प्राइवेट स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा का नहीं है ख्याल ।

प्राइवेट स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा का नहीं है ख्याल।
बिना मापदण्डों के दौड़ रहे वाहन, कार्यवाही के नाम पर हो रही खानापूर्ति
बुढ़ार ।खानापूर्ति के लिए की गई कुछ वाहनों की जांच सैकड़ों वाहनों में मात्र दर्जन भर वाहनों के ऊपर दीपावली के समय कार्यवाही की गई, इसके बावजूद भी वाहन चालको को कोई फर्क नहीं पड़ा, फर्राटे से बिना नंबर प्लेट की ओवरलोड गाडिय़ां सड़क पर दौड़ रही है। जिले की सड़कों पर नियम-कायदों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से स्कूली बसें दौड़ रही है। बच्चों की सुरक्षा दांव पर लगी है पर स्कूलों के संचालकों को कोई परवाह नहीं है। बसों में जरूरी सुरक्षा मापदंडों को पूरा नहीं किया जाता, जिसकी वजह से कई बार बड़े हादसे घटित हो चुके है। स्कूली वाहनों के मामले में उच्च न्यायालय ने सुरक्षा के मापदंड निर्धारित कर उन्हें लागू करने के निर्देश दिए थे। उसके बाद कई बार गठित टीमों ने छापामारी भी की पर स्कूलों के संचालकों पर कोई असर नहीं हुआ। नियमों के पालन कराने की जिम्मेवारी जिला पुलिस की है लेकिन स्कूल संचालक सुरक्षा मापदंडों की परवाह किए बगैर उन्हें सड़कों पर दौड़ा रहे है।
दो दिन हुई कार्यवाही
ट्रेफिक पुलिस की ओर से दीपावली के दो दिन पहले स्कूली वाहनों की चेकिंग का अभियान चलाया गया, जिसमें 13 स्कूली वाहनों को पकड़ा गया और 10 के चालान किए गए, जोकि सुरक्षा मापदंडों को पूरा नहीं करती थीं। ट्रेफिक पुलिस के अभियान से सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाले स्कूल संचालकों में अफरा-तफरी मच गई हैं। पुलिस का रटा-रटाया जवाब सुरक्षा मापदंडों को पूरा न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी। किसी भी सूरत में नियमों की अवहेलना नहीं करने दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट आदेशों का पालन नहीं
इन सभी नियमों को ताक में रखते हुए स्कूलों में वेन, मैजिक, ऑटो रिक्शा, पुरानी बसें फर्राटे से दौड़ रही है। स्कूली बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है आखिर इन वाहन चालको के ऊपर आर्थिक दंड तो लगाया जा रहा है, इसके बावजूद भी स्कूल संचालकों एवं वाहन चालकों के ऊपर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है ।
मनमर्जी वसूल रहे किराया
स्कूल में चल रहे वाहनों का किराया भी निर्धारित नहीं है स्कूल मैनेजमेंट एवं प्राइवेट वाहन की मालिक मनचाही रकम स्कूल कर दिनों दिन मालामाल हो रहे हैं और अभिभावक मात्र अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं, स्कूल में लगे वाहनों का किराया निर्धारित मापदंड के विपरीत लिया जा रहा है, जिला प्रशासन कुंभकर्ण की निद्रा में सो रहा है जबकि जिला कलेक्टर एवं शिक्षा विभाग को इस जटिल समस्या पर अतिशीघ्र ध्यान देना चाहिए, अभिभावकों से स्कूल मैनेजमेंट एवं वाहन चालक उनके जीवन भर की गाढ़ी कमाई एजुकेशन के नाम पर कमा रहे हैं, स्कूल की दूरियां 1 किलोमीटर हो या 20 किलोमीटर किराए का कोई भी मापदंड नहीं बनाया गया है अभिभावकों के द्वारा जब भी स्कूली वाहन के किराए के संबंध में जानकारी मांगी जाती है तो स्कूल मैनेजमेंट एवं वाहन मालिक अभिभावकों को पेट्रोल-डीजल जैसे गंभीर खर्चो को बताकर मोटी रकम वसूल रहे हैं।
यह कहते है नियम
सभी स्कूल वाहनों का रंग पीला होना चाहिए, वाहनों पर रिफ्लेक्टर लगे हों, इअवाहनों में स्पीड गर्वनर फिट होने चाहिए, वाहन पर काले रंग से स्कूल बस और किराए पर है तो ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए, सभी वाहन परमिट और अनुमति सहित होने चाहिए, स्कूल वाहन चालक का ड्राइविंग में पिछले पांच साल का अनुभव होना चाहिए, वाहन चालक पर पिछले पांच सालों में ड्राइविंग के महत्वपूर्ण ऑफेंस न लगे हों, वाहन का परिचालक और अटेंडेंट यूथ को हैंडल करने को लेकर प्रशिक्षित हो,संस्थान में वाहनों की पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह हो, स्कूल वाहन में प्रथम उपचार पेटिका हो, वाहन पर रूट और स्कूल के नाम का बोर्ड लगा होना चाहिए, वाहन के बाहरी और भीतरी साइड में पुलिस कंट्रोल रूम का व बस के मालिक का फोन नंबर अंकित हो, वाहन के चालक व परिचालक का तीन साल में एक बार रिफ्रेशर कोर्स होना चाहिए, वाहन के चालक का हर तीन साल में मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है, वाहन के चालक और परिचालक यूनिफोर्म में हों और उस पर उनका नाम व लाइसेंस नंबर लिखा होना चाहिए, वाहन की बैठने की सीटों से डेढ़ गुना अधिक विद्यार्थियों को वाहन में नहीं चढाया जा सकता, किसी प्रकार के नियम की अवहेलना करने वा संबंधित प्राधिकरण द्वारा वाहन की आरसी या चालक का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है, स्कूल वाहन पर निर्धारित शीशे के अलावा दूसरे शीशे नहीं होने चाहिए, एक अप्रैल 2014 के बाद और नए वाहन पर जीपीएस फिट होना चाहिए, हर वाहन में दो सीसीटीवी कैमरे लगे होने चाहिए, यदि वाहन में छात्राएं हों तो महिला अटेंडेंट होनी चाहिए, वाहन को निर्धारित गति पर ही चलाएं।
इनका कहना है
पूर्व में भी कार्रवाई की जा चुकी है, जो भी स्कूली वाहन सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन का पालन नहीं करेंगे, ऊपर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
भरत दुबे
अनुविभागीय अधिकारी,धनपुरी