हकदारों को छोड़ अतिक्रमणकारियों को पारित किया मुआवजा

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विवादित भूमि की शिकायत के बावजूद बढ़ा दी भुगतान के लिए फाईल

(Amit Dubey-8818814739)
उमरिया। उमरिया से शहडोल तक बने नये एनएच-43 में राजस्व विभाग के अधिकारियों ने मुआवजा वितरण में जो खेल-खेला, उसमें वास्तविक हकदार आज भी मुआवजें के लिए चक्कर काट रहे हैं, लेकिन एसडीएम अनुराग सिंह ने अपने रीडर और रिश्तेदार को न सिर्फ मुआवजा दिया, बल्कि शहर के ही सफेदपोश, रसूखदार और पूंजीपतियों को उपकृत करने का काम किया गया, यह पूरा खेल कमीशन के फेर में किया गया, मामले की शिकायत भी पहुंची, लेकिन उसके बावजूद शासकीय भूमि पर करोड़ों के मुआवजे भुगतान की फाईल को आगे की कार्यवाही के लिए भेज दिया गया।
चाचा को भतीजे ने दी मात
खलेसर में रहने वाले फूल सिंह मरावी ने बताया कि उसने एसडीएम अनुराग सिंह को शिकायत की थी कि आराजी खसरा क्रमांक 329 रकवा 0.599 हेक्टेयर भूमि संयुक्त खाते की भूमि थी, जो कि बाद में दो बटांक में विभाजित हुई, 329/1 फूल सिंह को मिली और 329/2 भूपेन्द्र सिंह के हिस्से में गई, भूपेन्द्र एसडीएम के कटनी से रिश्तेदार भी लगते हैं, इसलिए उसे 8 आरए का मुआवजा स्वीकृत कर दिया गया, जबकि उसकी भूमि भी राष्ट्रीय राजमार्ग से लगी हुई है, परन्तु वह आज भी मुआवजे के लिए परेशान है। ऐसे और भी कई लोग हैं जो कि भूपेन्द्र और एसडीएम की तानाशाही के चलते अपने अधिकारों से वंचित रहे।
सामने छोड़ पीछे का दिया मुआवजा
शिकायतकर्ता फूल सिंह चंदेल का आरोप है कि 329/1 आराजी की भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग से लगी हुई है, जो की एकदम सामने है और उसके हिस्से की है, 329/2 जो कि भूपेन्द्र सिंह के आराजी की भूमि है, वह उसके पीछे है, लेकिन राजस्व के कर्मचारियों और अधिकारियों ने ऐसा खेल-खेला कि वास्तविक हकदार को मुआवजे के लाभ से वंचित रखते हुए जिसकी भूमि सड़क में एक इंच में नहीं गई, उसे लाखों रूपये का मुआवजा पारित कर दिया।
गायब करा दी फाईल
नये एनएच-43 पुराने एनएच-78 पर ही बनाया गया है, यह जरूर है कि मार्ग की चौड़ाई बढ़ाई गई है, जब एनएच-78 का निर्माण हुआ था, उस दौरान भी मुआवजे का वितरण किया गया था, नये एनएच-43 की स्वीकृति मिलने पर जब एमपीआरडीसी के अधिकारियों ने एसडीएम बांधवगढ़ और भू-अर्जन अधिकारी कार्यालय से पुराने मुआवजे की फाईल तलब की तो, फिर से मुआवजा लेने की फिराक में बैठे नटवरलालों ने पुरानी फाईल को ही गायब करा दिया। जिसके चलते सड़क निर्माण के लिए एमपीआरडीसी को फिर से मुआवजा बांटना पड़ा।
मामला खुलने के बाद भी बढ़ा दी फाईल
नये एनएच 43 पर शासकीय आराजी 668/ 669 में दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर अतिक्रमणकारियों के बीच समझौता कराने का मामला सामने आने के बावजूद भी एसडीएम ने भुगतान की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए फाईल को सड़क विकास निगम के माध्यम से एनएचएआई कार्यालय भोपाल भेज दिया गया है, जो कि दिल्ली जायेगी, जहां से करोड़ों रूपये की राशि इन 7 अतिक्रमणकारियों को मिलेगी, जिनमें एसडीएम के रीडर भूपेन्द्र सिंह चंदेल, राजेश शर्मा, सुशील सिंह, विनोद आहूजा, किशोर छतवानी, लक्ष्मण दास खट्टर और अशोक सचदेव शामिल है, यह जरूर है कि खुलासा होने के बाद कुछ लोगों के मुआवजे की राशि में फेर बदल किया गया है, लेकिन प्रशासनिक मुखिया ने अभी तक इस मामले में जांच क्यों नही बैठाई, यह भी एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है।
रीडर के घर से चलता है कार्यालय
शिकायतकर्ता ने बताया कि एसडीएम के रीडर भूपेन्द्र सिंह अपने घर से ही एसडीएम के कार्यालय का संचालन करते हैं, यहां पर लोगों का आना-जाना बना रहता है, सारी डीलिंग भी यही से होती है और लेन-देन का हिसाब-किताब भी भूपेन्द्र के माध्यम से किया जाता है। कार्यालयीन समय के बाद सारा खेल यही से चलता है, जिसने दक्षिणा चढ़ा दी, उसे फल मिल जाता है, बाकियों को वापिस लौटना पड़ता है।
इनका कहना है…
मामला सामने आने के बाद जांच के बाद ही सारी कार्यवाहियां हो रही है, जो भी शिकायतें प्राप्त हो रही है, उन सबका अवलोकन कर निराकरण करने की पूरी कोशिश हो रही है। अवार्ड पारित करने का अधिकार हमारे कार्यालय को है, भुगतान की प्रक्रिया राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा की जाती है।
अनुराग सिंह
एसडीएम, बांधवगढ़
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एनएच-43 के निर्माण में मुआवजा वितरण में सबसे ज्यादा गड़बडिय़ां उमरिया जिले में मिली है, पुराने एनएच-78 तक की फाईल गायब है, जिसके चलते दोबारा मुआवजा करना पड़ा। कई पत्राचार किया किये गये, शहडोल जिले के रिकार्ड रूम में पुराने दस्तावेज उपलब्ध नहीं है, इस बात की जानकारी भोपाल और दिल्ली तक के अधिकारियों को भी है।
एन.के. बार्वे
संभागीय प्रबंधक
एमपीआरडीसी, शहडोल

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