माफिया पर प्रशासन गंभीर: पर कार्यवाहियां शून्य

यहां कार्यवाही तो दूर, डिप्टी कलेक्टर की जांच को डाला ठण्डे बस्ते में
मामला मुख्यालय के सिंहपुर रोड स्थित स्वास्तिक ग्रीन वैली का

(Amit Dubey-8818814739)
शहडोल। माफिया के खिलाफ मुख्यमंत्री द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों को कार्यवाही के लिए फ्री हैण्ड देने के बाद भी जिले में ऐसे संगठित गिरोहों के खिलाफ कार्यवाही होती नहीं दिख रही है। हालाकि कलेक्टर ने बीते सप्ताह खनिज माफिया के खिलाफ कार्यवाही का डंडा जरूर चलाया था, लेकिन खनिज के बाद दूसरे नंबर पर जिले ही नहीं, पूरे प्रदेश में छाये भू-माफिया की मनमानी आज भी कायम है। दिगर भू-स्वामियों की भूमि पर अतिक्रमण और रेरा व अन्य नियमों का उल्लंघन करने के मामले को भी अगर नजर अंदाज कर भी दिया जाये तो, नजूल की भूमि पर अतिक्रमण और तालाबों और प्राकृतिक नालों की भूमि पर अतिक्रमण के मामले शिकायत और उनमें हुई जांच के बाद अनुविभागीय कार्यालय में कार्यवाही के लिए अटके पड़े हैं।
स्वास्तिक ग्रीन वैली से मोड़ा मुंह
डिप्टी कलेक्टर जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे अधिकारी ने प्राकृतिक नाले पर हुए अतिक्रमण और उसके प्राकृतिक स्वरूप से हुए छेड़छाड़ की शिकायत पर जांच की, आरोप प्रमाणित भी हुए और डिप्टी कलेक्टर ने करीब 5 माह पहले कार्यवाही के लिए एसडीएम को पत्र भी लिखा, लेकिन कार्यवाही नजर नहीं आई।
यह है जांच पत्र का सार
पोण्डा नाला स्थित भू-खण्ड में सांई प्रभा नामक फर्म द्वारा प्राकृतिक नाले को दफन कर उसके स्वरूप को बदल दिया गया, बीती 25 जुलाई को डिप्टी कलेक्टर सुश्री पूजा तिवारी ने मौके पर पहुंचकर जांच की और अपने विभागीय प्रतिवेदन क्रमांक 3904 तहसीलदार को भेजा, पत्र में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया कि ग्राम फतेहपुर एवं नरसरहा सीमा के मध्य स्थित नाला जो खसरा क्रमांक 58 एवं 84 शासकीय आराजी भूमि में स्थित है, उक्त नाले में सत्यप्रकाश पिता दधिवल प्रकाश मिश्रा व अन्य द्वारा अतिक्रमण किया गया है। अत: मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के अधीन प्रकरण दर्ज कर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही करें। डिप्टी कलेक्टर कार्यालय से उक्त पत्र जारी होने के लगभग दो माह बाद भी तहसीलदार की कार्यवाही नहीं दिखी।
एक भूमि पर दो अनुमतियां
सूत्रों का कहना है कि पोण्डा नाला स्थित भू-खण्ड में सांई प्रभा नामक फर्म पर पहले से ही स्थगन आदेश जारी है, इसके बाद भी अनावेदक द्वारा निर्माण कार्य कराया जा रहा है, इस शिकायत पर राजस्व निरीक्षक द्वारा प्रतिवेदन के बाद भी निर्माण कार्य होना अपनी रिपोर्ट में दर्शाया है, अनावेदक न्यायालयीन प्रक्रिया में अनुपस्थित रहा, जिसकी वजह से 5 अप्रैल 2019 को उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई। अनावेदक द्वारा कोई भी ऐसा दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे वह सिद्ध हो सके कि प्रश्नाधीन आराजी उसके भू-स्वामित्व की है।
स्टॉप डैम भी लापता
जानकारों की अगर माने तो 1993 में जल संसाधन विभाग ने पोण्डानाला के समीप लाखों रूपये की लागत से 1 स्टॉप डैम का निर्माण कराया था, लेकिन नाले का स्वरूप तो बदल ही दिया गया, स्टॉप डैम को भी निगल लिया गया, स्वास्तिक ग्रीन वैली के संचालकों ने खुलकर ताण्डव मचाया, जितने भी स्वास्तिक है, उनके चारों कोरों को अगर करीब से टटोला जाये, तो सारा का सारा राज खुल जायेगा, जहां ग्रीन सिटी मे तालाब पर कब्जा किया गया, वहीं बस स्टैण्ड के समीप बनाई गई कालोनी में आदिवासी की जमीन पर भी कब्जा कर लिया गया और तो और कालोनी बनाने के मानकों को भी नजर अंदाज किया गया, तथा अब स्वास्तिक ग्रीन वैली हरियाली की जगह काले इतिहास को जन्म दे रही है।

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