चारो दिशाओं से शहडोल में बरस रही मां आदिशक्ति की कृपा

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(टीम हलचल)शहडोल।चारो दिशाओं से शहडोल में बरस रही मां आदिशक्ति की कृपा

शहडोल..पूर्व दिशा में सिंहपुर की काली माता, पश्चिम में पाली रोड पर स्थित बूढ़ी माता, उत्तर दिशा में भटिया की सिंहवासिनी माता और दक्षिण दिशा में विराजी कंकाली माता, इन देवियो की कृपा से सुख समृद्धि की हो रही वर्षा संभाग मुख्यालय के चारो दिशाओं में विराजी शक्ति की कृपा शहडोल पर बरसती है। वहीं श्रद्धा का केंद्र बिंदु में विराटेश्वरी धाम की दुर्गा माता मंदिर आसीम कृपा संभाग वासियों पर है। पांचो शक्तियो की आराधना से संभागवासियों के सभी दुख, दरिद्र व क्लेश निवारण बड़े ही आसानी से होता आ रहा है। सुख समृद्धि हो या फिर जीवन में किसी भी प्रकार कष्ट इनके दरबार में हाजरी लगाने मात्र से सभी तकलीफ दूर हो जाते है।
शहडोल। जिले के चारो दिशाओं में मां अलग-अगल रूपो में विराजमान है, कहीं कंकाली तो कहीं सिंहवाहनी के रूप में शक्ति की आराधना हो रही है। शक्ति की पूजा अर्चना के लिए चाहे शारदेय नवरात्र हो या फिर चैत्र नवरात्र दरवार में भक्तो का तांता लगा रहता है, मां की चौखट पर रोजाना हजारो भक्त हाजरी लगाते है और मुरादो से झोली भरते है। वहीं मध्य में विराट रूप लिए मां विराटेश्वरी धाम भक्तो के लिए इन दिनों आस्था का केन्द्र बना हुआ है। पूर्व में सिंहपुर की सिंहवाहनी, पश्विच में बूढ़ी माई, उत्तर में भटिया देवी तो दक्षिण में कंकाली देवी की कृपा संभाग पर बरस रही है।

भक्तों का लगता है तांता



पूर्व दिशा में सिंहपुर स्थित शक्ति स्वारूपा मां सिंहवाहिनी माता मंदिर है, ग्रामीण क्षेत्र के लोगो के लिए यह बड़ा आस्था का केन्द्र है, यहां पर शारदेय नवरात्र हो फिर चैत्र नवरात्र दोनो पर्वो में देवी भक्तो का तांता लगा रहता है। कलश स्थापना से लेकर यहां पर जवारा विर्सजन मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहता है। यहां पर प्राचीन मडफ़ा मंदिर व रजहा तालाब श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इसके अलावा मां के ठीक बगल से अष्टधातु की गणेश प्रतिमा भी विराजमान है जो मनोकामनाओं को पूरा करते है, भक्त यहां पर मन्नत मांगते है और पलक झपकते ही उनकी मुराद पूरी हो जाती है।

पश्चिम में बूढ़ी माता

पाली रोड पर संभाग मुख्यालय से सटा बूढ़ी माता मंदिर पश्चिम दिशा में है, पहले यह मंदिर शहडोल अंतर्गत ही आता था लेकिन जिला विभाजन के बाद वर्तमान में उमरिया जिले में चली गई। संभागवासी बूढ़ी माता के दरवार में अपने कष्टो के निवारण के लिए बारो माह पहुंचते है, ऐसा कोई दिन नही गुजरता जब इस मंदिर में भक्त हाजरी न लगाते हो, यहां पर मान्यता है कि व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट हो वह दर्शन मात्र से दूर हो जाता है। वही इस मंदिर के प्रांगण में स्थित कुए से गंधक का जल की प्राप्ति अपने आप मे चमत्कारी है।इसी आस्था और विश्वास के साथ इस मंदिर में देवी भक्तों का हुजूम उमड़ता है। बूढ़ी माता मंदिर जिला मुख्यालय से नजदीक होने के कारण भक्त यहां पर सपरिवार सुबह शाम पहुंचते है।

शक्ति स्वारूपा है भठिया माता

संभाग मुख्यालय की सीमा में सिंह पर सवार सिहवासिनी भठिया माता मंदिर स्थित है। यह मंदिर जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में होने के बावजूद भी भक्त हाजरी लगाने अवश्य जाते है। भठिया माता मंदिर में दर्शन लाभ कर भक्त अपने जीवन को सवारते आ रहे है, इस मंदिर में कृपा पाने लोगो की अनेको कथाए है। शक्ति की कृपा जिले भर के रहवासियों को भी मिल रही है। आम लोगो से लेकर खास लोग तक यहां पर मस्तक झुकाने पहंचते है, पहले यह मंदिर छोटे से स्वारूप में था लेकिन यहां के स्थानीय कार्यकर्ताओं और मंदिर समिति के प्रयासो से वर्तमान में मंदिर का विराट स्वारूप हो गया है, तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री ने यहां हाजरी लगाई और मंदिर के जीर्णोद्धार व विकास के लिए करोड़ो रूपए का अनुदान दिया था जिसके बाद मंदिर का विशाल रूप हो गया है।

दक्षिण में विराजी मां कंकाली

कल्चुरी कालीन मंदिर के रूप में संभाग में ख्याति प्राप्त अंतरा का कंकाली मंदिर संभाग मुख्यालय से 12 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है, इस मंदिर में मां कंकाली की पूजा अर्चना की जाती है। शारदेय व चैत्र नवरात्र में यहां पर दिनरात भक्तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर में अनवरत भंडारा चलता है इसके अलावा आसपास अन्य देवी देवताओं के विभिन्न मंदिर होने के कारण भक्तों को यहां तक खींच लाती है। कंकाली मंदिर कल्चुरी काल में एक राजा ने बनवाया था जिसकी हजारो महिमा है। यहा पर स्थित बावली व जवारा कलश देवी भक्तो के लिए आकर्षण का केन्द्र है। जिला मुख्यालय के रहवासी हो या फिर किसी अन्य क्षेत्र के सभी लोग नवरात्र में इस मंदिर में मत्था टेकते और मां के दरवार में हाजरी लगाते हैं।
रक्षक बन विराजी मां विराटेश्वरी
संभाग मुख्यालय के ह्रदय स्थल में शक्ति स्वारूपा मां विराटेश्वरी विराजमान है, जो कि यहां के रहवासियों के लिए रक्षक के रूप में जानी जाती है। नगर के लोगो की माने तो मां कष्टो और दुखो का निवारण करती है। सुबह शाम मां की आरती में भक्तो का तांता लगता है और विधि विधान से शक्ति की पूजा अर्चना की जाती है। चारो दिशाओं से जहां शक्ति की रहमत बरसती है वहीं मध्य में विराजी विराटेश्वरी मुख्यालय के लिए रक्षक बनी हुई है। शारदेय नवरात्र के पावन अवसर पर यहां पर भक्त हाजरी लगाते है और अपनी मुराद पूरी करते है। मंदिर के चारो ओर भगवान शिव, गणेश व सांईबाबा की प्रतिमा आस्था के केन्द्र होने के साथ-साथ आकर्षण का भी केन्द्र बना हुआ है।

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