पर्दे के पीछे कौन? राहुल बिहारी ने उगले संरक्षकों के नाम, सत्ता, समाज और अपराध की स्याह सच्चाई आई सामने कॉल डिटेल ने खोली पावर सर्कल की परतें-नेता, व्यापारी और पत्रकार तक पहुंची पुलिस जांच
पर्दे के पीछे कौन? राहुल बिहारी ने उगले संरक्षकों के नाम, सत्ता, समाज और अपराध की स्याह सच्चाई आई सामने
कॉल डिटेल ने खोली पावर सर्कल की परतें-नेता, व्यापारी और पत्रकार तक पहुंची पुलिस जांच
कटनी।। जिले का कुख्यात नाम राहुल बिहारी, जो लंबे समय से शहर के अपराध जगत में आतंक का दूसरा नाम बन चुका था, अब पुलिस गिरफ्त में है लेकिन उससे भी बड़ा झटका उसके पीछे खड़े उन “संरक्षकों” का खुलासा है, जिन्होंने इस गैंग को वर्षों तक बचाए रखा। पुलिस रिमांड पर हुई पूछताछ में राहुल बिहारी ने ऐसे नाम उगले हैं, जिन्हें सुनकर पुलिस से लेकर राजनीति और व्यापार जगत तक में सन्नाटा छा गया है। सूत्रों के अनुसार, कोतवाली पुलिस ने अब तक एक दर्जन से अधिक प्रभावशाली व्यक्तियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब-तलब किया है। इस सूची में नगर निगम अध्यक्ष, भाजपा युवा मोर्चा माधव नगर मंडल अध्यक्ष, एक स्थानीय पत्रकार, कुछ व्यापारी, ठेकेदार और भूमाफिया से जुड़े नाम शामिल हैं। पुलिस का दावा है कि जिन लोगों को नोटिस भेजा गया है, उनके खिलाफ तकनीकी प्रमाण, कॉल रिकॉर्ड्स और संदिग्ध ट्रांजेक्शन के संकेत मिले हैं।
रिमांड में खुला बड़ा राज़-राहुल ने बताया किसने दिया संरक्षण
जानकारी के मुताबिक, जब पुलिस ने राहुल बिहारी को पांच दिन की रिमांड पर लिया, तो पूछताछ में उसने यह स्वीकार किया कि वह कई वारदातों के बाद स्थानीय प्रभावशाली लोगों से संपर्क करता था और उन्हें पूरी जानकारी देता था। सबसे पहले उसने जिस नाम का खुलासा किया, वह नगर निगम अध्यक्ष का था। इसी के बाद कोतवाली पुलिस ने सोमवार शाम उन्हें नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। इसके बाद राहुल ने भाजपा युवा मोर्चा माधव नगर मंडल अध्यक्ष हर्ष पांडे का नाम सामने रखा। हर्ष पांडे का बिहारी गैंग से पुराना परिचय और संपर्क की बातें पहले भी चर्चा में रह चुकी हैं। इन दोनों नामों के अलावा राहुल ने कुछ व्यापारियों और एक स्थानीय पत्रकार के नाम भी बताए, जो उसके लिए सूचना और सहायता के स्रोत बताए जा रहे हैं।
कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) ने किया बड़ा खुलासा- वारदातों से पहले होती थी बातचीत
पुलिस ने जब राहुल बिहारी की कॉल डिटेल की गहन जांच की, तो जो सामने आया वह चौंकाने वाला था। करीब एक दर्जन स्थानीय प्रभावशाली लोगों के नंबर राहुल के मोबाइल में बार-बार ट्रेस हुए हैं। जांच में पाया गया कि हर बड़ी वारदात के पहले और बाद में राहुल इन्हीं लोगों से फोन पर बात करता था। कुछ कॉल्स ऐसे भी हैं जो वारदातों के मिनटों पहले या बाद हुए जो यह संकेत देते हैं कि गैंग को कहीं न कहीं से संरक्षण या सूचना मिल रही थी। सूत्रों के अनुसार, राहुल के मोबाइल से कई ऑडियो रिकॉर्डिंग और व्हाट्सऐप चैट भी बरामद हुई हैं, जिनमें संदिग्ध बातचीत दर्ज है। पुलिस इन्हें तकनीकी साक्ष्य के रूप में फोरेंसिक जांच के लिए भेज रही है।
बैंक खातों और डिजिटल ट्रांजेक्शन की भी जांच शुरू
पुलिस सूत्रों का कहना है कि अब जांच का दायरा केवल कॉल डिटेल तक सीमित नहीं रहेगा। राहुल बिहारी और उसके संपर्क में आए लोगों के बैंक खातों, डिजिटल पेमेंट्स और UPI लेन-देन की भी जांच शुरू कर दी गई है। प्रारंभिक जांच में कुछ खातों में असामान्य रकमों का लेन-देन पाया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि अपराधों से हुई उगाही का पैसा इन्हीं रसूखदार खातों में पहुंचाया गया।
पुलिस का सख्त संदेश संरक्षण देने वालों पर भी होगी कड़ी कार्रवाई
कोतवाली पुलिस के सूत्रों का कहना है कि यदि जांच में यह साबित होता है कि किसी ने राहुल बिहारी गैंग को संरक्षण दिया या वारदातों में सहयोग किया, तो उन्हें भी अपराध का सहभागी माना जाएगा। पुलिस ने ऐसे 12 से अधिक लोगों को नोटिस भेजते हुए उनकी भूमिका पर लिखित जवाब मांगा है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ प्रभावशाली लोगों को आने वाले दिनों में थाने बुलाकर आमने-सामने पूछताछ भी की जाएगी। पुलिस के सख्त रुख ने अब शहर के बड़े नामों की नींद उड़ा दी है।
कटनी के राजनीतिक और सामाजिक हलकों में मची खलबली
राहुल बिहारी गैंग की जांच अब केवल अपराध तक सीमित नहीं रही यह अब सत्ता, समाज और कारोबार की गलियों तक पहुंच चुकी है।
शहर में हर गली-मोहल्ले में चर्चा है कि आखिर इतने सालों तक यह गैंग कानून की पकड़ से कैसे बचता रहा? क्या कानून के रखवाले और समाज के ठेकेदार ही अपराध के छत्रछाया बने बैठे थे? पुलिस जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कटनी का पॉवर सर्कल बेचैन हो उठा है। अब सवाल सीधा है “राहुल बिहारी को ताकत किसने दी, और अपराध की जड़ें आखिर कहां तक फैली हैं?” पुलिस सूत्रों का मानना है कि यदि यह जांच बिना दबाव और निष्पक्ष रूप से आगे बढ़ती है, तो यह कटनी को अपराधियों के पूरे नेटवर्क से मुक्त कर सकती है। लेकिन, यह तभी संभव है जब संरक्षण देने वाले रसूखदारों पर भी उतनी ही सख्ती दिखाई जाए जितनी गैंग पर दिखाई गई है।