…तो क्या डीजल चोरों को संरक्षण दे रहे वर्दीधारी!

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(Amit Dubey-8818814739)
शहडोल। साउथ ईस्टर्न कोल फिल्ड लिमिटेड के सोहागपुर एरिया में भाड़े पर लगे निजी वाहनों के मालिक बड़ा खेल-खेल रहे हैं, निविदा के दौरान सरकारी मूल्य से कहीं नीचे जाकर वाहनों का ठेका लेने के बाद उपक्षेत्रीय प्रबंधकों एवं एरिया में कथित विभाग देख रहे अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी बिलों और बड़े पैमाने पर डीजल, लौह और अन्य धातुओ, उपकरणों की चोरी का खेल-खेला जा रहा है, जुगाड़ के इस खेल में अधिकारियों ने स्थानीय वर्दीधारियों को भी अपने साथ मिला लिया है, भूल-चूक से यदि कथित गिरोह की गाडिय़ा पुलिस के हत्थे चढ़ भी जाती हैं तो अपनी नौकरी दांव पर लगाकर पुलिसकर्मी दोस्ती निभाते हैं। अनूपपुर जिले के देवहरा चौकी अंतर्गत ऐसा ही एक मामला सामने आया जहां नये प्रभारी ने महज जुगाड़ के फेर में अपनी वर्दी दांव पर लगा दी।
डीजल जब्त पर गाड़ी गायब
देवहरा पुलिस ने बीती 24 सितम्बर को स्थानीय कोल माईंस में लगी बुलेरो क्रमांक एमपी 65 जीए 1585 को डीजल चोरी करते हुए मय डीजल के जब्त किया। वाहन मालिक नारायण चौहान उर्फ बांके भईया जिनकी एसईसीएल में दर्जनों गाडिय़ा अधिकारियों से जुगाड़ कर-कर लगी हुई है, ऐसे ही जुगाड़ के कारोबार में दौड़ रही हैं, वाहन को ग्राम देवहरा का दीपक साहू चला रहा था, सूत्रों की माने तो वाहन में 60 लीटर के 4 जैरिकेन भरे हुए जब्त हुए थे, लेकिन पुलिस कार्यवाही में सिर्फ 20 लीटर डीजल वह भी 5-5 लीटर के चार डब्बे जब्त होना सामने आया, बहरहाल चौकी प्रभारी ने अवैध रूप से चोरी का ज्वलनशील पदार्थ परिवहन करते हुए पाये जाने पर धारा 285 के तहत अपराध तो कायम कर लिया, लेकिन कथित बुलेरो लगभग 10 से 15 घंटे चौकी में खड़े होने के बाद बिना वाहन क्रमांक और वाहन मालिक का नाम विवेचना में लिये ही छोड़ दी गई।
जांच होती तो नपते दर्जनों
सोहागपुर एरिया की स्थानीय धनपुरी व अमलाई ओसीएम सहित बुढ़ार ग्रुप की कोल माईंसों और वर्कशापों से बड़ी मात्रा में डीजल सहित लोहा और कलपुर्जे चोरी करने और उन्हें बेचने का एक बड़ा गिरोह यहां काम कर रहा है, आरोप तो यह भी हैं कि उसमे कोल माईंस के सुरक्षाकर्मी और संबंधित स्टोर के अधिकारी से लेकर उपक्षेत्रीय प्रबंधकों तक की मिली भगत रहती है, जिस वाहन को पुलिस ने पकड़ा और छोड़ दिया, यदि कथित वाहन चालक और उसके मालिक से सघनता से पूछताछ की जाती तो एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हो सकता था,किन्तु जब बाड़ी ही खेत खाने लगे तो और से क्या उम्मीद की जा सकती है।

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