सरकारी भोजन के सहारे गरीबों का पेट

शहडोल पहले, अनूपपुर दूसरे और उमरिया तीसरे स्थान पर
(Anil Tiwari-)
शहडोल। लॉक डाऊन के पहले चरण के समाप्त होने के बाद दूसरे चरण के शुरू होने के बाद जो आंकड़े प्रशासन की ओर से सामने आये हैं, उसे अगर माने तो वह चौकाने वाले हैं। कोई भूखा न रहे इसके लिए सरकार ने तीन माह का खाद्यान्न पहले से ही आवंटित कर दिया, इसके अलावा अतिरिक्त खाद्यान्न भी दिया गया है, लेकिन पका हुआ भोजन भी सरकारे लोगों को उपलब्ध करा रही हैं। सरकार के अलावा स्वयंसेवी संस्थाएं, समाज सेवी और कई ऐसे लोग गरीबों, असहाय और निर्धनों, निराश्रितों को भोजन पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
शहडोल के आंकड़े बेहतर
१० लाख से अधिक आबादी वाले जिले में रोजाना ६५०० पैकेट से अधिक भोजन पूरे जिले भर में सुबह और शाम बांटा जा रहा है, प्रभारी डॉ. मदन त्रिपाठी ने बताया कि अलग-अलग क्षेत्रों में शासन की व्यवस्था के अलावा व्यापारी संघ, स्वयंसेवी संस्थाएं इस काम में जुटी हुई है, इसके अतिरिक्त ३५०० कच्चा खाद्यान्न रोजाना वितरित हो रहा है। शहडोल ने बेहतर काम करते हुए अपनी कार्यकुशलता को दिखाया।
अनूपपुर में २५०० पैकेट
जिला खाद्य अधिकारी और कोरोना महामारी के दौरान भोजन प्रभारी विपिन पटेल ने बताया कि उनके पास जो आंकड़ा है, वह सीएमओ और जनपद के सीईओ के द्वारा उपलब्ध कराया गया है, जिसमें २५०० लोगों को पका भोजन के पैकेट उपलब्ध कराये जा रहे हैं। वहीं बिजुरी व कोतमा में कई समाजसेवी भी इस काम में जुटे हुए हैं। इसके अतिरिक्त कच्चा खाद्यान्न भी वितरित किया जा रहा है, अभी स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि चचाई थाना क्षेत्र के अमलाई में युवाओं और संस्था के द्वारा रोजाना हजार से ज्यादा निराश्रितों को डोर-टू-डोर भोजन पहुुंचा जा रहा है, जब उन्हें पता चला कि यह काम किया जा रहा है तो, उन्होंने इसे सराहा, लेकिन जब उन्हें यह पता चला कि अनुमति के लिए आवेदन एसडीएम अनूपपुर कमलेश पुरी को दिया गया था, लेकिन उन्होंने स्वीकृति नहीं दी, शायद वह अनुमति दे देते तो, यह आंकड़ा अनूपपुर के लिए बेहतर होता।
उमरिया में १५०० पैकेट
जनसंपर्क अधिकारी गजेन्द्र द्विवेदी ने बताया कि भोजन की व्यवस्था सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग आनंद राय सिन्हा के द्वारा की जा रही है, उनके द्वारा रोजाना १५०० पैकेट पका भोजन वितरित किया जा रहा है, इसस ज्यादा उन्हें जानकारी नहीं है। ५ लाख से अधिक जनसंख्या वाले जिले में बाहर से भी कई लोग आये हैं, जो कि मजदूरी के लिए दूसरे राज्य में गय थे, वहीं जो संस्थाएं, स्वयंसेवी या व्यक्तिगत रूप से नि:शुल्क भोजन पैकेट, खाद्यान्न का वितरण या अन्य कार्य लॉक डाऊन की अवधि से कर रही थी, कलेक्टर ने १३ अप्रैल को आदेश जारी करते हुए उन्हें अनुमति लेने को कहा, अनुमति न मिलने तक लॉक डाऊन एवं धारा १४४ का उल्लंघन मानते हुए कार्यवाही के लिए आदेश निकाला था, पता नहीं उसके बाद कितने लोग यह काम कर रहें है कि, जितने पैकेट प्रशासन के द्वारा रोजाना बांटे जा रहे हैं, उससे कई गुना अधिक पुलिस के द्वारा उमरिया में रोजाना बांटे जा रहे हैं, वह भी हर थाना क्षेत्र में है।