छात्रों के भविष्य को लेकर कितनी सजग है हमारी सरकार
शिरीष नंदन श्रीवास्तव9407079665
छात्र रवि ने पूछे सरकार से चंद सवाल
शहडोल। कोरोना वायरस से जिस वर्ग को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, इनमे शीर्ष पर है हमारे भारतीय छात्र जिन्हें देश का भविष्य माना जाता है। राजनीतिक दृष्टि से देश में अनेकों छात्र संगठन हैं, लेकिन वास्तविकता ये है कि इनकी कोई संगठित आवाज नहीं है, और न ही कोई संगठन है, जो इनकी समस्याओं का निदान कर सके। कोरोना संकट के मद्देनजर जब देश की सरकार हर सेक्टर के लिए मदद का ऐलान कर रही थी। तब इन छात्रों को भूल गई और आज इनकी समस्या अलग स्तर पर जा चुकी है। आम तौर पर अप्रैल-मई के बीच हर वर्ष काॅलेज-युनिवर्सिटी की परीक्षाएं होती हैं। लॉक-डाउन घोषित होने से पहले कुछ संस्थानों में परीक्षाएं हुई, कुछ में नहीं। परिणामस्वरूप आज देश में उच्च-शिक्षा के 3 करोड़ छात्र अपने-अपने संस्थानों के निर्देश की प्रतीक्षा में हैं।
देश भर में कालेजों और विश्वविद्यलयों के लिए दिशा-निर्देश जारी करने वाली संस्था यू.जी.सी. ने कहा कि परीक्षाएं जुलाई में करवाई जा सकती है। लेकिन फिर गेंद वापस डाल दी कालेजों और विश्वविद्यालयों के पाले में यह कहते हुए के संस्थान खुद अपने स्तर पर तय करें कि परीक्षाएं कब होंगी। लाॅक-डाउन की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं अंतिम वर्ष के छात्र। सामान्य तौर पर इस समय छात्र किसी नए संस्थान में प्रवेश लेते हैं या फिर अंतिम वर्ष के नतीजो के आधार पर नौकरी की तलाश करते हैं। लेकिन देश के अधिकतर विश्वविद्यालय इन छात्रों से संबंधित कोई कदम नही उठा रहे न ही निकट भविष्य की स्थिति को स्पष्ट कर रहे हैं।
इन सबके बीच सी.बी.एस.ई. ने अपने छात्रों की परीक्षा को गम्भीरता से लेते हुए अपने परीक्षा केन्द्रों को लगभग 4 गुना तक बढ़ा दिया है। उनका कहना है कि जो छात्र अपने परिवार के साथ दूर-दराज स्थित अपने गाँव या कस्बो को लौट चुके हैं। ऐसे छात्र वही से अपने नजदीकी केंद्र पर परीक्षा दे सकेंगे। सी.बी.एस.ई. के द्वारा उठाये गये कदम इस बात को तर्कसंगत करते हैं कि छात्रों की समस्याएं काफी हद तक सुलझायी जा सकती है, बस जरूरत है उचित संवेदना और संज्ञान लेने की। ये वही छात्र हैं जिन पर दायित्व होगा कोरोना से हुई क्षति से देश को उबारने और गिरती अर्थव्यवस्था के पहियों को गति पदान करने की, इन समस्याओं की अनदेखी एक भयावह स्थिति को जन्म दे सकती है जिसके लिए यह देश हाल-फिलहाल तैयार नजर नहीं आता।