ग्राउण्ड रिपोर्ट @ संजय पाठक का रिसोर्ट अवैध भूमि ही नही,आदिवासी की भूमि पर भी है बना…!!

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ताला कोर जोन की बाऊंड्री में संजय पाठक की रिसोर्ट का था कब्जा
सेंसटिव जोन के साथ ही शासकीय भूमि पर भी कर रखा था अतिक्रमण
नोटिस के बाद भी की अनदेखी, प्रशासन ने चलाया बिलडोजर

बांधवगढ़ में रिसोर्ट के व्यवसाय में रसूखदारों ने कब्जा जमा रखा है, प्रशासन ने कई बार नियमों का पालन करने और अतिक्रमण हटाने की हिदायत दी, लेकिन उसे अनसुना कर दिया गया। शनिवार को प्रशासन ने कार्यवाही की तो, संजय पाठक ने उसे राजनैतिक रंग देने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी, जबकि यह पूरा मामला काफी दिनों से लंबित था।

  1. भोपाल/उमरिया। विश्वविख्यात बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के ताला जोन में संचालित होटलो एवं रिसोर्ट संचालकों को जिला प्रशासन द्वारा वन एवं शासकीय भूमि में किए गए अतिक्रमण हटानें तथा सेंसटिव जोन के नियमों का पालन नही करने पर जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही के निर्देश पूर्व में दिए गए थे। जिन रिसोर्ट संचालकों द्वारा नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है, उनके विरूद्ध कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है। कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी ने बताया कि यह कार्यवाही सतत रूप से जारी रहेगी। ग्राम ताला के निर्मल छाया ने नेचर रिसोर्ट (सायना रिसोर्ट )द्वारा मप्र शासन की शासकीय भूमियों 260 एवं 321 पर अतिक्रमण किया गया था, जिसके संबंध में नायब तहसीलदार ताला द्वारा 11 फरवरी को आदेश पारित कर अनावेदक को स्वत: कब्जा हटानें का अवसर दिया गया था। अनावेदक द्वारा कब्जा नही हटानें पर 7 मार्च को कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी के मार्गदर्शन में राजस्व विभाग के दल द्वारा अतिक्रमण हटानें की कार्यवाही की गई।
    कोर जोन से सटा है रिसोर्ट
    भाजपा विधायक संजय पाठक के नेचर रिसोर्ट (सायना रिसोर्ट) में प्रशासन के द्वारा शनिवार को कार्यवाही करते हुए सेंसटिव जोन और शासकीय भूमि से अतिक्रमण तो हटाया गया, लेकिन जो बात सामने आई, उसमें यह भी खबर है कि सायना रिसोर्ट ताला कोर बाऊंड्री से सटा हुआ है। इतना ही नहीं कोर बाऊंड्री और रिसोर्ट के बीच 9 फिट की एक रोड का ही फासला है। एनटीसीए, केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ ही वन विभाग के नियमों के उल्लंघन कर उक्त रिसोर्ट को संचालित किया जा रहा है।
    कई एकड़ में किया था कब्जा
    बताया गया है कि उक्त रिसोर्ट साढ़े 5 एकड़ में बना हुआ है, इसके अलावा सेंसटिव जोन के साथ ही शासकीय भूमि पर करीब 5 एकड़ में कब्जा किया गया था, अपनी कारगुजारियों को छुपाने के लिए खाली पड़ी हुई जमीन पर फसल भी लगा रखी थी, प्रशासन बार-बार अतिक्रमण हटाने के लिए पत्राचार कर रहा था, उसके बाद भी रसूखदार विधायक और उसके कारिंदों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, ऐसा नहीं है कि सिर्फ संजय पाठक के रिसोर्ट पर कार्यवाही की गई है, इसके अलावा अन्य रिसोर्टों पर भी प्रशासन ने कार्यवाही की और कईयों को नोटिस भी जारी किये हैं।
    आदिवासी से खरीदी थी जमीन
    इस मामले में स्थानीय लोगों का कहना है कि संजय पाठक ने रिसोर्ट बनाने के लिए जमीन ताला निवासी तीरथ सिंह गोड़ से ली थी और फिर वह जमीन विजयराघवगढ़ में रहने वाले नन्हू कोल के नाम पर नामांतरण करा दी। 3 से 4 साल पहले तात्कालीन एसडीएम जगदीश यादव के सामने यह मामला पहुंचा था कि आदिवासी की जमीन पर व्यवसायिक उपयोग हो रहा है, जिसके बाद कुछ कार्यवाही की हलचल सुनाई दी थी, फिर भाजपा शासनकाल में पूरे मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया।
    निर्मल छाया के नाम हो गई भूमि
    स्थानीय वाङ्क्षशदों की माने तो भाजपा शासनकाल में मंत्री रहे संजय पाठक ने तात्कालीन कलेक्टर से आदिवासी की जमीन निर्मल छाया रिसोर्ट संचालक हर्ष कपूर के नाम पर नामांतरण करवा दी। हालाकि आदिवासी की जमीन को गैर आदिवासी को देने का अधिकार कलेक्टर को ही है, भाजपा शासनकाल में कई ऐसे संजय पाठक जैसे नेता रहे हैं, जिन्होंने सारे नियमों को सत्ता के रसूख के बल पर बौना साबित करते हुए अपने व्यवसाय को संचालित करने के लिए शिथिल करा दिया। केन्द्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने भी बांधवगढ़ में कई एकड़ जमीन खरीदी है, उस मामले ने भी तूल पकड़ा था, लेकिन भाजपा शासनकाल के दौरान उस मामले को भी ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया।

