आखिर स्थानांतरित किए गए अधिकारियों को क्यों नहीं किया जा रहा कार्यमुक्त……?
- मामला कोल इंडिया का

अनूपपुर। महारत्न का दर्जा प्राप्त कोल इंडिया लिमिटेड में इन दिनों तबादले के नाम पर लाखों का लेनदेन किये जाने का बाजार गर्म है, कोल इंडिया मुख्यालय से गत माह 20 मई को माइनिंग संवर्ग के अधिकारियों के तबादले का आदेश जारी किया गया है,परंतु इन आदेशों पर आज दिनांक तक अमल नही किया गया है,आदेश जारी होने के 20 दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुआ है इससे स्पष्ट होता है कि तबादला होने के बाद तबादला किए गए अधिकारी अपने-अपने आकाओं के माध्यम से अपना स्थानांतरण रुकवाने के लिए एड़ी चोटी एक कर रहें और मोटी रकम देकर अपना स्थानांतरण रुकवाने की जुगत में हैं,जिससे शुरू होता है पैसों के लेन-देन का कारोबार ज्ञात हो कि कोल इंडिया मुख्यालय के द्वारा माइनिंग वर्ग के ई 8 वर्ग के 13 अधिकारियों का स्थानांतरण कोल इंडिया मुख्यालय के द्वारा जारी पत्र क्रमांक CIL/C-5A (V)/DPC /E8/2019min/B-285 दिनांक 28 मई 2019 को कोल इंडिया मुख्यालय के द्वारा कोल इंडिया की विभिन्न आनुषंगिक कंपनियों के लिए किया गया था पर इस आदेश के जारी होने के लगभग 20 दिनों के बाद भी एक भी अधिकारी को अपने पदस्थापना स्थल से कार्यमुक्त नहीं किया गया है और ना ही इस विषय में कोल इंडिया ने कोई संज्ञान लिया है, इसका मतलब साफ है कि जो जिस सब्सिडरी में अधिकारी कार्यरत है वह उस सब्सिडरी के सीएमडी से अपनी पैठ बना कर लेनदेन करके रिलीज ना होने की जुगत में लगा है ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब आदेशों का क्रियान्वयन ही नहीं होना है तो स्थानांतरण क्यों किए जाते हैं ? क्या यह स्थानांतरण पैसों की उगाही के कोल इंडिया प्रबंधन के द्वारा किया गया है? या स्थानांतरण के बाद लाखो का लेनदेन किया जाना है? इस पूरे मामले की जांच कोयला मंत्रालय सतर्कता विभाग और कोल इंडिया मुख्यालय के सतर्कता विभाग से जांच कराए जाने की अपेक्षा है ,साथ ही तबादलों के नाम पर भ्रष्टाचार और लेन-देन की जांच भी होना नितांत आवश्यक है।