मुनि की माया कोई समझ न पाया

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…तो खुद प्रभारी खरीद रहा किसानों से धान
जाँच हुई तो चौंकाने वाले तथ्य आएंगे सामने

(Amit Dubey-8818814739)
शहडोल। जिले में धान खरीदी केन्द्रों की संख्या लगभग 39 है, जिसमें कुछ धान खरीदी केंद्र बड़े धान खरीदी केन्द्रों की श्रेणी में गिने जाते हैं। लेकिन इन धान खरीदी केन्द्रों में होने वाली अनियमितताओं को नजर अंदाज करने की कोशिश की जा रही है। एक अर्से से डटा यहां का लैम्पस मैनेजर जिसके ऊपर लोकायुक्त में आय से अधिक सम्पत्ति रखने का मामला भी विचाराधीन रहा। उस पर प्रशासन की नजरें नहीं पड़ सकी और अब तो वह सेवामुक्त होने की कगार पर है। अगर यह कहा जाये कि मुनि की माया कोई समझ न पाया तो शायद अतिशंयोक्ति नहीं होगी। ऐसे – ऐसे घोटालों को अंजाम दिया गया जिस पर किसी भी अधिकारी की नजर नहीं पड़ी।
बारी ही खा रही खेत
ऐसी जानकारी सामने आई है कि इस बार रसमोहनी में सफीक खान को धान खरीदी केंद्र का प्रभारी बनाया गया है। मुनिलाल साहू और प्रभारी ने मिलकर एक नया ड्रामा शुरू किया है और उस ड्रामें में खुलकर किसानों का शोषण हो रहा है। जिस तरह से किसानों को ठगा और छला जा रहा है वह कुछ कम नहीं है। जानकारों की अगर मानें तो इसबार कई किसानों का रजिस्ट्रेशन सरकार ने निरस्त कर दिया है और किसानों का रजिस्ट्रेशन निरस्त होने के बाद आखिरकार किसानों की धान जाये कहां। इसलिए सफीक खान ने व्यक्तिगत रूप से धान खरीदी कर इस कारोबार को अंजाम दिया है। यूं तो इस तरह का यह कारोबार जिले के अधिकांश धान खरीदी केन्द्रों में है पर चूंकि रसमोहनी क्षेत्र को धान का कटोरा कहा जाता है और केशवाही भी इस मामले में कम नहीं है, इसलिये इन दोनो केन्द्रों पर अगर प्रशासनिक नजर पड़ी तो हो सकता है चौंकाने वाले तथ्य सामने आये।
मजदूर बन गये किसान
धान खरीदी केन्द्रों पर जहां किसानों को राहत मिलनी चाहिए। वहीं किसानों को खुद मजदूरी करनी पड़ रही है। रसमोहनी धान खरीदी केंद्र में कुल 11 मजदूर लगाये गये हैं और इन्हीं मजदूरों के भरोसे धान खरीदी केंद्र में किसानों की धान भरने का काम किया जा रहा है। हर बार यहां मजदूरों का टोंटा रहता है, जबकि सरकारी आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाये तो हर वर्ष किसानों की सुविधा के नाम पर क्या – क्या किया जाता है यह सारे के सारे तथ्य सामने आ जाएगें। गौरतलब है कि अपने धान को सही समय पर सोसायटी में देने के लिये मजबूरन किसानों को मजदूरी करनी पड़ रही है। ऐसे में इस धान खरीदी केंद्र में धान कितना लाभकारी किसान के लिये है और प्रभारी तथा लैम्पस प्रबंधक के लिये यह तो मौके पर ही देखा जा सकता है।
43 किलो की खरीदी
इस केंद्र पर किसानों को लूटने का काम भी जारी है, मरता क्या न करता किसान मजबूरी में 43 किलो धान देने के लिये मजबूर है। जबकि 40 किलो की धान खरीदी का नियम है एवं 600 या 700 ग्राम बोरे के वजन सहित अधिकतम 41 किलो ही धान ली जा सकती है। लेकिन धान में जिस तरह का खेल खेला जा रहा है, वह भी कुछ कम  नहीं है। पिछली बार तो छत्तीसगढ़ की धान खरीदकर रसमोहनी ने रिकार्ड तोड़ा था और जब यह पूरा का पूरा मामला मीडिया के सामने आया तो लैम्पस  प्रबंधक के पैरों तले की जमीन खिसक गई थी और इस बार भी गुपचुप तरीके से ऐसा ही कुछ चल रहा है यह भी जानकारी मिली है।
मोस्चर मशीन खराब
हर धान खरीदी केंद्र पर मोस्टर मशीन दी गई है ताकि धान की नमी को नापकर ही धान खरीदी की जाये। लेकिन धान खरीदी केंद्र पर यह मशीन खराब पाई गई। पिछली बार तत्कालीन कलेक्टर अनुभा श्रीवास्तव ने एक जांच दल बनाकर धान खरीदी केन्द्रों की वास्तविकता का आंकलन करवाया था। लेकिन जहां सरकार धान खरीदी केंद्रों के लिये चिंतित है और किसानों के लिये अपना खून-पसीना बहाने के लिये तैयार है वही मुनिलाल की माया पर प्रशासनिक लगाम नहीं लग पाने के कारण बेहिचक किसानों का शोषण जारी है। यहां सब कुछ सेटिंग के आधार पर चल रहा है, डीआर हो या खाद्य विभाग का अमला सबने अपनी-अपनी गोटी फिट कर रखी है और मुनिलाल इस कला में माहिर हैं। वैसे भी विगत वर्ष सेल्समैन की भर्ती में जब मामला प्रशासन तक गूंजा था तब भी मुनिलाल ने चुपचाप इस पूरे मामले को वजन के तले दबा दिया था। धान खरीदी का घोटाला कोई नया नहीं है, इस कला में उक्त लैम्पस प्रबंधक माहिर खिलाड़ी की तरह काम कर रहे हैं।
तो क्या कलेक्टर की पड़ेगी नजर
जिले के मुखिया को चारो ओर नजर रखनी चाहिए लेकिन वर्तमान में यह पूरी तरह से सफल होता नहीं दिखाई दे रहा अन्यथा धान खरीदी केन्द्रों में बरती जाने वाली अनियमितताओं पर अब तक दो-चार पर कार्यवाही हो चुकी होती। वैसे भी यह रसमोहनी का लैम्पस प्रबंधक एवं वर्तमान खरीदी केंद्र का प्रभारी सफीक खान अपनी मनमानी पर उतारू है। कलेक्टर अगर रसमोहनी से ही शुरूआत करें तो हो सकता है पूरे जिले की वास्तविकता सामने आ जाएगी। अपुष्ट सूत्रों का यह भी कहना है कि इस धान खरीदी केंद्र में धान का सार्टेज होना बताया जा रहा है।

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