दलबीर की राजनीतिक विरासत में संकट के बादल

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Ajay Namdev-7610528622

अनूपपुर। शहडोल संभाग मे राजनीति का सबसे बड़ा घराना स्व. दलबीर सिंह का रहा हैं। पुष्पराजगढ़ मे बने उनके निवास स्थान को लोग बंगला के रुप मे जानते है। वर्तमान मे नरेन्द्र वा हिमाद्री यहां निवासरत है ये दोनो अलग अलग पार्टियों के माध्यम से लोक सभा चुनाव लड़ चुके है। आज दोनो ही इस बंगले मे पति पत्नी के रुप मे रह रहे है। कुछ समय पूर्व हुये विधानसभा चुनाव मे बीजेपी से पुष्पराजगढ़ से प्रत्यासी बनाये गये नरेन्द्र मरावी को करारी हार का सामना करना पड़ा है, वहीं हिमाद्री को कांग्रेस पार्टियो की नीति से परे जाकर खुले आम पति धर्म की आड़ मे बीजेपी का प्रचार करते देखा गया है। उन्होने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की दमेहड़ी आगमन पर मंच साझा किया था। जहां शिवराज ने हिमाद्री को महिला शक्ति का उदाहरण बताया था। अब इसका खामियाजा दोनो ही नवदम्पत्ति के राजनीतिक जीवन पर पडऩा लाजमी है।
कैसी मिली हिमाद्री को राजनीतिक विरासत
स्व. दलबीर सिंह जो राजीव गांधी मंत्रीमंडल मे केन्द्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री वा नरसिम्हा राव मंत्रीमंडल मे केन्द्रीय राज्य वित मंत्री का दायित्व सफलता पूर्वक निभा चुके है। उनकी पत्नी स्व. राजेश नंदनी कोतमा क्षेत्र से विधायक वा शहडोल संसदीय क्षेत्र से सांसद चुनी जा चुकी है। उनकी पुत्री हिमाद्री सिंह विवाह के पूर्व दिवंगत सांसद दलपत सिंह के आकस्मिक निधन पश्चात हुये लोकसभा उपचुनाव मे कांग्रेस से प्रत्यासी बनाई गई थी। तब संसदीय क्षेत्र शहडोल मे मृतपरायण हो चुकी कांग्रेस मे जान सी आ गई थी, साथ ही जीवटता का वातावरण निर्मित हुआ था। उस समय हिमाद्री को बीजेपी मे लाने का भरसक प्रयास किया गया तब हिमाद्री ने अपने माता पिता की राजनीतिक विरासत कांग्रेस मे देखते हुये बीजेपी मे जाने से इंकार कर दिया था, तब मंत्रीमंडल के दर्जन भर से ज्यादा मंत्रियों ने संसदीय क्षेत्र मे डेरा डालकर करोड़ो खर्च करते हुये ऐन केन चुनाव जीतने मे सफलता पाई थी। वहीं हिमाद्री विधानसभा चुनाव के समय बिन बुलाये मेहमान की तरह शिवराज का मंच साझा करते देखी गई। और विरासत की राजनीति मे प्रश्न चिन्ह लगाने की गलती कर बैठी।
जल्दबाजी या गलत निर्णय ……..
नरेन्द्र सिंह मरावी संसदीय क्षेत्र मे बीजेपी के तेजतराट पढ़े लिखे और युवा नेता के रुप मे जाने जाते है, ये आरएसएस के तृतीय वर्ग प्रशिक्षित भी है। लोकसभा का चुनाव इन्होने अपनी सास दिवंगत राजेश नंदनी के खिलाफ लड़ा था। तब इन्हे हार का सामना करना पड़ा वहीं दूसरी तरफ हिमाद्री सिंह का राजनीतिक जीवन मे एक मात्र चुनाव से पाला पड़ा है। हिमाद्री सिंह ने इस उपचुनाव मे दर्जनों मंत्रियों को क्षेत्र मे डेरा डालने को मजबूर कर दिया था। हिमाद्री सिंह मे सभी को स्व. दलबीर सिंह की छवि दिख रही थी बीजेपी के दांत खट्टे करने वाली यह युवा नेत्री चुनाव परिणाम आने के कुछ दिनों बाद बीजेपी के नरेन्द्र मरावी के साथ वैवाहिक जीवन मे बंध गई। नरेन्द्र हिमाद्री की शादी मे तात्कालीन प्रदेश के मुखिया अपनी पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता वा अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नरेन्द्र मरावी के घर ना जाकर हिमाद्री सिंह के घर पहुंचे थे और हिमाद्री सिंह को अपनी बेटी बताकर उन्होने आशीर्वाद दिया था। जब दोनो ही कद्दावर नेता संसदीय क्षेत्र का चुनाव अलग अलग पार्टियों से लड़ चुके थे, तब ऐसे मे नरेन्द्र मरावी का विधानसभा चुनाव मे हाथ आजमाना जल्दबाजी है या गलती कह पाना मुश्किल है। वहीं हिमाद्री सिंह का कांग्रेस पार्टी से बगावत कर शिवराज का मंच साझा कारना पति धर्म था या दबाव यह भी समझ के परे है।
क्या फिर थाम लेंगे सुदामा बीजेपी का दामन
ट्रेक्टर की सवारी कर बीजेपी के फूल को रौंदने वाले 10 वर्षो तक विधायक रहे सुदामा सिंह सिंग्राम क्या फिर बीजेपी का दामन थाम लेंगें। बिगत कुछ समय पूर्व हुये विधानसभा चुुनाव मे बीजेपी ने विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 88 पुष्पराजगढ़ से शिवराज सरकार मे अनुसूचित जन जाति आयोग के अध्यक्ष रहे नरेन्द्र सिंह मरावी को अपना प्रत्यासी बनाया था। जिसे क्षेत्र की जनता ने पैरासूट प्रत्यासी मानते हुये एक सिरे से खारिज कर दिया है। नरेन्द्र की हार मे मुख्य भूमिका सथानीय स्तर के बीजेपी को स्थापित करने वाले कार्यकताओं की रही है इन्होने ही नरेन्द्र मरावी को पैरासूट प्रत्यासी बताते हुये ट्रेक्टर की सवारी कर रहे सुदामा सिंह सिंग्राम का साथ दिया और बीजपी को करारी हार दिलाने मे अहम भूमिका अदा किये। आपसी लड़ाई का सीधा फायदा कांग्रेस के प्रत्यासी फुदेंलाल सिंह मार्को को मिला जिन्होने दूसरी बार बड़ी जीत हासिल करते हुये विधायक पद पर अपना अधिपत्य बनाया। अब अंदर खाने से खबर आ रही है कि सुदामा सिंह सिंग्राम एक बार फिर बीजेपी का दामन थाम सकते है।

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