डूबते भगवान भास्कर को घाटो मे अध्र्य देकर विधि विधान से की गई पूजा अर्चना
अघ्र्यदान के लिए उगते सूर्य का इंतजार, घाटों की ओर बढ़ेगे कदम
डूबते भगवान भास्कर को घाटो मे अध्र्य देकर विधि विधान से की गई पूजा अर्चना
अनूपपुर। लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान गुरुवार को नहाय खाय के साथ आरंभ हो गया है। 3 नवम्बर को उगते सूर्य को अध्र्य देकर सूर्य श्रृष्ठि समाप्त की गई, इस अवसर पर डूबते भगवान भास्कर को तालाबो एवं नदियों के घाट मे अध्र्य देकर पूजा अर्चना की गई। नगर के बस स्टैण्ड स्थित तालाब एवं वार्ड क्रमांक 10 कलमुडी नाला घाट पर उगते सूर्य तथा शाम को ढलते हुए सूर्य को अद्र्ध दिया गया। पूजा सूर्य षष्ठी मे की गई छठ पर्व का वृत्त गुरूवार की शाम को विषेश रूप से लौकी व चने की दाल की बनी सब्जी खाकर महिलाओ ने शुरू किया।
महिलाओ ने संतान एवं पति की दीर्घ आयु की कामना एवं सुख समृद्धि की महत्ता से छठ महावृत मे इस परंपरा का निर्वहन किया। शुक्रवार की रात को निर्जला वृत रहकर विशेष रूप से नए चुल्हे मे गन्ने के रस और चावल की खीर बनाई इसके साथ ही रोटी का प्रसाद पूरी शुद्धता के साथ आम की लकडी मे छठ मईया की अराधन करते हुए पकाया गया, खरने के प्रसाद को सामूहिक रूप से मिलकर केले के पत्ते मे ग्रहण किया।
पसान में हर्षोल्लास के साथ महापर्व सूर्य षष्ठी मनाया गया
पसान नगर पालिका के केवई नदी घाट तथा जमुना कॉलरी में छठ तालाब में छठ पूजन सुचारू रूप से मनाए जाने के लिए नपाध्यक्ष सुमन गुप्ता ने तैयारियों के साथ छाया पानी तथा सभी स्थानो पर टेंट की व्यवस्था रात्रि मे ठंड से बचने हेतु अलाव की व्यवस्था एवं घाट के पास विशेष सफाई व्यवस्था तथा पूजा स्थल के आसपास प्रकाश की विशेष व्यवस्था की थी। भालूमाड़ा मे केवई पुल के नीचे घाट मे छठ पर्व मनाए जाने के लिए पूर्व नपाध्यक्ष रामअवध सिंह एवं दिनेश सिंह द्वारा विशेष व्यवस्था की गई थी साथ ही नदी की गंदगी को स्वयं अपने साथियों के साथ सफाई का कार्य किया एवं टेंट रोशनी की व्यवस्था की गई। भालूमाड़ा एवं जमुना कॉलरी मे छठ पर्व के दूसरे दिन शुक्रवार को नहाए खाये की रस्म पूरी करने के बाद खरना हुआ और शाम को विशेष पकवानो का भोग लगाकर 36 घंटो का उपवास शुरू किया।
परिवार के सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना के साथ बुधवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर वृतधारी तालाब कुड आदि जलाशयों मे खडे होकर डूबते सूज को अध्र्य दिया तथा 3 नवम्बर को उगते सूर्य को अध्र्य देकर वृत की समाप्ति की गई। नदी घाट में वृत धारियो द्वारा बाजे गाजे के साथ पहुंचकर विशेष पूजा अर्चना की गई। इस पर्व के मौके पर अनेक धर्मो के लोग भी छठ पर्व की गरिमा को बढाया। छठ पर्व को लेकर घाटो मे मेले जैसा नजारा देखने को मिला, जहां लोग अपने सर पर पूजा की सामग्री लेकर भारी संख्या में घाटो की ओर जाते देखे गए।