तकनीकी स्वीकृति की आड़ में सीईओ-एसडीओ ने डकारे लाखों
नियमों से परे हटकर सैकड़ा भर बाउण्ड्रीवाल दे दी ठेकेदारों को
(Amit Dubey+8818814739)
शहडोल। जनपद पंचायत में बैठे अधिकारी गांधी के मोह में नियमों को अपने हिसाब से लागू कर रहे हैं, हालात यह है कि जनपद के अधिकारियों की शिकायत जनपद के अध्यक्ष व कांग्रेस के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी सहित अन्य द्वारा किये जाने के बाद मुख्यालय में बैठे अधिकारी जनपद के अधिकारियों के साथ हमाम में डूबकी लगाकर शिकायतों को दरकिनार कर रहे हैं, नवम्बर 2019 से लेकर अब तक आधा दर्जन शिकायतें जनपद बुढ़ार के सीईओ राजकुमार पाण्डेय और आरईएस के एसडीओ प्रशांत लगरखा के खिलाफ की गईं, जिसमें आरोप लगाये गये कि दोनों ने मिलकर 100 से अधिक बाउण्ड्रीवाल पंचायत के सरपंच-सचिव व चुनी हुई बॉडी को किनारे का कमीशन में बांट दिये,बहरहाल मामले की शिकायत के बाद संभागायुक्त ने जांच कमेटी गठित कर दी है, यदि गांधी का खेल नहीं चला तो सीईओ और एसडीओ बुढ़ार के बीईओ की कतार में खड़े नजर आएंगे।
नियमों को किया दरकिनार
जनपद अध्यक्ष ललन सिंह ने इस संदर्भ में बताया कि नियमत: पंच-परमेश्वर योजना के अन्तर्गत सीसी सड़क और अन्य ऐसे निर्माण कार्यों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिसमें मनरेगा को सम्मिलित किया जा सके और सरकार की मंशा के अनुरूप ग्रामीणों को रोजगार मिल सके, लेकिन बुढ़ार जनपद में सबकुछ उल्टा की चल रहा है, मामले की शिकायत तीन माह से भी पहले मेरे द्वारा की गई थी, लेकिन जिले में बैठे अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया, जनपद के सीईओ और एसडीओ ने मिलकर लगभग पंचायतों में 10 से 15 लाख रुपये की बाउण्ड्रीवाल के कार्य स्थानीय बॉडी को दरकिनार कर ठेकेदारों को बांट दिये।
कटघरे में सीईओ और एसडीओ
राजकुमार पाण्डेय और प्रशांत लगरखा के द्वारा किये जा रहे कारनामों की शिकायत ललन सिंह के द्वारा तो की ही गई, बीते माहों में जनपद में पदस्थ हुईं एसडीओ नेहा गोस्वामी द्वारा जब क्षेत्र की पंचायतों का भ्रमण किया गया,तो उन्होंने नियमों से परे हटकर बनाई जा रही बाउण्ड्रीवाल को दुरूस्त करने और उनके भुगतान रोकने के लिये पत्र जारी किये, 26 दिसम्बर को सहायक यंत्री नेहा गोस्वामी द्वारा ग्राम पंचायत चांका की बाउण्ड्रीवाल के संदर्भ में पत्र जारी किया गया, इसके बाद खमरौंध में निमार्णाधीन बाउण्ड्रीवाल के कार्यों को रिजेक्ट कर दिया गया, इसी तरह भठिया, सकरा, चांका सहित अन्य दर्जनों पंचायतों में भी सैकड़ों कार्य इस सूची में जुड़ते चले गये, लगभग स्थानों पर स्थानीय पंचायत की जगह ठेकेदार कार्य करते मिले, यही नहीं जब कार्य रूके तो दोनों अधिकारियों को दी गई कमीशन की चर्चाएं भी सतह पर आने लगी।
प्रशासकीय स्वीकृति बनी रोड़ा
सीईओ और एसडीओ ने ठेकेदारों से कमीशन लेकर तकनीकी स्वीकृति तो दे दी, एसडीओ के माध्यम से उपयंत्रियों को भी इस पूरे खेल में शामिल कर लिया गया, लेकिन कई पंचायतों में इस ठेकेदारी प्रथा का विरोध होने लगा, जैतपुर के मंडल अध्यक्ष विजय त्रिपाठी सहित कांग्रेस नेता विकास मिश्रा आदि के द्वारा समय-समय पर जो शिकायतें दी गई, जिसमें स्थानीय सरपंच और सचिवों ने भी विरोध दर्ज कराते हुए यह बात स्पष्ट की कि पंचायत में बाउण्ड्रीवाल से पहले सीसी सड़क और अन्य कार्यों की आवश्यकता थी, जिस कारण प्रशासनिक स्वीकृति पंचायत द्वारा नहीं दी जायेगी, हालात यह हैं कि प्रशासकीय स्वीकृति के बिना कई स्थानों पर निर्माण कार्य हो चुके हैं और अब भुगतानों के लिये प्रशासकीय स्वीकृति रोड़ा बनी हुई है, सीईओ और एसडीओ इस स्वीकृति के लिये सरपंच-सचिवों पर अनावश्यक दबाव तक बनाने से नहीं चूक रहे हैं।
इनका कहना है…
रिश्वत लेने के आरोप निराधार हैं, मामले की शिकायत के बाद नेहा गोस्वामी और आर.पी.द्विवेदी आदि जांच कर रहे हैं, कहीं भी कोई गलत कार्य नहीं किया गया है।
प्रशांत लगरखा
एसडीओ, आईएस, बुढ़ार
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बुढ़ार जनपद की पंचायतों की शिकायत के बाद जांच की जा रही है, कई जगहों पर भुगतान रोके गये हैं, कुछ कार्यों को रिजेक्ट किया गया है, कुछ को रोका गया है, जल्द ही जांच पूरी हो जायेगी।
नेहा गोस्वामी
जांच अधिकारी व एसडीओ आरईएस