योग से निरोग रहने के साथ मिलती है आध्यात्मिक शक्ति और ऊर्जा का संचार- योगाचार्य बालयोगी
बर्फानी आश्रम अमरकंटक में आयोजित हुआ अष्टांग योग शिविर
अनूपपुर। अमरकंटक स्थित बर्फानी आश्रम के श्री महंत योगाचार्य लक्ष्मण दास बाल योगी ने शुक्रवार को बर्फानी आश्रम अमरकंटक में आयोजित अष्टांग योग शिविर में प्रशिक्षणओ को संबोधित करते हुए कहा कि योग से शरीर तो निरोग होता ही है साथ साथ में ऐसी अध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है जिससे शरीर को नई ऊर्जा मिलती हैस उनका मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है। हर वर्ष इस दिन को एक खास थीम के साथ मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य योग के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना होता है। इस साल योग फॉर सेल्फ एंड सोसायटी की थीम के योग दिवस 2024 मनाया जा रहा है यह थीम इस बात को दर्शाती है कि योग सिर्फ व्यक्तिगत कल्याण के लिए ही नहीं इह दिन भारत के लिए बेहद खास होता है, क्योंकि योग के मामले में भारत को विश्व गुरु माना जाता है। योग का हम सभी के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। माना जाता है कि इसे करने से व्यक्ति बड़े से बड़े तनाव से छुटकारा पा सकता है। आजकल ऑफिस और पारिवारिक समस्याओं के चलते हर दूसरा व्यक्ति तनाव से ग्रस्त है। ऐसे में सभी को योग करने की विशेष सलाह दी जा रही है। इससे न केवल मानसिक शांति मिलती है बल्कि सोचने समझने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। वहीं कुछ लोग योग न करके ध्यान करने पर अधिक विश्वास रखते हैं, क्योंकि इससे सुकून और संतुलन होने का एहसास होता है। इसके अलावा ध्यान व्यक्ति को भावनात्मक रूप से भी मजबूत बनाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ध्यान, धारणा, समाधि का योग से क्या संबंध है? अगर नहीं तो आइए जान लेते हैं।
ध्यान, धारणा, समाधि का योग से क्या संबंध है ?
महर्षि पतंजलि को दुनिया का पहला योग गुरु माना जाता है। उन्होंने योग के अभ्यास और दर्शन पर गहरा प्रभाव डाला है। साथ ही योग के 196 मुद्राओं को आम लोगों के लिए सहेजा है। योग के आठ अंग माने जाते हैं, जिसे अष्टांग कहते हैं। इनमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि का नाम शामिल है। अष्टांग योग करने से शारीरिक रूप से ताकत और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। शरीर के सभी अंगों को मजबूत करने के लिए योग के इन आठों अंगों का अभ्यास करना अनिवार्य है। इससे शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार से शांति भी मिलती है। दूसरे शब्दों में कहे तो ध्यान, धारणा और समाधि ये सभी योग के चरण है, जो एक साथ मिलकर अष्टांग का निर्माण करते है।
ध्यान, धारणा और समाधि में अंतर
ध्यान, धारणा, समाधि ये योग के चरण माने जाते हैं। ध्यान करते समय व्यक्ति अपनी एकाग्रता को गहराई तक ले जाने का प्रयास करता है, जिससे एकाग्र क्षमता बढ़ती है। साथ ही इसे करने से मन के विचलन को भी कम किया जाता है। वहीं धारणा की हमारे जीवन में अहम भूमिका होती है। धारणा में व्यक्ति बाहरी चीजों से मन हटाकर एक बिंदु पर स्थिर होता है। इसमें मन पूरी तरह से शांत और किसी एक चीज पर केंद्रित हो जाता है। इस दौरान व्यक्ति को आंतरिक शांति और स्पष्टता का अनुभव होता है। इसके अलावा समाधि, जिसे योग का अंतिम स्तर माना जाता है। इसे आध्यात्मिक और ध्यान की उच्च अवस्था कहते है, जिसमें व्यक्ति को शांति और सुकून का अनुभव होता है।