करोड़ों का फिल्टर प्लांट, बांट रहा बीमारियां

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करोड़ों का फिल्टर प्लांट, बांट रहा बीमारियां
कागजों में होती है सफाई और डलती हैं दवाईयां
पानी के नाम पर कर्मचारियों की फौज, पर बांट रहे मैला पानी
बीते कई महीनों से बांट रहे नाली से भी गंदा पानी
मामला एसईसीएल के सोहागपुर एरिया स्थित फिल्टर प्लांट का


संंंओतत

(संतोष शर्मा)

कोल प्रबंधन के स्थानीय नुमाईंदे सामाजिक जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ चुके हैं, प्रभावित क्षेत्र के गैर कर्मचारियों की बात तो दूर सोहागपुर एरिया के कर्मचारियों और उनके परिजनों को भी शुद्ध पानी नसीब नहीं हो रहा है। यह अलग बात है कि घर-घर पानी पहुंचाने के लिए आधा सैकड़ा से अधिक कर्मचारी, उन्हें मोटा वेतन और हर माह लाखों रूपये का बजट मेंटेनेंस और पानी को शुद्ध करने के लिए खर्च हो रहा है, बावजूद कालरी के नलों से नाली से भी मैला व गंदा पानी घरो में पहुंच रहा है।


धनपुरी। नपा सहित आस-पास के ग्रामों में कोल इंडिया की आधा दर्जन से अधिक कालोनियों में भारी बरसात के बावजूद शुद्ध पानी का संकट गहराया हुआ है, कोल प्रबंधन द्वारा खुद के कर्मचारियों के घरों में पानी पहुंचाने के लिए धनपुरी नंबर 3 में करोड़ों की लागत से फिल्टर प्लांट बनाया गया है, इसके अलावा संजय कोयला नगर, विवेक नगर सहित अमलाई व बंगवार, राजेन्द्रा, दामिनी के कालोनियों के समीप भी प्लांट बनाये गये हैं, लेकिन ये सभी प्लांट सिर्फ जुगाड़ का चारा गाह बन गये हैं। धनपुरी नंबर 3 स्थित फिल्टर प्लांट में सिर्फ मरम्मत और पानी को शुद्ध करने के नाम पर हर माह लाखों रूपये खर्च होते हैं और उससे कई गुना अधिक यहां कार्यरत कर्मचारियों को वेतन दिया जाता है। इतने बड़े खर्च के बाद नतीजा क्या निकल रहा है, यह धनपुरी नंबर 3 के ही कालरी कालोनी के आवासों में फिल्टर प्लांट से पहुंच रहे मटमैले पानी को देखकर लगाया जा सकता है।


…तो क्या धृतराष्ट्र हैं महाप्रबंधक
धनपुरी नंबर 3 स्थित फिल्टर प्लांट से महाप्रबंधक कार्यालय की दूरी 1 किलोमीटर के आस-पास होगी, एरिया मुख्यालय के इतने करीब होने के बाद भी यहां पेयजल जैसी मौलिक आवश्यकता से खिलवाड़ किया जा रहा है, इस फिल्टर प्लांट से पूरे 3 नंबर, रेलवे कालोनी सहित एरिया से लगे सभी कालरी कालोनियों में पानी सप्लाई होता है, करीब 2 से 3 माह से नलों में गंदा मटमैला पानी घरों तक पहुंच रहा है, यही कर्मचारी एरिया सहित विभिन्न माईंसो में काम करते हैं, इनके द्वारा फिल्टर प्लांट सहित एरिया और विभिन्न उपक्षेत्रों में शिकायतें भी की गई है, लेकिन मुखिया अन्य दर्जनों मातहत कर्मचारियों की तरह धृतराष्ट्र बन चुके हैं।


लाखों खर्च कर, ले रहे बीमारियां
कोल प्रबंधन पानी की व्यवस्था के लिए कर्मचारियों की एक बड़ी फौज को हर माह लाखों का वेतन देती है और लगभग उतना ही खर्च फिल्टर प्लांट की व्यवस्थाओं व पानी को शुद्ध करने के लिए भी करती है, बावजूद इसके नतीजा शून्य है, यह माना जा सकता है कि कोल प्रबंधन लाखों रूपये खर्च करके अपने ही कर्मचारियों और उनके परिवार को बीमारियां भेंट कर रही है।

अन्य कालोनियों का भी यही हाल
धनपुरी नंबर 3 के फिल्टर प्लांट के अलावा अमलाई कालोनी के लिए गीता ग्राम मार्ग पर पानी के टैंक बनाये गये हैं, संजय नगर और विवेक नगर में भी अलग-अलग व्यवस्था है, लेकिन यहां जिन टंकियों से पानी सप्लाई होता है, यदि कर्मचारी एक बार उन्हें अपनी आखों से जाकर देख ले तो वह कभी भी उक्त प्लांट से अपने घर में पानी की सप्लाई नहीं लेगा। 3 नंबर स्थित फिल्टर प्लांट की तरह ही अन्य स्थानों पर भी छोटे प्लांटों में कर्मचारियों की फौज है, लेकिन उनका काम अब सिर्फ समय पर पम्प चालू करना और बंद करना रह गया है, कई टैंकों में तो ऊपर ढक्कन ही नहीं है और टैंकों कल तलछटी में 2 से 3 फिट का कचरा वर्षाे से जमा हुआ है।

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