ग्रामीणों को गुमराह कर बंद करवा दी करोड़ों की खदान
सरपंच पति और माफिया की मोहरा बनीं भुरसी रेत खदान
अपना हित साधने के लिये शासन के राजस्व को लगा रहे सेंध
पूर्व में पंचायत के द्वारा संचालित खदान में कराया अवैध उत्खनन-परिवहन
जांच हुई तो नपने के साथ ही विभाग को मिलेगा लाखों का राजस्व
(अमित दुबे+8818814739)
शहडोल। जिले के गोहपारू तहसील के ग्राम भुरसी में चूंदी नदी पर स्थित रेत खदान जो कि पूर्व में नई नीति से पहले पंचायत के द्वारा संचालित की जाती थी, वहां पर जयसिंहनगर के रेत माफिया विजय तिवारी, महेन्द्र और महिला सरपंच के पति का कब्जा था, जिनके द्वारा खदान में टे्रलर, डालाबाड़ी, हाइवा, डम्फर सहित अन्य वाहनों को रेत के उत्खनन और परिवहन के लिये उतारा जाता था, इतना ही नहीं खदान को कथित लोगों ने खाई में तब्दील कर दिया। बरसात से पहले रेत की किल्लत न हो, शासकीय निर्माण कार्य के अलावा हितग्राही मूलक कार्य न रूकें, इसलिये शासन ने जल्द ही खदानों के संचालन करने का निर्णय लिया। ठेकेदार ने सारी प्रक्रिया को पूर्ण करते हुए खदान तो शुरू करा दी, लेकिन इस कारोबार में मलाई छान चुके कथित कारोबारियों को यह सब नगावार गुजरा और ग्रामीणों को मोहरा बनाकर खदान को ही बंद करवा दिया।
ग्रामीणों को बनाया मोहरा
ठेकेदार ने महज दो दिनों तक ही खदान का संचालन किया, लेकिन इस कारोबार में पूर्व से शामिल जयसिंहनगर के रेत माफिया विजय तिवारी, महेन्द्र तिवारी और सरपंच पति को यह नगावार गुजरा, ग्रामीणों को मोहरा बनाकर वाहनों को गांव के भीतर और बाहर रोकने का खेल बुधवार और गुरूवार तक जारी रहा, अंतत: गुरूवार को वंशिका कॉन्ट्रक्सन ने भुरसी रेत खदान का संचालन बंद कर दिया। इस पूरे मामले में कथित माफियाओं को सोची-समझी रणनीति के तहत काम करते हुए ग्रामीणों को आगे लाकर पूरे खेल को अंजाम दिया। खबर यह भी है कि सरपंच पति ने ठेकेदार से 20 हजार रुपये भी खदान संचालन के लिये लिये, इतना ही नहीं अन्य कार्यवाहियों के लिये अलग से भी लिये, अगर इन सच्चाईयों का पता ग्रामीणों को चल गया तो फिर जिन्हें वह अपना नेता मान रहे हैं, वह चेहरा किसे दिखाएंगे।
अपने स्वार्थ के लिये किया गुमराह
इस पूरे मामले में सच यह है कि सरपंच पति और विजय तिवारी और महेन्द्र इस पूरे मामले में मुख्य सूत्रधार है, जिन्होंने ग्रामीणों को गुमराह किया, जबकि पंचायत के द्वारा खदान का संचालन किया जाता था, तब कथित लोगों के द्वारा बड़े वाहनों को नदी में उतारा जाता था, और लीज क्षेत्र के दायरे के बाहर भी खनन कराया गया, जिसका प्रकरण भी खनिज विभाग ने दर्ज किया था, उसी दौरान चूंदी नदी में रेत खदान के दायरे में खाई भी खोद दी गई। इसी दौरान शासन के नियमों और निर्देशों का जमकर उल्लंधन हुआ, पर्यावरण स्वीकृति की शर्तें खुलेआम तोड़ी गईं, ठेकेदार पर दबाव बनाने और अपना स्वार्थ साधने के लिये ग्रामीणों को गुमराह करते हुए यह पूरी व्यूह रचना रची गई।
शासन के राजस्व को हानि
खदान के संचालन न होने से एक ओर जहां शासन को राजस्व की हानि हो रही वहीं अवैध उत्खनन, परिवहन और भण्डारण के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं, वंशिका कॉन्ट्रक्सन ने अभी तक शासन को 25 करोड़ रुपये बतौर रायल्टी के जमा किये हैं, जबकि पंचायत के द्वारा जब खदान का संचालन किया जाता था, उस दौरान अवैध उत्खनन और परिवहन भी जमकर हुआ, बिना ईटीपी के सैकड़ा भर से अधिक वाहन रेत लेकर भुरसी खदान से रीवा सहित उत्तरप्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भेजे गये, शासन ने जिस ठेकेदार को करोड़ों रुपये में ठेका दिया है, उसी के खिलाफ एक माफिया और सरपंच पति आवाज बुलंद कर रहा है।
जांच में खुलेंगे राज
जब ग्राम पंचायत भुरसी के द्वारा रेत की खदान का संचालन कराया गया, उस अवधि की जांच अगर खनिज, राजस्व विभाग नियमों और प्रावधानों के तहत कर लें तो पंचायत के खिलाफ रेत नियम के तहत बड़ा मामला भी उजागर होगा, वहीं पर्यावरण स्वीकृति की शर्तों का उल्लंघन पाये जाने पर पंचायत के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत कार्यवाही भी हो सकती है, जिसमें आपराधिक प्रकरण न्यायालय में दर्ज होने का प्रावधान है, जिसके सजा और जुर्माना दोनों हैं, तब जाकर ग्रामीणों को गुमराह करने वाले सरपंच पति और कथित माफिया को यह समझ में आयेगा कि उन्होंने जो कारतूत की है उसके राज अभी भी विभाग के पास जिंदा हैं।
इनका कहना है…
अगर इस प्रकार से कोई ठेकेदार को परेशान कर रहा है, तो वह गलत है, ठेकेदार को संबंधित के खिलाफ पुलिस में शिकायत देनी चाहिए और अगर यह मामला मेरे संज्ञान में आयेगा तो, चाहे वह कोई भी हो उसके खिलाफ कार्यवाही होगी। ठेकेदार को शासन ने खदान संचालित कराने के लिये दी हैं, जिसे वह संचालित करेगा। अगर पूर्व में ग्राम पंचायत के द्वारा खदान संचालन के दौरान नियमों का उल्लंघन हुआ है तो उसकी भी जांच होगी।
डॉ. सतेन्द्र सिंह
कलेक्टर, शहडोल