रेत माफियाओं पर अब तक नहीं लगा अंकुश, वन विभाग की भूमि से निकाली जा रही रेत

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Ajay Namdev-7610528622

डोला। वन विभाग की भूमि में बेधड़क रेत माफियाओं के द्वारा जंगल के नदियों से अवैध रेत उत्खन्न किया जा रहा है और इस पर प ना तो प्रशासन की सख्ती काम आई और नाही खनिज विभाग की कार्यवाही। वन परिक्षेत्र राजनगर के जंगलों से धड़ल्ले से रेत का अवैध उत्खन्न हो रहा है और प्रशासनिक अमला चुप्पी साधे हुए है। जानकारी अनुसार रेत माफियाओं को वन विभाग व पुलिस विभाग के अधिकारियों का पूर्णता संरक्षण प्राप्त है, तभी तो बिना रोक-टोक वन विभाग की भूमि से रेत का अवैध परिवहन हो रहा है और जिम्मेदार अधिकारियों कार्यवाही करने में कतराते नजर आये।
जंगलों से निकल रही रेत
राजनगर क्षेत्र से बेधड़क धड़ल्ले से रोजाना 20 से 25 ट्रॉली अवैध रेत वन विभाग की भूमि से उत्खनन किया जा रहा है। राजनगर क्षेत्र से जुड़े जंगलों से ट्रैक्टरों के माध्यम से अवैध रेत का परिवहन जारी है यह रेत क्षेत्र सटे जंगल एवं छोटे बड़े नालों से निकाली जा रही है। बाजार में एक रेत की ट्राली से 1700 से 2000 रुपए की बिक्री हो रही है, इस दौरान मजदूर एक ट्रॉली को भरने का 150 लेते हैं। इसके अलावा रेत माफिया प्रति ट्रॉली 1200 से 1500 तक का मुनाफा कमाते हैं। मजदूर लगातार रेत खोदकर उसे इक_ा कर लेते हैं, ट्रैक्टर ट्राली आते ही जल्द उसे भरकर रवाना कर दिया जाता है।
आधिकारियों का खुला संरक्षण
बताया गया कि इस रेत के कारोबार में फारेस्ट विभाग के बीट गार्ड का बड़ा योगदान है। रेत माफियाओं को डिप्टी रेंजर का संरक्षण प्राप्त है जिससे रेत का अवैध कारोबार चल रहा है। इससे शासन को प्रतिदिन लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। साथ ही जिले में बैठे अधिकारियों की भी छवि धूमिल हो रही है। वन विभाग की जमीन से अवैध उत्खन्न रोजाना हो रहा है, लेकिन राजनगर के वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी झिरियाटोला में बनी वन विभाग की चौंकी में रेत माफिया के साथ बैठे देखे जा सकते हैं, जिससे यह साफ पता चलता है कि रेत माफियाओं को वन विभाग के अधिकारियों द्वारा खुला संरक्षण रेत परिवहन का दिया गया है।
किसका है अवैध कारोबार
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस पूरे कारोबार में लगभग 10 से 12 कारोबारियों के द्वारा यह कार्य का संचालन किया जा रहा है यह राजनगर क्षेत्र से सटे जंगलों के अंदर कुल्हाडिया नाला, भलमुडी जंगल, डूमरकछार क्षेत्र एवं अन्य स्थानों से रेत निकाल कर कालरी कालोनी की रिपेयरिंग एवं क्षेत्र में सप्लाई करते हैं। साईडिंग के पास रेत का भंडारण भी किया जा रहा है जबकि यह सारी चीजे जंगल विभाग के संरक्षण में है, लेकिन अवैध कमाई के चक्कर में जंगल विभाग के अधिकारी इन माफियाओं को खुला संरक्षण दिए हुए है।
आंख में बांधी पट्टी
रेत के इस कारोबार से राजस्व को तो चूना लगा ही रहा है, लेकिन कार्रवाई करने वाले जिम्मेदार अधिकारी आंख में पट्टी बांधकर सो रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि रेत का अवैध कारोबार अधिकारियों के संरक्षण में फल-फूल रहा है जबकि वन विभाग के डिप्टी रेंजर को पुख्ता जानकारी देने के बाद भी अधिकारी कार्यवाही नहीं करते हैं। जंगल क्षेत्र में मनमाना रेत के अवैध उत्खन्न से पर्यावरण को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है, लेकिन स्थानीय अधिकारी रेत माफियाओं के चंद रुपयों के टुकड़ों में बिके हुए नजर आ रहे हैं।
संदेह के घेरे में विभाग
बीते दिनों शहडोल कमिश्नर का सख्त आदेश था कि कहीं भी रेत का भंडारण पाया जाएगा तो उस पर कार्यवाही की जाएगी, लेकिन इन 4 महीनों के बीच में ना तो माइनिंग विभाग के अधिकारी ना ही प्रशासनिक अधिकारियों ने राजनगर क्षेत्र में कोई कार्यवाही नहीं की, जिससे इन रेत माफियाओं के हौसले बुलंद होते नजर आ रहे हैं। इससे यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि कहीं ना कहीं ऊपर बैठे अधिकारियों को भी इन माफियाओं को जैसे अभय दान प्राप्त है, तभी तो इन रेत माफिया के ऊपर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की जा सकी।

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