आदित्य फ्लाई एश ब्र्रिक्स प्लांट में बिना सुरक्षा उपकरणों के हो रहा कार्य
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आदित्य फ्लाई एश ब्र्रिक्स प्लांट में माशूम बच्चियां कर रहीं मजदूरी
मुख्य मार्ग में संचालित ब्रिक्स प्लांट से निकलने वाली डस्ट से परेशान राहगीर
पर्यावरण विभाग और लेबर विभाग की लापरवाही का फायदा उठा रहा संचालक
ग्राम सकरा के मुख्य मार्ग में संचालित आदित्य फ्लाई एश ब्रिक्स प्लांट में खुलेआम नियमों की अनेदखी की जा रही है, माशूम नाबालिक बालिकाओं को कार्य में रखकर मजदूरी कराया जा रहा है वही प्लांट में कार्यरत किसी भी मजदूर के पास सुरक्षा के कोई भी उपकरण नही है, जिसके कारण एश डस्ट से होने वाली बीमारियों की चपेट में मजदूर सहित क्षेत्रवासी आ रहे है।
अनूपपुर। जिले में फ्लाई एश की ओवरलोडिंग और ईंट निर्माण में अवैध तरीके से उपयोग को लेकर बड़ा खेल खेला जा रहा है। नियमों को ताक पर रखकर निर्माण कार्य किए जा रहे हैं और इसमें सबसे बड़ा अपराध यह है कि इन ईंट प्लांटो पर बाल मजदूरों से काम कराया जा रहा है। यह पूरा खेल ग्राम सकरा-राजेन्द्रग्राम मुख्य मार्ग में संचालित आदित्य ब्रिक्स प्लांट में चल रहा है। जहां खुलेआम नाबालिग बच्चों को जहरीली फ्लाई एश के बीच बिना सुरक्षा उपकरणों के काम कराया जा रहा है। आदित्य ब्रिक्स प्लांट पर चल रहे इस खेल में जिला प्रशासन, श्रम विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के अधिकारी सब कुछ जानकर भी आंखें मूंदे बैठे हैं। शिकायतें मिलने के बावजूद न तो फैक्ट्री पर कोई कार्यवाही की जा रही है और न ही बाल श्रम को रोकने का कोई प्रयास किया जा रहा है।
फ्लाई एश के नाम पर जहरीला खेल
अनूपपुर जिले में बड़े स्तर पर फ्लाई एश का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन नियमों का कोई पालन नहीं हो रहा। फ्लाई एश को ईंट निर्माण में उपयोग करने के लिए सीमेंट और अन्य जरूरी सामग्री का मिलाया जाना अनिवार्य होता है, ताकि गुणवत्ता बनी रहे। लेकिन आदित्य ब्रिक्स प्लांट में बिना सीमेंट मिलाए ही ईंटें बनाई जा रही हैं, जिससे ये ईंटें बेहद कमजोर हो जाती हैं। खबरें हैं कि इन ईंटों की सप्लाई जिले में चल रहे कई सरकारी और निजी निर्माण कार्यों में की जा रही है। आने वाले दिनों में यह ईंटें बड़े स्तर पर चचाई और पावर प्लांट की परियोजनाओं में बेची जाएंगी। यह स्पष्ट रूप से गुणवत्ता से खिलवाड़ और भ्रष्टाचार का संकेत है।
बाल मजदूरों का खुला शोषण
प्रतिष्ठित अखबार ‘राज एक्सप्रेस‘ की पड़ताल में सामने आया कि आदित्य ब्रिक्स प्लांट में दर्जनभर मजदूर बिना किसी सुरक्षा उपकरण के फ्लाई एश के बीच काम कर रहे हैं। इनमें 15 से 17 साल के नाबालिग लडक़े और लड़कियां शामिल हैं, जो जहरीले फ्लाई एश के संपर्क में आकर गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। मध्य प्रदेश में ‘बैगा जनजाति‘ को संरक्षित वर्ग में रखा गया है, जिन्हें सरकार आर्थिक सहायता प्रदान करती है। लेकिन आदित्य ब्रिक्स के मालिक ‘शिवम ट्रेडर्स‘ इस वर्ग के बच्चों को जबरन मजदूरी पर लगा रहे हैं, जिससे उनका शोषण हो रहा है। जब इन बच्चों से उनकी उम्र पूछी गई, तो वे सही जवाब तक नहीं दे पाए। यह स्पष्ट है कि प्लांट के मालिक इन्हें न केवल मजदूरी पर लगा रहे हैं, बल्कि इनके शोषण को छिपाने की भी कोशिश कर रहे हैं।
बाल श्रम पर सख्त कानून फिर भी नही कार्यवाही
भारत में ‘बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986‘ के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम कराना पूरी तरह से अवैध है। लेकिन अनूपपुर में यह कानून केवल कागजों तक सीमित रह गया है। शहर में जब छोटे होटलों, दुकानों और मॉल में बाल श्रमिकों की तलाश में छापेमारी होती है, तो प्रशासन यह दावा करता है कि बाल श्रम पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। लेकिन ‘राज एक्सप्रेस‘ की पड़ताल में यह साबित हो चुका है कि शिवम ट्रेडर्स द्वारा संचालित आदित्य ब्रिक्स में खुलेआम बाल मजदूरों से काम लिया जा रहा है। प्रशासन के उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही। इससे साफ है कि इस पूरे खेल में मोटी रिश्वत का लेन-देन हो रहा है।
