत पालि प्राकृत विभाग के निवर्तमान आचार्य एवं अध्यक्ष प्रो. कमलनयन शुक्ल, राजस्थान मंत्र प्रतिष्ठान के पूर्व निदेशक तथा जगद्गुरुरामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर के वेद विभाग के आचार्य वेद रत्न डाॅ. नारायण होसमने, नारायण वैदिक वास्तु संस्थान के संस्थापक डाॅ. दिनेश द्विवेदी, नगरनिगम श्री लोकनाथ शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय गोविन्द गंज जबलपुर के संस्कृत विभाग के आचार्य डाॅ. नर्मदा प्रसाद शर्मा, वेद एवं यज्ञानुष्ठान के मूर्धन्य विद्वान नर्मदा वेद वेदांग विद्यालय के प्राचार्य पं. दीपक शर्मा के विशिष्ट वक्तृत्व, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के सामवेद के मूर्धन्य विद्वान वेद विभाग के सहायक प्राध्यापक डाॅ. विजय कुमार शर्मा, डाॅ. सी.वी.रमन विश्वविद्यालय कोटा विलासपुर (छ.ग.) के संस्कृत विभाग के आचार्य एवं अध्यक्ष प्रो. वेदप्रकाश मिश्र, मुक्तानन्द संस्कृत महाविद्यालय बलसाड़ गुजरात के वेद विभाग के अध्यक्ष डाॅ. शरद चन्द्र साहू, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के वेदविज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. प्रलय कुमार नन्द, हरिद्वार उत्तराखण्ड के डाॅ. खुशेन्द्र चतुर्वेदी के अतिथि वक्तृत्व में यह सेमीनार सम्पन्न हुआ। समग्र भारत वर्ष से इस वेबीनार में जुड़े हुये सन्तों एवं वैदिक विद्वानों ने वेदानुसारी जीवन जीने हेतु उत्प्रेरित किया। चारांे वेदों, वेदांगों, उपांगों, ब्राह्मणों, आरण्यकों एवं उपनिषदों में उपनिबद्ध शान्ति के सिद्धान्तांे का उल्लेख करते हुये प्रायः सभी विद्वानों ने प्राकृतिक संविधान के अनुरूप जीवन शैली अपनाने पर जोर देते हुये कहा कि समग्र वैदिक वाङ्मय मंे शान्ति के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है। यदि मानव इनके अनुसार जीवन जीता है, तो निश्चिय ही समग्र विश्व में शान्ति की स्थापना हो सकेगी।महर्षि महेश महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भुवनेश शर्मा जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में शान्ति की स्थापना हेतु महर्षि महेश योगी द्वारा प्रतिपादित भावातीत ध्यान को अत्यन्त महत्वपूर्ण बताया। वेबीनार से जुड़े अतिथियों का परिचय एवं स्वागत उद्बोधन वेद – विभाग के आचार्य एवं अध्यक्ष तथा विश्वविद्यालय प्रभारी प्रो. उमाशंकर तिवारी ने दिया। वैदिक मंगलाचरण नीलकण्ठ पयासी, जगदीश पयासी, अक्षय औदीच्य, एस.पी. नागेश्वर, बसंत पति ने किया।कुलसचिव श्री अरविन्द सिंह राजपूत, दूरस्थ शिक्षा की निदेशिका श्रीमती नमिता पाठक, शैक्षणिक उपकुलसचिव श्री बी.के.शुक्ल, उपकुलसचिव (परीक्षा) श्री संदीप शर्मा, परीक्षा नियन्त्रक डाॅ. अखिलेश जैन, सहायक कुलसचिव स्थापना एवं प्रशासन डाॅ. अशोक चैहान के निर्देशन में उक्त किया गया। सभी विभागाध्यक्षों, प्राध्यापकों, सह प्राध्यापकों, सहायक प्राध्यापकों, समस्त अशैक्षणिक कर्मचारियों तथा इस बेवीनार को सम्यक् रूप से क्रियान्वित कराने में आशीष शर्मा एवं दीपक जैन अपनी महती भूमिका निभाई।कार्यक्रम का संचालन डाॅ. सुदेशबाला जैन ने एवं आभार प्रदर्शन श्री राजेश शर्मा, डाॅ. नन्दकिशोर नामदेव, श्री हरिनारायण शर्मा, श्री अक्षय औदीच्य ने किया।