लिपिक ने खेला-खेल, सब हो गए फेल…….समिति को धोखे में रख , बाँट दिए सरकारी आवास

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बाबू ने समिति को धोखे में रखकर बांट दिये सरकारी आवास
मामला स्वास्थ्य विभाग के नवनिर्मित आवासों का
(अमित दुबे-8818814739)

शहडोल। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के समीप ही कर्मचारियों के लिए 12 आवासों का निर्माण कराया गया था, स्वास्थ्य विभाग की मंशा थी कि यह आवास उन कर्मचारियों को दिये जाये, जिनके पास मुख्यालय में खुद के आवास नहीं है, साथ ही उन कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाये, जो आपात स्थिति में चिकित्सालय पहुंचकर अपनी सेवा दे सके, आपात स्थिति से सीधा तात्पर्य ऑन ड्यिुटी डॉक्टर के अलावा एक्स-रे, सोनोग्राफी, रक्त जांच और अन्य तकनीशियनों से है, जिनकी आवश्यकता मरीजों को तत्काल सेवा देने में ली जाती है, लेकिन जिस तरह 13 मार्च की शाम अचानक मिले आवेदनों में वरीयता व आवश्यकताओं को दरकिनार कर आनन-फानन में सूची बनाकर रात में ही आवासों की चाभी सौंपी दी गई, जो पूरे चिकित्सा विभाग में ही चर्चा का विषय बन गई है।
यह था होना
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्रों की माने तो निर्मित 12 आवासों में से 4 आवास चिकित्सकों के लिए जिन्हें द्वितीय श्रेणी की सूची में रखा गया है, उन्हें देने थे, इसके बाद के 4 आवास तकनीशियनों व वरिष्ठ नर्स व कम्पाउण्डर के लिए दिये जाने थे, अंत के 4 आवास चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को उनकी वरिष्ठता के आधार पर देने थे, इसके लिए डॉक्टर के.एल. अहिरवार, डॉ. वाई. के. पासवान और उपयंत्री श्री कुलस्ते को शामिल किया गया था। प्राप्त आवेदनों पर उक्त कमेटी विचार कर अंतिम रूप देती, फाईल लिपिक संतोष सिंह को चलानी थी और अंत में हस्ताक्षर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओ.पी. चौधरी के होने के बाद आवास सौंपे जाने थे।
यह हुआ 13 मार्च को
10 मार्च के आस-पास निर्माण एजेंसी द्वारा 3 माह पूर्व कम्पलीट हुए आवास स्वास्थ्य विभाग को दिये गये, परिसर के अंदर ही बने अत्याधुनिक आवासों को पाने के लिए कर्मचारियों में होड़ लग गई, आवेदन लेने व फाईल चलाने वाले लिपिक संतोष सिंह ने यहां ”बाड़ी ही खेत खाने लगीÓÓ वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए सबसे पहले आवास अपने नाम आवंटित कर लिया, इसके बाद जिला चिकित्सालय में पदस्थ दो स्टॉफ नर्साे के अलावा लिपिक डी.पी. सिंह के नाम भी आवास आवंटित किया, आवास आवंटन में वर्ग 3 व 4 के कर्मचारियों की वरिष्ठता का भी ध्यान नहीं दिया गया। 13 मार्च की देर शाम आनन-फानन में आवंटन का पत्र बना और चाभियां कब्जे सहित संबंधितों को दे दी गई, जिसमे से कुछ ने पजेशन ले ली है और कुछ अपना ताला लगाकर सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं।
भटक रहे पात्र, कर्मचारियों में असंतोष
आरोप हैं कि संतोष सिंह जिसे स्वास्थ्य विभाग ने आवास आवंटन की फाईल चलाने का जिम्मा सौंपा था, उनके द्वारा खुद व अपने भांजे आशीष के साथ मिलकर पात्रों को किनारे कर दिया, लिपिकों का कार्य सुबह 10 से शाम 5 बजे तक निर्धारित होने के बाद भी इनके नाम पर आवास आवंटित किये गये, जबकि इनकी जगह तकनीशियनों को आवास दिये जाने थे, यही नहीं स्वास्थ्य विभाग में दशकों से कार्यरत वरिष्ठों के द्वारा आवेदन दिये जाने के बाद भी वरिष्ठता का ध्यान नहीं रखा गया, जिससे कर्मचारियों में असंतोष है। यह बात भी सामने आई कि संतोष सिंह ने यह पूरा खेल समिति को धोखे में रखकर खेल दिया।

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