आवाम की आवाज @ उठो जागो जिला वासियो सही को सही और गलत को गलत बोलो

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हर पेशे का महत्व अपनी-अपनी जगह है, लेकिन समाज के लिए चिकित्सकों के पेशे से बढ़कर कोई दूसरा नहीं। तमाम लोग मानते भी हैं कि इनमें मरीजों की जान बचाने की क्षमता होती है। यहीं कारण है कि इन्हें धरती का भगवान का दर्जा दिया जाता है। कई बार जब कोई किसी की जान की दुआ मांगता है तो दिखने वाले भगवान के रूप में चिकित्सक ही नजर आते हैं। व्यावसायिकता हर क्षेत्र में बढ़ी है लेकिन शहर में कई ऐसे चिकित्सक हैं जिन्हें सही मायने में धरती के भगवान का दर्जा लोग देते हैं। इन चिकित्सकों ने मरीजों की सेवा के लिए खुद को समर्पित कर रखा है। कोरोना काल मे लॉक डाउन के समय जब सभी घर के अंदर थे लोग घर के बाहर जाने से भी कतरा रहे थे तब जिले के चिकित्सक ने अपना हाथ पीछे नही छोड़ा और जिले की जनता के लिए अपनी जान की परवाह किये बिना मरीजो का इलाज किया। लेकिन कितनी दुर्भाग्यपूर्ण बात है जब उन चिकित्सको को हमारी जरूरत है तो आज हम सामने नही आ रहे है। क्या यही इंसानियत का धर्म कहता है हम ये नही कहते आप उनका समर्थन करो लेकिन सही को सही और गलत को गलत बोलना सीखे।

कितने दुर्भाग्य की बात है आज जिले के वही 21 डॉक्टर राजनीति का शिकार होते नजर आ रहे है जिन्होंने कोरोना काल मे दिन रात महेनत की। जिले के मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर राजेश पांडे एवम सिविल सर्जन डॉक्टर व्ही एस बारिया को जांच कमेटी द्वारा क्लीन चिट मिलने के बाद भी राजनीतिक दबाव के कारण हटा दिया जाता है लेकिन क्या उनको हटाने के बाद जिला चिकित्सालय की व्यवस्था सुधारी ?

नही व्यवस्था नही सुधरी और बच्चों की मौत हुई जिस पर एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा गया कि डाक्टरो की गलती नही थी।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल जब व्यवस्था नही सुधारी तो जिले के उन वरिष्ठ डाक्टरो को क्लीन चिट देने के बाद क्यो हटाया गया जिनकी कोई गलती नही थी ?

उनको हटाने के बाद सिविल सर्जन के पद पर एक ऐसे डाक्टर को बैठा दिया गया जिसे कभी ओपीडी में न देखा गया हो। जिसका विरोध 21 डॉक्टर कर रहे है और ये 21 डॉक्टर और कोई नही जिले के वो ही डॉक्टर है जिन्होंने ने कोविड काल मे अपनी दिन रात सेवा जिला चिकित्सालय में दी। जिसे गांव शहर का हर मरीज जनता है

जनता करे फैसला
1. *जनता ने आज तक ओपीडी में अस्पताल में किन डाक्टरों को इलाज करते देखा* इन 21 डाक्टरो को या सिविल सर्जन परिहार को ?

2. 21 डाक्टरो के मन मे सिविल सर्जन बनने का *लालच नही* है उन्होंने साफ कहा है कि डॉक्टर परिहार के अलावा किसी को भी सिविल सर्जन का दायित्व सौप दिया जाए चाहे वो डॉक्टर यहाँ का न हो हम अपनी सेवाएं देने को तैयार है। तो प्रशासन द्वारा डाक्टरो पर अपना निर्णय क्यो थोपा जा रहा है ?

3. डाक्टरो पर बात न माने जाने के कारण उन्हें *मानसिक रूप से परेशान किया जाना किस हद तक सही क्या उन्हें अपने हक की लड़ाई लड़ने का अधिकार नही ?*

4. *डॉक्टर पटेल कितना सही है* अगर ये कमिश्नर महोदय अस्पताल में भर्ती मरीजों से पूछे , डॉक्टर पटेल से पूछे कि उन्हें *उमरिया सिविल सर्जन के पद से क्यो हटाया गया था* , तो उन्हें पता चल जाएगा ?

5. *जनता खुद फैसला करे कि वो आज जिले के इन 21 डाक्टरो के साथ खड़ी है या विरोध में ! लेकिन कोई भी फैसला करने से पहले ये मत भूलना ये वही 21 डॉक्टर है जिन्होंने कोरोना काल मे जिले में इस भीषण महामारी में भी इलाज किया, मत भूलना की ये वही डॉक्टर हैं जिन्होंने दिन रात जब हम अस्पताल पहुचे हमारा इलाज किया बिना किसी द्वेष भावना के ?*
6.आज प्रशासन इनकी बात नही सुन रहा है क्योकि जिले की जनता मौन है जिले की जनता फैसला करे कि वो एक डॉक्टर के कारण जिले 21 काबिल डाक्टरो को क्या खोना चाहेगी। या उनके समर्थन में उतरेगी?
7. जिले की जनता फैसला करे कि सरकार द्वारा अपना निर्णय डाक्टरो पर थोपना सही है ?.

*22 तारीख को जिले के 21 काबिल डाक्टरो ने* सिर्फ *एक डॉक्टर के कारण इस्तीफा दे दिया* जिसे अपने आज तक इलाज करते भी नही देखा होगा ।
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*मैं 21 डाक्टरो का समर्थन करता हु और उनकी इस लड़ाई में उनके साथ जिले का हर आम नागरिक है आप संघर्ष करे हम आपके साथ है* अब जिले में सरकार की मनमानी नही चलेगी।

    (आम नागरिक)

(उक्त कालम लेखक की स्वयं की अभिव्यक्ति है,halehulchal का खुद का अभिमत नही है*)

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