खाद्य सामग्री के लिए 2 घंटे और शराब के लिए 24 घंटे खुली दुकान

शहडोल। पूरा देश और प्रदेश कोरोना संकट से जूझ रहा है,लेकिन शहडोल जिले में शायद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार की रात 8:00 बजे घोषित किए गए लॉक डाउन का असर नही है, और न ही प्रधानमंत्री के निर्देश शराब कारोबारियों के ऊपर लागू नहीं होता।
इस संदर्भ में कलेक्टर डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह और आबकारी विभाग के ऊपर आरोप लग रहे हैं, पूर्व में भी जनता कर्फ्यू के दौरान शहडोल की शराब दुकान है निर्धारित समय से कहीं ज्यादा समय पर खुली देखी गई, दूसरी तरफ शहडोल की सीमा से सटे उमरिया, अनूपपुर और रीवा जिलों में दुकानें पूरी तरह कलेक्टर और आबकारी विभाग द्वारा बंद करवा दी गई थी, जिस कारण तीनों जिलों के शराब प्रेमी बड़ी संख्या में शहडोल की शराब दुकानों में देखे गए। बीती रात भी यहां की दुकानों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद भी नजर आई, यही नहीं रात 12:00 बजे के बाद और अभी तक यह स्थिति देखी जा रही है, खासकर उन क्षेत्रों की शराब दुकानों पर ज्यादा भीड़ नजर आ रही है जो अनूपपुर उमरिया रीवा जिले से सटी हुई सीमा पर स्थित है।
अचरज तो इस बात का है कि स्थानीय थानों की पुलिस जहां खाद्य परिवहन वाले वाहनों और खाद्य वाली दुकानों को 2 घंटे तक के लिए प्रतिबंध कर आवाजाही तक में रोक लगा रहे हैं, वहीं शराब दुकानें सुबह 7:00 बजे से खुली है और बीती रात भी देर 11:00 बजे तक खुली होने की खबर है, वही आज भी दुकानें सुबह से पूरी तरह खुली है।
सवाल ये उठता है कि शराब दुकानों को इस तरह की खुली छूट आखिर किस कारण दी गई है, यही नहीं आबकारी आयुक्त द्वारा ग्वालियर से जारी किए गए आदेशों के अनुरूप शराब दुकानों के बाहर शराब लेने के लिए जो बैरिकेट्स और 1 मीटर का डिस्टेंस बनाए जाने के आदेश दिए गए थे, उनका भी पालन यहाँ की दुकानों में नहीं किया जा रहा, यही नहीं शराब दुकानों के बाहर कोरोना से संदर्भित सूचना फ्लेक्स होर्डिंग आदि भी नजर नहीं आ रहे हैं, इतनी चर्चा के बाद भी कलेक्टर और आबकारी विभाग इस संदर्भ में क्यों ध्यान नहीं दे रहे हैं, क्या शराब से होने वाले राजस्व की आय चिंता सिर्फ शहडोल जिले के अधिकारियों को है। फिलहाल यहाँ सब ऑल इज वेल है,और शराब दुकानों की बिक्री के साथ हमें सबके स्वास्थ्य की भी फिक्र है।