घर में घुस रहा पानी, अधिकारियों के निर्देश का पालन नहीं

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शहडोल। नगरपालिका प्रशासन की कार्यशैली कितनी गैरजिम्मेदार है यह इसी बात से पता चलता है कि कलेक्टर व
एसडीएम के निर्देश के बावजूद उसनेेे एक आम रास्ते की सामान्य समस्या का एक साल में भी निराकरण नहीं किया
है जबकि बस्तीवासी नागरिक पानी के भराव से परेशान है। जब प्रशासन के अधिकारियों के निर्देश नगरपालिका ठेंगे
में मार देती है तो आम आदमी की समस्या और उसके आवेदनों पर कितनी सुनवाई की जाती होगी, यह सहज ही

अनुमानित है। सोहागपुर की एक बस्ती की समस्या के निपटारे के लिए मई 2022 से अधिकारियों को आवेदन दिया
जा रहा है और आज भी हालत ज्यों की त्यों है।
सोहागपुर वार्ड नंबर 3 मौलाना आजाद स्कूल के पीछे निवासरत मो. मतीउल्ला खान स्व. गुलजार खान के निवास के
समीप सार्वजनिक मार्ग में बस्ती के कुछ लोगों ने मिट्टी डालकर रास्ता पाट दिया है। जिससे न केवल रास्ता बंद हो
गया बल्कि पानी केे निकासी का मार्ग भी अवरुद्ध हो गया है। गंंदा पानी आसपास फैल रहा है और वह मतीउल्ला के
घर में भी घुस रहा है। चूंकि मती उल्ला का घर वहीं पर है अत: उसे आने जाने में असुविधा हो रही है और घर में गंदे
पानी के भराव से अन्य परेशानियां भी हो रहीं हैं। इस समस्या के समाधान के लिए वह मई 2022 से कलेक्टर,
एसडीएम व नगरपालिका अधिकारी को निरंतर आवेदन दे रहा है। लेकिन आज तक सुनवाई नहीं हुई।
एसडीएम सोहागपुर ने 16 सितंबर 22 को नगरपालिका सीएमओ को निर्देश दिया था कि इस मामले मेें मौका
मुआयना कर तत्काल निराकरण करें। लेकिन समस्या आज एक साल बाद भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। नगरपालिका
को इतनी फुर्सत नहीं कि वह एसडीएम के निर्देेश का पालन कर सके। यही नहीं आवेदक ने 1 नवंबर 22 की
जनसुनवाई में भी कलेक्टर को पत्र दिया था लेकिन जनसुनवाई का भी कोई निराकरण नहीं हुआ। इससे पूर्व
मतीउल्ला ने वर्ष 2022 मेंं मई, जून, जुलाई, अगस्त में निरंतर अधिकारियों को आवेदन दिया और अपनी समस्या
मौखिक रूप से बताया, आश्वासन तो मिला लेकिन निराकरण आज तक नहीं हुआ।
बताया गया कि जो स्थिति सोहागपुर वार्ड नंबर 3 मतीउल्ला के घर के पास है उसी तरह की समस्याएं कुछ अन्य
बस्तियों में भी हैं जहां लोगों ने रंजिशवश आम रास्ता अवरुद्ध कर दिया है अथवा निस्तारी भूमि को अपनी बना कर
उसमें अतिक्रमण कर निकासी बंद कर दी है। इन मामलों के दर्जनों आवेदन नगरपालिका में विचाराधीन हैं, परेशान
नागरिक आए दिन चक्कर काट रहे हैं लेकिन नगरपालिका में न तो मौका मुआयना हो रहा है और न जमीनी विवाद
का निराकरण हो रहा है। बस्तियों में आए दिन इन्ही बातों का विवाद होता रहता है। जनसमस्याओं के निराकरण को
लेकर नगरपालिका की संवेदनशीलता घटती जा रही है।

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