वन विभाग ने की आधी-अधूरी प्रेस कांफ्रेंस

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शिकार होता रहा, सोता रहा वन अमला, दिल्ली की सूचना पर हुई कार्यवाही

घुनघुटी परिक्षेत्र में पदस्थ कर्मचारियों पर नहीं गिरी गाज

शहडोल। वन विभाग द्वारा बीती 29 मई की सुबह 9 बजे करूणेन्द्र सिंह के घर पर दबिश देकर 12 बोर बंदूक के 21 नग खाली कारतूस, 03 नग जिंदा कारतूस, कारतूस रखने वाला 01 रेकजीन बेल्ट, 01 नग भालू का नाखून, 02 नग जंगली सूअर की दांत, 01 नगर जंगली सूअर का दांत चांदी के छल्ले सहित, 315 बोर के 02 जिंदा कारतूस, 01 लोहे का सिलेण्ड्रकल आकार का कारतूनुमा पाईप बरामद किया। सोमवार की सुबह वन विभाग ने प्रेसवार्ता कर मीडिया से जानकारी साझा की है कि सामग्री जप्त कर वन्य जीव संरक्षण अनिधियम 1972 की धारा 09, 39, 42, 44 ए, 49 बी, 51 एवं 57 के तहत वन अपराध पंजीबद्ध किया गया। आरोपी ने बयान में वन अपराध करना कबूल किया एवं आरोपी के द्वारा यह भी बताया गया कि मैं और मेरे अन्य साथियों के द्वारा वन परिक्षेत्र घुनघुटी के जंगलों से वन्य प्राणी का शिकार किया गया। आरोपी करूणेन्द्र के द्वारा यह भी बताया गया कि जिस बंदूक के द्वारा वन्य प्राणी का शिकार किया गया, उस बंदूक को मेरे घर में पत्नी के द्वारा छिपा कर रखा गया है।
पत्नी ने बंदूक नहीं दी
वन विभाग ने बताया कि बंदूक जप्त करने के लिए आरोपी की पत्नी से पूछताछ के लिए 31 मई को वन विभाग की टीम उनके घर गई, तब उनकी पत्नी के द्वारा आरोपी करूणेन्द्र सिंह से मिलने की इच्छा जताई, तब उसके द्वारा अपने सास एवं ससुर की सहमति से वन विभाग की टीम के साथ आई। आरोपी करूणेन्द्र सिंह से मिलने के बाद आरोपी द्वारा बोला गया कि मैं तो, गिरफ्तार हूं ही, आप बंदूक दे दो। किन्तु आरोपी की पत्नी द्वारा बंदूक देने की बात को इंकार करते हुए पेट में पथरी की समस्या बताकर अपने आप को जिला चिकित्सालय में भर्ती करा लिया गया।
निशानदेही पर अन्य आरोपी गिरफ्तार
आरोपी करूणेन्द्र सिंह की निशानदेही पर 31 मई को अभयराज सिंह पिता भद्दू सिंह ग्राम आमगार तहसील पाली एवं अन्य आरोपी जयंत सिंह उर्फ मिंटू सिंह उम्र 50 वर्ष साकिन रौगढ़ ब्लाक पाली को 02 जून को गिरफ्तार कर एवं जिला चिकित्सालय से एमएलसी करवाकर 01 दिवस के लिए अभिरक्षा में लिया गया, इस पूरे मामले में यह जानकारी कहीं सामने नहीं आई कि शिकार करने के बाद जंगली जानवरों के बाकी अंग, मांस कहां गया, शिकार में अभी कितने और लोग शामिल है, इससे साफ जाहिर होता है कि खुद वन विभाग अभी पूरा मामला साफ नहीं कर पाया है।
…तो वन विभाग नहीं हैं दोषी
आरोपी करूणेन्द्र सिंह ने अपने कबूलनामें जब यह बताया कि वह घुनघुटी वन परिक्षेत्र में शिकार करता था, इससे यह तो साफ हो गया कि वह एक बार नहीं कई बार शिकार करने गया, आखिर इस दौरान घुनघुटी क्षेत्र के प्रभारी एवं बीट प्रभारी कौन थे, शिकारी से पूछताछ में यह उगलवा लिया गया कि कौन-कौन शामिल थे, लेकिन पत्नी से बंदूक निकलवाने में वन विभाग को पसीना छूट रहा है। अभी शिकार में किसके-किसके नाम जुड़ेंगे यह तो वन विभाग ही जाने, लेकिन चर्चा है कि इस मामले में वन विभाग पूरे पत्ते खोलने को तैयार नहीं है। मिंटू सिंह ने अगर किसी का नाम बोल दिया तो, वह भी आरोपी बनाया जा सकता है, लेकिन वन्य जीवों के खाल-मांस के खरीदने वाले या खाने वालों की जानकारी 6 दिन बाद भी वन विभाग साझा नहीं कर पा रहा है।
शिकार मामले का विवेचक कौन
प्रेस कांफ्रेस में विभाग ने यह तो स्पष्ट किया कि मुख्य वन संरक्षक वन वृत्त शहडोल एल.एल. उइके के निर्देशन पर वनमण्डलाधिकारी दक्षिण शहडोल सुश्री श्रद्धा पन्द्रे एवं बादशाह रावत उप वनमण्डलाधिकारी सोहागपुर के कुशल मागदर्शन में वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो नई दिल्ली की सूचना पर कार्यवाही की गई। मजे की बात तो यह है कि शिकार शहडोल संभाग में हुआ, दिल्ली को खबर पहुंच गई, लेकिन यहां का अमला वातानुकूलित कक्ष में बैठकर आराम फरमाता रहा, वहीं दूसरी बात यह भी है कि इस प्रेस वार्ता में वन विभाग के अधिकारी विवेचक का नाम बताने से कतराते नजर आये। उन्होंने पूछने के बावजूद विवेचक का नाम साझा ही नहीं किया, जिससे पूरी जानकारी ली जा सके।

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