“व्हाट्सएप ने जोड़े दिल – विवेक नगर में दशहरा बना अनूठी मिसाल, समाजसेवी राजेश पांडे की पहल बनी चर्चा का विषय”

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अनूपपुर । जिले के सोहागपुर एरिया कोड क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली विवेक नगर श्रमिक कॉलोनी और आसपास के गांव कोटवा, मोली देवी सहित ग्राम पंचायत देवरी क्षेत्र बीते दिनों एक ऐसी मिसाल बना जिसे सुनकर हर किसी का दिल गर्व से भर उठता है। यहां दशहरा का आयोजन इस बार केवल धार्मिक पर्व न रहकर सामाजिक एकता और तकनीक के सकारात्मक उपयोग का अद्भुत उदाहरण बन गया।

इस पूरे घटनाक्रम की नींव कई साल पहले स्थानीय समाजसेवी राजेश पांडे द्वारा रखे गए एक व्हाट्सएप ग्रुप से पड़ी। इस ग्रुप की खासियत यह है कि इसमें न केवल विवेक नगर और आसपास के गांवों के लोग जुड़े हैं बल्कि वे युवा भी शामिल हैं जो कभी यहीं पैदा हुए थे, पले-बढ़े थे, लेकिन अब रोजगार और परिवार के कारण देश के बड़े-बड़े शहरों और महानगरों में बस गए हैं। त्योहारों पर भी उनमें से अधिकांश घर नहीं लौट पाते, लेकिन दिल हमेशा अपने गांव की मिट्टी से जुड़ा रहता है।

यही जुड़ाव इस बार दशहरे पर एक नई रोशनी लेकर आया। दशहरे से कुछ दिन पूर्व राजेश पांडे और ग्रुप के अन्य सक्रिय सदस्यों ने अपील की कि क्यों न वर्षों पुरानी परंपरा को फिर से जीवंत किया जाए और विवेक नगर में भव्य दशहरा मनाया जाए। देखते ही देखते ग्रुप पर संदेशों की झड़ी लग गई। दिल्ली, मुंबई, भोपाल, जबलपुर और अन्य शहरों में बसे लोगों ने न केवल उत्साह जताया बल्कि आर्थिक सहयोग भी देना शुरू किया। कुछ ही घंटों में हजारों रुपए एकत्रित हो गए और आयोजन की रूपरेखा तय हो गई।


परिणाम यह हुआ कि वर्षों बाद विवेक नगर ने एक बार फिर ऐसा दशहरा देखा जिसने पुरानी यादें ताजा कर दीं। रावण दहन हुआ, आतिशबाजी हुई, गांव और कॉलोनी के लोग देर रात तक हर्षोल्लास में डूबे रहे। सबसे खास बात यह रही कि इस बार यहां के लोगों को दशहरा देखने के लिए बुढ़ार या अनूपपुर नहीं जाना पड़ा, बल्कि खुद विवेक नगर का मैदान हजारों लोगों की भीड़ से गूंज उठा।

इस आयोजन को और भी खास बनाने वाली बात यह है कि यह व्हाट्सएप ग्रुप केवल दशहरे तक सीमित नहीं है। बीते वर्षों में होली, दीपावली, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ही नहीं, बल्कि मुस्लिम समाज के त्योहार भी इसी तरह आपसी सहयोग और भाईचारे से मनाए जाते रहे हैं। लोग ऑनलाइन ही योजना बनाते हैं, सहयोग राशि एकत्रित करते हैं और फिर मिलजुलकर कार्यक्रम को सफल बनाते हैं।

विवेक नगर का यह प्रयोग आज चर्चा का विषय है। लोग कह रहे हैं कि जब तकनीक का उपयोग इस तरह समाज को जोड़ने, परंपरा को जीवित रखने और भाईचारे को बढ़ाने के लिए हो सकता है, तो यह हर जगह होना चाहिए। समाजसेवी राजेश पांडे को पूरा श्रेय दिया जा रहा है, क्योंकि उनकी पहल ने न केवल दूर-दराज़ बसे युवाओं को अपने गांव से जोड़े रखा बल्कि गांव के भीतर धार्मिक और सामाजिक एकता का सेतु भी मजबूत किया।

राजेश पांडे का कहना है – “व्हाट्सएप ने हमें अपने गांव की मिट्टी से जोड़े रखा है। भले ही लोग हजारों किलोमीटर दूर हों, लेकिन जब दिल जुड़े हों तो दूरी मायने नहीं रखती।”

वास्तव में यह अनूठा उदाहरण दिखाता है कि व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल सिर्फ संदेश भेजने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज और संस्कृति को जोड़ने की ताकत भी रखता है। विवेक नगर का यह दशहरा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन गया है कि तकनीक का सही उपयोग किस तरह अपने गांव और अपनी जड़ों से जुड़ाव बनाए रख सकता है।

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