केप निर्माण में असुरक्षा के बीच शासन ने झोंखी सैकड़ा भर जिंदगियां

बिना सोशल डिस्टेंस व मॉस्क, ग्लब्स, सेनेटाईजर के काम कर रहे मजदूर
कोरोना वॉयरस की एक चिंगारी ले सकती है सैकड़ों जिंदगियां
शहडोल। जिले सहित पूरे प्रदेश में हुई बम्फर धान खरीदी के बाद उसके परिवहन और केप तथा गोदामों में रखने की समस्या खड़ी हो गई थी, इस समस्या के हल के लिए प्रदेश और केन्द्र सरकार ने केप निर्माण को लेकर फुर्ती दिखाई, लेकिन इसी बीच कोरोना वॉयरस के कारण लॉक डाऊन हो गया, प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद पूरे देश में आगामी 14 अप्रैल तक लॉक डाऊन है, इस लॉक डाऊन के बीच खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण संचनालय भोपाल से रवि विपणन वर्ष 2020-21 में उपार्जित स्कंध की भण्डारण व्यवस्था के लिए मध्यप्रदेश वेयर हाऊस एवं लॉजिस्टिक्स कॉपोरेशन के माध्यम से जिले में 3 स्थानों पर केप निर्माण कराये जा रहे हैं, सनद रहे कि यह निर्माण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा दिये गये 22 मार्च के जनता कफ्र्यू और उसके बाद 21 दिनों के लॉक डाऊन की घोषणा के बाद यहां निर्माण कार्य जारी रहे। सवाल यह उठता है कि यदि उपार्जित की गई धान के भण्डारण की व्यवस्था के लिए यदि केप के निर्माण अत्यावश्यक हैं तो, केप निर्माण के दौरान विभाग के संचालक अविनाश लवानिया द्वारा जारी किये गये आदेश पत्र क्रमांक 1506 दिनांक 26 मार्च 2020 के परिपालन में निर्माण एजेंसी ने उल्लेखित बिन्दु के अनुसार मजदूरों से कार्य कोरोना संक्रमण सुरक्षा व्यवस्था के साथ क्यों नहीं करवाये।
यह हो रहा जिले में
जिले के जयसिंहनगर विकास खण्ड से जनकपुर मार्ग पर स्थित ग्राम सरवारी के समीप मुख्य मार्ग पर मध्यप्रदेश वेयर हाऊस कापोरेशन के देख-रेख में निर्माणाधीन केप में सैकड़ा भर से अधिक महिला और पुरूष मजदूर लगे हुए हैं। इन सैकड़ा भर मजदूरों को कार्य के दौरान मॉस्क, हैण्ड ग्लब्स और सेेनेटाईजर जैसी व्यवस्था नहीं दी गई है, यही नहीं श्रम कानूनों के तहत इन मजदूरों को सुरक्षा के अन्य उपकरण भी न देते हुए यहां सोशल डिस्टेंस का खुलकर माखौल उड़ाया जा रहा है।
कहीं कोविड-19 जोन न बन जाये जिला
केप निर्माण के लिए भोपाल कार्यालय द्वारा जो पत्र कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को दिये गये हैं, उसमें भारत सरकार के गृह मंत्रालय और प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव द्वारा जारी पत्र का हवाला देकर कार्य की अनुमति इस शर्त पर दी गई है कि केप निर्माण के दौरान मजदूरों को कोरोना संक्रमण सुरक्षा के साथ काम कराया जाये, यही नहीं अगले बिन्दु में यह भी उल्लेख किया गया है कि निर्माण के लिए जिस सामग्री की आवश्यकता है, उसकी उपलब्धी भी जिस स्थान से हो रही है, वहां भी कोरोना संक्रमण सुरक्षा व्यवस्था का ख्याल रखने के बाद ही अनुमति दी जाये। मौके पर कार्य कर रहे सैकड़ा भर से अधिक मजदूर और वहां पर निर्माण सामग्री में ईंट, रेत, सीमेंट आदि की उपलब्धता कराने के दौरान भी वाहनों को यहां आने की तो, छूट है, लेकिन यह देखा जा रहा है कि आपूर्तिकर्ता के द्वारा भी प्रदेश और केन्द्र सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण व सुरक्षा व्यवस्था के लिए सुझाये गये निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। सोशल डिस्टेंस का पालन किये बिना ही महज केप निर्माण के लिए सैकड़ों मजदूरों को बिना सुरक्षा के झोंकना उस समय बड़े संकट का कारण बन सकता हैं, जब पूरा देश और विश्व कोरोना वॉयरस से लिप्त एक-एक व्यक्ति की स्क्रीनिंग और गिनती कर रहा है।
वैध खदाने बंद, तो रेत भी चोरी की!
नई खनिज नीति के बाद पंचायत को रेत खदानों को अधिकार शून्य हो गये, पुरानी स्वीकृत खदानों की अवधि पूरी हो गई, दूसरी तरफ नये ठेकेदार ने अभी तक खदानें चालू नहीं की, ऐसी स्थिति में यह समझ से परे हैं कि जयसिंहनगर में केप निर्माण के लिए ठेकेदार द्वारा भारी मात्रा में जिस रेत का उपयोग किया जा रहा है, वह कहां से खरीदी जा रही है, आरोप तो यह भी है कि मौके का फायदा उठाकर ठेकेदार ने क्षेत्र के छोटे-मोटे वाहन मालिकों को लालच देकर उन्हें रेत चोरी केे काम में भी झोंख दिया है, रूपयों की लालच में वाहन मालिक और वाहनों में काम करने वाले मजदूर कोरोना संक्रमण के बीच पेट भरने की जंग लड़ रहे हैं।
अधिकारी ने भी माना, अवैध है रेत
खनिज अधिकारी सुश्री फरहत जहां ने रेत के संदर्भ में बताया कि फूड कंट्रोलर से चर्चा और शासन से आये आदेशों के बाद के्रशर संचालकों को गिट्टी की टीपी काटने के लिए आदेश दिये गये हैं, चूंकि जिले में कोई भी वैध खदान जिंदा नहीं है, अत: रेत के लिए कटनी जिले से हाइवा में रेत लाने के लिए कथित निर्माण एजेंसी को मौखिक तौर पर कहा गया था, यदि वहां की जगह आस-पास से रेत उठाई जा रही है तो, रेत अवैध है।