कमजोर ईंटों से बढ़ेगा हादसों का खतरा
फ्लाई एश से बनने वाली ईंटों के निर्माण में गुणवत्ता के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनमें सीमेंट और अन्य सामग्रियों के सही अनुपात का होना अनिवार्य है। लेकिन आदित्य ब्रिक्स प्लांट में इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, इन ईंटों की मजबूती जांचने के लिए किसी तरह की प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती। सिर्फ उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। यदि कमजोर ईंटों का उपयोग सरकारी या निजी भवनों में किया जाएगा, तो इन इमारतों की नींव ही कमजोर होगी और भविष्य में गंभीर हादसों का खतरा बढ़ेगा।
मोटी रकम लेकर हो रही सेटिंग
फ्लाई एश का उपयोग करने वाली इकाइयों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) से अनुमति लेना अनिवार्य होता है। लेकिन खबरें हैं कि आदित्य ब्रिक्स प्लांट को यह अनुमति केवल कागजों में ही मिली हुई है। पीसीबी के अधिकारियों को इस इकाई की नियमित जांच करनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। बताया जा रहा है कि ‘शिवम ट्रेडर्स‘ द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को मोटी रकम दी जा रही है, ताकि वे निरीक्षण के नाम पर आंखें मूंद लें। पहले जब पीसीबी के पुराने अधिकारी यहां जांच के लिए आते थे, तो फैक्ट्री में फ्लाई एश स्प्रिंकलर और अन्य सुरक्षा उपकरण देखे जाते थे। लेकिन नए अधिकारी के आते ही यह सब गायब हो चुका है। अब सिर्फ कागजों में ही सुरक्षा उपाय दिखाए जा रहे हैं।
क्या होगी कार्रवाई या फिर चलता रहेगा यह खेल?
अनूपपुर जिले में आदित्य ब्रिक्स प्लांट पर चल रहे इस अवैध खेल के खिलाफ अब तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है। सवाल यह उठता है कि क्या जिला प्रशासन इन बाल मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए कोई कदम उठाएगा?, क्या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भ्रष्टाचार से मुक्त होकर फ्लाई एश के अवैध उपयोग की जांच करेगा?, क्या लेबर विभाग इन गरीब मजदूरों की दुर्दशा को रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई करेगा?। अगर अब भी कोई कदम नहीं उठाया गया, तो यह साफ हो जाएगा कि प्रशासन और बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा चल रहा है। ऐसे में जनता को ही इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी होगी, ताकि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जा सके। आने वाले समय में अगर यह लापरवाही जारी रही, तो यहां से निकलने वाली ईंटें किसी बड़े हादसे की नींव रख सकती हैं। प्रशासन को अब यह तय करना होगा कि वह अपनी जिम्मेदारी निभाएगा या फिर इस गोरखधंधे की आड़ में माया के जाल में फंसकर मौन रहेगा।
इनका कहना है
हम संबंधित विभाग को सूचित कर रहे है, निरीक्षण में पहुंच कर व्यवस्था का जायजा लिया जायेगा, किसी भी प्रकार की कमियां पाई जाती है तो संवैधानिक कार्यवाही भी की जावेगी।
सुधाकर सिंह बघेल, एसडीएम अनूपपुर
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आदित्य फ्लाई एश ब्रिक्स प्लांट का निरीक्षण किया जायेगा, जांच में कमियां पाई जाती है तो नोटिस जारी कर जवाब मांगा जायेगा, उपयुक्त जवाब न मिलने पर कार्यवाही की जावेगी।
बी.एम. पटेल, वरिष्ठ वैज्ञानिक
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहडोल