कहां खो गया,इस शहर की सिंधी कालोनी का अस्तित्व

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Riport….Anil tiwari

शहडोल। लगभग तीन से चार दशक पहले मुख्यालय के इस मोहल्ले को आखिरी बार सिंधी कालोनी के नाम से संबोधित किया गया होगा,जिन लोगो के यहां आवास थे,समय ने उनको तोड़ा दिया या फिर इतना दे दिया की पूरी तरह से महाजनी से जुड़े इस समुदाय के लोगों ने लड़कर अपने हिस्से की जमीन लेने की जगह उसे छोड़ना ही मुनासिब समझा,मौका मिला तो दबंगों ने उन जमीन के टुकड़ों को हर तरफ से खींचना शुरू कर दिया,किसी के हाथ रूमाल लगा तो किसी चादर और किसी ने तिरपाल बिछा लिया, ठीक इसी तरह की कहानी संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र के नाम पर बनाई गई समिति के नाम पर आवंटित भू खंडों का भी हुआ, आज न तो आवंटित भू खंड पर नक्शे में दर्शाए गए स्थान पर पार्क है,न स्कूल और न ही मंदिर पर रिकार्ड में रखा नक्शा आज भी जिंदा है।

मुख्यालय से बुढार जाने वाले मार्ग पर जहां ओरिएंट पेपर मिल वाले भू खंड जिसे हरिओम दाल मिल के संचालको ने अन्य के साथ मिलकर लिया हुआ है,यह भू खंड ठीक उसके सामने अभय कुंज नामक बारात घर से सटा हुआ उसी के इर्द गिर्द फैला हुआ है।

वर्तमान में इस भूखंड में निर्माण कार्य जारी है,कहते है निर्माण बिना अनुमति के चल रहा है, कुछ निर्माण अभयकुंज के अंदर जारी है,कुछ उसके बगल से और काफी कुछ अभयकूंज के पीछे चल रहा है, यहां बड़े बड़े भवन और कालोनी भी बनाई जा रही है,इस पूरे भू खंड के सबसे पिछले हिस्से में जो काय जारी है जानकर बताते है की उसकी अनुमति नगर पालिका और ग्राम तथा नगर निवेश से नही है,नक्शा भी पास नहीं हुआ और हुआ भी है तो उस तरह से निर्माण जारी नही है।

बहरहाल सिंधी कालोनी के नाम का सूर्य लगभग अस्त होता दिख रहा है,सिर्फ अस्त होते समय की कुछ लालिमा शेष नजर आ रही है,जो शायद आशा के किरण के रूप में तब्दील हो जाए……

(लगातार …..शेष …अवशेष तक )

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