जमुना में खुलेआम संचालित प्राईवेट क्लीनिक, कार्यवाही न होने से हौसले बुलंद

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Ajay Namdev- 7610528622

आजकल डिग्रीधारी डॉक्टर बनने में बहुत पापड बेलने पडते हैं। डोनेशन और कॉलेज की फीस ही इतनी तगडी होती है कि सुनकर आदमी को गश्त और मिर्गी आने लगती है और जैसे-तैसे जुगाड करके फीस भर भी दी तो पांच साल तक डॉक्टर बनते-बनते आदमी एक ऐसा डॉक्टर बनकर बाहर निकलता है जो डॉक्टर कम मरीज ज्यादा रहता है। इन फजीहतों से बचने के लिए लोग आसानी से झोलाछाप डॉक्टर बन जाते हैं। फिर चाहे आपसे दवाई करते आये या न आये, लेकिन पैसा जरूर आयेगा।

अनूपपुर। जिले के कोतमा, जमुना, बदरा व भालूमाडा नगर सहित आसपास के ग्रामों में झोलाछाप डॉक्टरों ने फिर से अपना दुकान खोल रखा है, और बीमारी के इलाज पर अच्छा खासा पैसा ऐंठ रहे हैं। मौसमी बीमारी में काफी लोग बीमार होने के कारण उनके इलाज को लेकर झोलाछाप डॉक्टर फिर से सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। जमुना, बदरा, भालूमाडा व कोतमा में झोलाछाप डाक्टरों की भरमार है। आस-पास के ग्रामीणों को अपने जादुई झोले से लूट रहे यह चिकित्सक हर बीमारी का ईलाज कर देते है। साथ में अगर किसी प्रकार की परेशानी हुई तो घर भी आकर दवाई कर देगे, सुविधा के चक्कर में ग्रामीण इन्हीं डाक्टरो के भरोसे में मरीज कई महीनों तक घर में ही पडे रह जाते है और डाक्टर दवाई करता रहता है।

जादुई इंजेक्शन लगाता है डाक्टर

प्रारंभिक तौर पर उल्टी-दस्त, खांसी, सर्दी और पेटदर्द आदि की दवाएं डाक्टर साहब अपने झोले में ही रखते है। ये बीमारियां आमतौर से सभी को होती हैं। दुर्भाग्य से यदि दुकान ठीक-ठाक नहीं चली तो व्यर्थ नुकसान उठाना पड सकता है। इसलिए डॉक्टर झोले में कुछ इंजेक्शन भी रख लेता है। डॉक्टरी के दौरान ऐसे मरीजों से भी पाला पड जाता है जो बिना इंजेक्शन के ठीक नहीं होते। गांवों, कस्बों में तो मरीज खुद ही कहते हैं डॉक्टर साब इंजेक्शन लगा दो मेरा बुखार इंजेक्शन के बिन नहीं जाएगा।

हो चुकी है घटनाएं

जिले में संचालित अवैध क्लीनिक और झोलाछाप डॉक्टरों पर अधिकारी मेहरबान हैं। शिकायत और निरीक्षण के बाद भी कार्रवाई नहीं होने से ये खुलेआम अपनी दुकानदारी चला हैं। जबकि झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज के बाद लोगों की तबियत बिगडने और मौत तक हो चुकी है। बावजूद उसके कार्रवाई न करते समझाइश देकर छोड दिया है। जबकि ऐसे क्लीनिकों की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की ब्लॉक और जिला स्तरीय अपनी टीम होती है है, जो खानापूर्ति करते ही नजर आती है।

सरकारी डॉक्टर भी पीछे नही

जिले के सरकारी डॉक्टर बिना अनुमति के ही घर और क्लीनिकों में प्रैक्टिस कर रहे हैं। कुछ डॉक्टर को सरकारी समयावधि में भी घर पहुंच लोगों को उपचार देने में नहीं कतरातेे। जबकि नियमानुसार उन्हें इसकी लिखित जानकारी अधिकारी को देने के साथ अनुमति लेनी है। इसी तरह आयुर्वेद डॉक्टरों को भी एलोपैथी इलाज के लिए प्रशिक्षण और अनुमति लेना जरूरी है। इसके बावजूद जिले के आयुर्वेद डॉक्टर भी घरों में मरीजों का बेखौफ एलोपैथी पद्धति से उपचार में जुटे हैं। बीएमओ अनूपपुर व बीएमओ जैतहरी द्वारा निज निवास को प्रेक्टिस से नाम पर ईलाज किया जाता है व मरीजों ने फीस भी वसूली की जा रही है। दोनों ही चिकित्साधिकारी कई सालों से जिले में ही पदस्थ हैं जिनका स्थानांतरण भी आज तक नहीं हो पाया है।

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