सेवा करके दूसरो के लिए बने मिसाल: मधुश्री रॉय
शहडोल । मैंने कभी भी अपनी शारीरिक कमी को अपनी कमजोरी नहीं बनने दी बल्कि इसे अपनी ताकत बनाई और यही सोचा कि मुझसे जो भी इन बच्चों के बन पड़ेगा मैं करुँगी और मरते दम तक समाज की सेवा करती रहूंगी। उक्त उद्गार प्रकट करते हुए प्रेरणा फाउंडेशन की सचिव श्रीमती मधुश्री रॉय ने कहा कि जब दुर्घटना में मैंने अपने पैर खो दिए तो मैंने मैं पहले तो घबराई अपनी हिम्मत खो दी लेकिन अगले ही पल मैंने खुद को सम्हाला और सोचा कि समाज में बहुत से दुखी बेबस और लाचार हैं जिनके लिए मैं कुछ कर सकती हूँ । और मैंने अपना जीवन इन बच्चों के नाम कर दिया । मैंने अपनी संस्था प्रेरणा फाउंडेशन को उन बच्चो के लिए समर्पित कर दिया जो हम जैसे नहीं है बल्कि हमसे बढ़कर कर हैं इन्हे हम अपने प्यार और सम्मान देकर समाज कि मुख्य धारा से जोड़ सकते हैं ।
हमे चाहिए की हम सेवा पीड़ित मानवता की सेवा करे और दूसरों के लिए मिसाल बने ।
मुझे इन बच्चो के साथ जो खुशी मिलती हैं वह मैं आपको शब्दों में बयां नहीं कर सकती हूं । आज विश्व दिव्यांग दिवस पर मैं आप सब से यही कहना चाहूंगी कि इन दिव्यांग बच्चो को आपकी दया की नहीं बल्कि स्नेह सेभरे साथ की जरुरत है आप सब इन बच्चों का मनोबल बढ़ाइए । उल्लेखनीय है कि श्रीमती मधुश्री रॉय ने एक दुर्घटना में अपने पैर खोने के बाद भी कभी भी हिम्मत नहीं हारी बल्कि और मजबूती के साथ आगे बढ़कर समाज और दिव्यांगजनों की सेवा कर रही है ।