वाहन मालिक और एजेंट परेशान,रिश्वतखोरी और अव्यवस्था का बोलबाला

0
(शुभम तिवारी)
शहडोल। जिले का परिवहन विभाग इस समय गहरे अव्यवस्थाओं और भ्रष्टाचार के दलदल में फंसा हुआ है। 18 स्वीकृत पदों वाले इस विभाग में केवल चार अधिकृत कर्मचारी पदस्थ हैं, जिनमें दो लिपिक, एक चौकीदार और एक चपरासी शामिल हैं। शेष पद वर्षों से रिक्त हैं, और इन रिक्तियों का लाभ उठाते हुए अनधिकृत व्यक्तियों ने विभागीय कार्यों की कमान संभाल ली है। वर्तमान में कार्यरत अधिकृत कर्मचारियों में शिवशंकर सिंह (ग्रेड-3, एलडीसी), श्रीमती नीलमणि भगत (ग्रेड-3, एलडीसी), प्यून हंसराज सिंह और चौकीदार संजय गुप्ता उर्फ पिंटू शामिल हैं। वहीं कुछ महीने पूर्व महिला अधिकारी अनपा खान को परिवहन अधिकारी के रूप में शहडोल में पदस्थ किया गया था, लेकिन इन चार कर्मचारियों की तुलना में कार्यालय की वास्तविक जिम्मेदारियां ऐसे लोगों के हाथ में हैं जिनकी कोई आधिकारिक नियुक्ति नहीं है।
अनाधिकृत लोगों का संचालन 
अनधिकृत व्यक्तियों की नियुक्ति पूर्व परिवहन अधिकारी आशुतोष सिंह भदौरिया के कार्यकाल के दौरान की गई थी। भदौरिया सात वर्षों तक शहडोल और सीधी जिले में कार्यरत रहे और उन्हीं के कार्यकाल में अरविंद सिंह, सचिन वर्मन, संदीप यादव और धीरेश गुप्ता जैसे लोगों को विभागीय कार्यों में लगा दिया गया। इनमें अरविंद सिंह खुद को स्टेनो बताता है और लेखापाल कक्ष में बैठता है। सचिन वर्मन ड्राइविंग लाइसेंस सेक्शन का प्रभारी बन बैठा है, जबकि धीरेश गुप्ता बस परमिट की फाइलें देखता है और दस्तखत तक करता है। इन सभी के पास किसी भी प्रकार की वैधानिक नियुक्ति नहीं है, लेकिन यह लोग अधिकृत अधिकारियों की तरह कार्य कर रहे हैं।
वाउचर और दस्तावेजों पर होते हैं अनधिकृत हस्ताक्षर
स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि अब विभागीय वाउचरों और दस्तावेजों पर भी इन्हीं अनाधिकृत लोगों के हस्ताक्षर देखे जा सकते हैं। ये लोग न केवल कार्यालय के भीतर बैठते हैं, बल्कि आवेदकों से खुलेआम रिश्वत लेते हैं और समय पर कार्य न करने की धमकी देते हैं। कुछ वाहन मालिकों और आरटीओ एजेंटों ने आरोप लगाया है कि इन लोगों द्वारा गाली-गलौज और मारपीट जैसी घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं।
नए अधिकारी के आने के बाद हालात और बिगड़े
हाल ही में अरपा खान को परिवहन अधिकारी पद पर नियुक्त किया गया, लेकिन उनके आने के बाद भी स्थिति सुधरने की बजाय और बिगड़ती नजर आ रही है। बताया जा रहा है कि पूर्व अधिकारी भदौरिया का प्रभाव अब भी विभाग पर कायम है और उन्हीं के इशारे पर अनधिकृत लोग कार्य कर रहे हैं। यहां तक कि नए परिवहन अधिकारी को भी संभवत: इस बात का आभास नहीं कि इन लोगों के माध्यम से उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
वाहन मालिकों और एजेंटों में गहरा आक्रोश
बीते कुछ दिनों में परिवहन कार्यालय में बढ़ी हुई फीस और बेवजह देरी के चलते स्थानीय वाहन मालिकों और आरटीओ एजेंटों ने सांकेतिक विरोध शुरू कर दिया है। इनका कहना है कि कार्यालय में मची अव्यवस्था और अनाधिकृत व्यक्तियों की दखलंदाजी के कारण न केवल विभाग की छवि धूमिल हो रही है, बल्कि सरकार के प्रति विश्वास भी टूट रहा है। विरोध करने वाले एजेंटों का कहना है कि कार्यालय के कार्यों में जानबूझकर देरी की जा रही है ताकि लोगों से अधिक राशि वसूली जा सके। विभागीय प्रक्रिया में पारदर्शिता खत्म हो चुकी है, और हर एक फाइल के लिए अलग-अलग व्यक्ति अवैध वसूली कर रहे हैं।
जिला प्रशासन और सरकार तक मामला पहुंचा
इस पूरे मामले को लेकर आरटीओ एजेंटों और वाहन मालिकों ने जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की है। लेकिन अभी तक किसी भी स्तर पर न तो जांच शुरू हुई है और न ही परिवहन अधिकारी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आई है। अरपा खान पिछले कई दिनों से कार्यालय में अनुपस्थित हैं, जिससे आक्रोश और गहराता जा रहा है। परिवहन विभाग इस समय एक ऐसे जाल में फंसा है जहां पर वैधानिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही जैसे शब्दों का कोई मूल्य नहीं बचा है। शासन और प्रशासन से मांग है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों को दंडित किया जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed