निरीक्षक रहते राहुल ने ही दिलाई थी आचार संहिता में रेत भण्डारण की अनुमति

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अनूपपुर। लोकसभा चुनावों के लिए पूरे देश में दस मार्च को आदर्श आचार संहित चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही लग गई थी, जिसके अगले दिन खनिज विभाग के कर्ताधर्ता राहुल शांडिल्य ने रेत कारोबारी को लाभ अर्जित करने वाले कार्य की अनुमति दे दी। संभाग के शहडोल व उमरिया जिले सहित प्रदेश व देश के कई जिलो में इस तरह की सीधे लाभ पहुंचाने वाली फाईले आचार संहिता लागू होने के बाद महज हस्ताक्षर के लिए रोक दी गई थी, लेकिन अनूपपुर का खनिज अमले ने यहां शायद यहां अपने ही कानून लागू कर रखे है, महज 11 मार्च का मामला नही बल्कि इसके पहले भी नियमों को दरकिनार कर ऑफ रिकार्ड खनिज विभाग के मुखिया राहुल शांडिल्य ने रेत भंडारण की अनुमति कायदो को दरकिनार कर कथित त्रिपाठी को दी हुई है, जिसकी जांच हो जाये तो ऐसे अधिकारियों को नौकरी से हाथ धोना पडेगा।

यह किया राहुल ने

देश में आम चुनाव के लिए आचार संहिता प्रभावशील हो गई थी, उसके ठीक 1 दिन बाद खनिज विभाग का बड़ा कारनामा सामने आया है, खनिज विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने रेत कारोबारी को फायदा पहुंचाने के लिए नये रेत भण्डारण की स्वीकृति दे दी, जबकि सबको यह जानकारी थी कि 10 मार्च को मुख्य चुनाव आयुक्त ने देश में आम चुनाव की घोषणा कर दी है, इस दौरान किसी भी प्रकार की नई स्वीकृतियां जारी नहीं हो सकती। बावजूद इसके जमकर आदर्श आचार संहिता की शासकीय सेवकों ने ही धज्जियां उड़ाई। देश में आम चुनाव हो चुके हैं और नई सरकार भी बन चुकी है, लेकिन यह मामला देर से ही सही, लेकिन सामने आ ही गया। 11 मार्च को दी स्वीकृति खनिज विभाग ने बरबसपुर निवासी परितोष सिंह को अनूपपुर तहसील के ग्राम बरबसपुर के खसरा क्रमांक 358, रकवा 0.300 हेक्टेयर में रेत नियम 2018 के तहत खनिज रेत के लिए भण्डारण सह व्यापार अनुज्ञप्ति जारी कर दी, जबकि ठीक 1 दिन पहले आम चुनाव की घोषणा होने के साथ ही आदर्श आचार संहिता प्रभावशील हो गई थी, स्वीकृति की अवधि 7 मार्च 2019 से 6 मार्च 2024 तक स्वीकृत की गई है।

7 मार्च से दी अवधि

परितोष सिंह को खनिज विभाग द्वारा जो रेत का भण्डारण स्वीकृत किया गया है, उसमें 5 वर्ष के लिए जो अवधि दर्शाई गई है, वह 7 मार्च 2019 से 6 मार्च 2024 तक दी गई है, जबकि 8 मार्च को शुक्रवार था और 9 मार्च को माह का दूसरा शनिवार होने के चलते छुट्टी थी, वहीं 10 मार्च को रविवार था और इसी दिन आदर्श आचार संहिता प्रभावशील हो गई, तिथियों की बाजीगरी करते हुए खनिज विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने रेत कारोबारी को फायदा पहुंचाया और आदर्श आचार संहिता की धज्जियां उड़ा दी।

प्रदेश से जुदा हैं कायदे

प्रदेश के दूसरों जिलों के कायदों से अनूपपुर जिले में अलग ही कायदे अधिकारियों ने बना रखे हैं, दूसरे जिलों पर अगर नजर डाली जाये तो जिस दिनांक को स्वीकृति जारी होती है, उस दिनांक से ही 5 वर्षाे के लिए अवधि कार्य करने के लिए स्वीकृत की जाती है, लेकिन अनूपपुर के आंकड़ों पर नजर डाली जाये तो स्वीकृति दिनांक से पहले ही कार्य अवधि दे दी जाती है, कुल मिलाकर यहां के अधिकारियों ने प्रदेश से अलग कायदे बनाकर रखे हैं।

…आखिर क्यों थी इतनी जल्दी

खनिज विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि 7 मार्च को कलेक्टर ने फाईल में अनुमोदन कर दिया था, जिस दिनांक से अनुमोदन होता है, उसी को अवधि मान ली जाती है, लेकिन परितोष सिंह के रेत भण्डारण स्वीकृति के मामले में जब अधिकारियों को इस बात की जानकारी थी कि 10 मार्च को आदर्श आचार संहिता प्रभावशील हो गई है और नया कोई भी काम स्वीकृत नहीं हो सकता तो 11 मार्च को आखिर क्यों स्वीकृति आदेश जारी किया गया, जिसके पीछे कहीं न कहीं कोई राज छुपा हैं, आचार संहिता के समाप्त होने के बाद भी रेत भण्डारण की अनुमति जारी हो सकती थी।

अनुमोदन मान्य या स्वीकृति आदेश

परितोष सिंह को स्वीकृत किये गये रेत भण्डारण में अनुमोदन की तिथि मान्य होगी या स्वीकृति आदेश की, इस मामले में जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकती है, कानूनी जानकारों की माने तो कोई भी कार्य तब तक स्वीकृत या पूर्ण नहीं माना जा सकता, जब तक उसकी पूरी प्रक्रिया शासन के नियमों के तहत पूरी न कर ली जायें।समस्त कार्यवाहियां पूरी होने के बाद ही वह आदेश अमल में आता है, जिसमें की अहमरोल आवक-जावक क्रमांक का रहता है। तभी वह आदेश पूर्ण कहलाता है, लेकिन खनिज विभाग ने परितोष सिंह को फायदा पहुंचाने के लिए सारे कायदे तोड़ दिये।

इनका कहना है…

कलेक्टर ने 7 मार्च को अनुमोदन दे दिया था, इसीलिए अवधि उसी तिथि की मानी जाती है, छुट्टी के चलते जावक नहीं हो सका था, इसलिए 11 मार्च को स्वीकृत आदर्श दर्शाया गया, अनुमोदन पहले हो चुका था, इसलिए यह आचार संहिता के दायरे में नहीं आता।

राहुल शांडिल्य तात्कालीन प्रभारी खनिज अधिकारी अनूपपुर

बिना देखे इस मामले में कुछ कहना उचित नहीं होगा, आप मुझे दस्तावेज उपलब्ध करा दें, जिसके बाद ही मैं कुछ बता सकूंगा।

एस.के.पाण्डेय संयुक्त संचालक खनिज संसाधन विभाग, रीवा

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