क्या इस ओर भी जायेगी नजर

प्रशासन ने प्रतिबंधित व शासकीय भूमि से सायना रिसोर्ट का कब्जा तो हटा दिया, लेकिन जानकारों का कहना है कि आदिवासी की जमीन नियमों के तहत गैर आदिवासियों को नहीं दी जा सकती है, अगर कलेक्टर ने जमीन गैर आदिवासी को नामांतरण करने के आदेश दिये होंगे तो, कुछ शर्तें जरूर जोड़ी होंगी। वहीं कुछ और जानकारों का यह भी कहना है कि विक्रयकर्ता आदिवासी के पास बेचने के बाद 5 एकड़ सिंचित जमीन या फिर 10 एकड़ असिंचित जमीन होनी चाहिए, तभी वह मान्य होती है। इतना ही नहीं विक्रयकर्ता या जमीन देने वाले की भूमि उसी जिले में भी होनी चाहिए, बहरहाल अगर इस पूरे मामले में सूक्षमता से जांच हुई तो, कई कटघरे में खड़े होते नजर आयेंगे।

साख बचाने दे रहे राजनैतिक रंग
प्रशासन ने जो कार्यवाही की वह अपने दायरे में आकर की और इसकी मोहलत भी दी गई थी, कार्यवाही के बाद जो सच्चाईयां सामने आई कि कोर जोन की बाऊंड्री से सटकर रिसोर्ट संचालित हो रहा है, जबकि बीते 4 से 5 दिनों से प्रदेश की सियासत में चल रही उठापटक के बीच हुई इस कार्यवाही को भाजपा विधायक अपनी गलतियों को न मानकर राजनैतिक रंग देने में जुटे हुए है, देखना यह होगा कि आने वाले समय में सच्चाई किस तरफ रहेगी।
इनका कहना है…
पुरानी जानकारी मेरे पास तो नहीं है, पर यह जरूर है कि तात्कालीन कलेक्टर ने विजयराघवगढ़ के निवासी नन्हू कोल से जमीन का नामांतरण निर्मल छाया रिसोर्ट संचालक हर्ष कपूर के नाम पर करने के आदेश दिये थे, जो कि अभी के रिकार्ड में मौजूद है, अगर ऐसा कुछ है तो, पिछली जानकारियां भी निकाली जायेंगी।
वीरेन्द्र पाण्डेय
तहसीलदार, ताला
जिला उमरिया

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