आधा दर्जन सिविल सर्जन आये-गये, पर डटे रहे स्टीवर्ड @ भ्रष्टाचार में पकड़े गये तो, कर दी खयानत की राशि जमा

पाठक के मैनेजमेंट का कमाल, जुगाड़ से हो गये बहाल
14 मार्च 2018 को तात्कालीन सिविल सर्जन द्वारा जिला चिकित्सालय में पदस्थ स्टीवर्ड एस.एन.पाठक को संचनालय के आदेश का हवाला देकर कार्य मुक्त किया गया, दर्जनों प्रमाणित भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे पाठक माननीय उच्च न्यायालय गये, वहां से राहत तो नहीं मिली, लेकिन अंग्रेजी में हुए आदेश के शब्दों को उलझाकर उन्होंने दोबारा मैनेजमेंट का जिम्मा सम्हाल लिया।
(शम्भू यादव @ 9826550631)
शहडोल। बीते कई दशकों से एस.एन.पाठक जिला चिकित्सालय में स्टीवर्ड का पद सम्हाले हुए हैं, मैनेजमेंट में माहिर होने के कारण ही चिकित्सालय प्रबंधन द्वारा उन्हें यह पद दिया गया था। जिला चिकित्सालय के अंदर फर्श से अर्श तक कोई भी काम या खरीदी इनकी बिना सहमति के नहीं होती, सिविल सर्जन और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा प्रदेश में सरकार किसी भी पार्टी की हो, जिला चिकित्सालय का मैनेजमेंट लंबे अर्से से पाठक के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा है। अपने लंबे कार्यकाल के दौरान उन पर भ्रष्टाचार के दर्जनों आरोप लगे, लेकिन मैनेजमेंट गुरू के नाम पर अपनी पहचान बना चुके एस.एन.पाठक हर बार न सिर्फ बच निकले, बल्कि अपनी कुर्सी पर भी डटे रहे, बीते वर्ष उन पर गैस सिलेण्डर के नाम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, शिकायत के बाद जांच हुई तो, 1 लाख 74 हजार 873 रूपये खयानत का आरोप भी सिद्ध हुआ। एस.एन. पाठक के मैनेजमेंट का कमाल यह रहा कि उन्होंने पूरे आरोप प्रमाणित होने के बाद यह राशि कोषालय के खाते में चालान से जमाकर खुद को पाक-साफ होना प्रमाणित करवा लिया। मजे की बात तो यह है कि वर्तमान सिविल सर्जन के साथ ही इससे पूर्व के करीब दर्जन भर सिविल सर्जन एस.एन. पाठक को सिर्फ इसलिए झेलते रहे, क्योंकि उन्हें उनका विकल्प नहीं मिला या फिर उन्होंने सजी हुई थाली का स्वाद चखने के बाद उसके सर पर अपना हाथ रख दिया।
यह है उपसंचालक की जांच का सार
एस.एन.पाठक पर जिला चिकित्सालय में खरीदे जाने वाले सिलेण्डरों की संख्या अधिक दर्शाकर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा था, मामले की जांच के बाद 24 फरवरी 2018 को तात्कालीन उपसंचालक (शिकायत) संचनालय स्वास्थ्य सेवाए मध्यप्रदेश के द्वारा जांच के उपरांत एस.एन.पाठक के संदर्भ में जो आदेश दिया गया था, उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि महालेखाकार ग्वालियर के द्वारा जिला चिकित्सालय शहडोल के लेखा परीक्षाअवधि 8/13 से 5/15 की प्रारूप कंडिका के अनुसार गैस सिलेण्डरों के देयकों में कूटरचना कर अधिक भुगतान प्राप्त किये जाने के फलस्वरूप एस.एन.पाठक स्टीवर्ड जिला चिकित्सालय को आरोप पत्र जारी किये गये हैं, कार्यवाही में किसी प्रकार का हस्ताक्षेप न हो, इसको दृष्टिगत रखते हुए एस.एन.पाठक को तत्काल प्रभाव से कार्यालय क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं रीवा में संलग्न किया जाता है।
183 की जगह 356 सिलेण्डर थे दर्शाए
एस.एन. पाठक द्वारा जिला चिकित्सालय में खपने वाली कुकिंग गैस में लाखों का हेरफेर किया गया, उनके द्वारा 356 सिलेण्डर का क्रय दिखाते हुए 3 लाख 56 हजार 765 रूपये का आहरण कोषालय से किया गया था, लेकिन जब इस मामले की शिकायत के बाद जांच हुई तो, यह पाया गया कि नर्मदा गैस एजेंसी से उनके द्वारा 183 सिलेण्डर क्रय किये गये थे और 181895 राशि का भुगतान किया गया था। जांच के दौरान प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि इस प्रकार अधिक आहरण कपट पूर्व आहरण की श्रेणी में आता है, जो वित्तीय संहिता के नियम 9, 10 व 12 के विरूद्ध है।
(बॉक्स बनाकर लगाये)
चोरी का माल वापस कर बने महाजन
एस.एन. पाठक पर जब लगाये गये आरोप और जांचों से यह प्रमाणित हो गया कि उनके द्वारा सिर्फ सिलेण्डर की खरीदी में ही बड़ी गफलत की गई है, इसके बाद उन्होंने अपने ऊपर की जा रही कार्यवाही के पत्र ही लेने से इंकार कर दिया, 23 मार्च 2018 को तात्कालीन सिविल सर्जन ने उप संचालक, संचनालय स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल को भेजे गये पत्र में इस बात स्पष्ट उल्लेख किया कि जब एस.एन. पाठक को भोपाल कार्यालय से 14 मार्च की तिथि का मिला पत्र तामील कराने के लिए कर्मचारी को भेजा गया तो, उन्होंने आदेश नहीं लिया, 15 मार्च को जानकारी मिलने के बाद वे कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए 16 मार्च को पत्र लेने से इंकार किया, डाक से पत्र प्रेषित कर दिया गया, लेकिन वे अस्वस्थ्यता की सूचना देकर कार्यालय से अनुपस्थित रहे। इसके बाद उन्होंने 19 मार्च को अस्वस्थ्यता प्रमाण पत्र के साथ जबलपुर उच्च न्यायालय का एक पत्र कार्यालय में प्रस्तुत किया। हालाकि माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा इस संदर्भ में जो आदेश दिया गया, उसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया कि याचिकाकर्ता अपीलांट क्रमांक 2 उप संचालक, संचनालय स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल के समक्ष इस संबंध में आवेदन दे, बावजूद इसके इस याचिका के आदेश को आधार बनाकर मैनेजमेंट से अपने पद पर बने रहे। यही नहीं एस.एन. पाठक ने 9 सितम्बर 2018 को अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों और जांच में खयानत की गई राशि 1 लाख 59 हजार 193 रूपये सिविल सर्जन के खाते में चालान से जमा कर दी और वर्षाे से चली आ रही पाठ की सल्तनत आज भी बदस्तूर जारी है। ।